शनिवार, 6 सितंबर 2025

और ……अब हलाल टाउनशिप !

 


और ……अब हलाल टाउनशिप ! || ग़ज़वा ए हिंद का आखिरी चरण प्रारम्भ


हलाल टाउनशिप का मामला सुर्खियों में है। मुंबई के नेरल-कर्जत क्षेत्र में एक हलाल टाउनशिप ने, केवल महाराष्ट्र में ही नहीं, पूरे भारत में सनसनी फैला दी है। सोशल मीडिया पर इस हलाल टाउनशिप के विज्ञापन का वीडियो प्रसारित हो रहा है, जिसकी भाषा भी सांप्रदायिक और जहरीली है. इसमें कहा गया है कि “अगर किसी रिहायसी समिति में अपने सिद्धांतों से समझौता करना पड़े तो यह बिल्कुल भी सही नहीं है, इसलिए यह हलाल टाउनशिप केवल मुसलमानों के लिए बनाई गई है, जिसमें बच्चे हलाल वातावरण में सुरक्षित होकर पलेंगे और बढ़ेंगे. ये आपके पैसे का नहीं, आपके भविष्य का निवेश है.” आपको यह सुनने में असामान्य लग सकता है कि कोई भवन निर्माता ऐसी टाउनशिप का निर्माण कैसे कर सकता है जो सिर्फ मुसलमानों के लिए हो, लेकिन ऐसा तो हर उस देश में चुपचाप होता आया है जहाँ मुस्लिम होते हैं. भारत में भी यह बहुत पहले से हो रहा है. अबकी बार सार्वजानिक घोषणा करके, विज्ञापन देकर किया जा रहा है. जिसका मतलब है कि " हम ऐसा करेंगे, कोई क्या कर लेगा हमारा." यह एक चुनौती हैं, हिन्दुओं के साथ-साथ इस देश की संवैधानिक कानून और व्यवस्था के लिए भी। अतीत साक्षी है कि समुदाय विशेष की हठधर्मिता, कानून और व्यवस्था तोड़ने की जिहादी प्रवृत्ति के विरुद्ध भारत में कभी कुछ नहीं किया गया. इसलिए अबकी बार कुछ होगा, इसकी संभावना भी नहीं है। सबसे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि हिंदुओं ने जिहादी दुष्कृत्यों के विरुद्ध कभी संगठित आवाज नहीं उठाई, क्योंकि हिंदुओं ने तो जैसे गांधी की बात को गांठ बांध लिया है कि उन्हें भाई चारा कायम रखने के लिए जिहादियों के हाथ मर मिटना चाहिए।

 

भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, अगर आप इसे शाब्दिक अर्थ में लेते हैं तो आप गलत सिद्ध हो जायेंगे । वास्तव में भारत धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र नहीं, धर्मनिरपेक्ष धर्मशाला है जिसमें हिंदू भले ही बहुसंख्यक हों लेकिन वे संविधान प्रदत्त धार्मिक प्रताड़ना के शिकार हैं। संविधान में ही उनके साथ इस तरह का भेदभाव किया गया है, जो कालांतर में धीरे धीरे उनकी सनातन संस्कृति और धर्म को दीमक की तरह चट कर जाएगा। हर क्षेत्र में उनके साथ होने वाला भेदभाव असामान्य नहीं, संविधान प्रदत्त है। उन्हें अपने गुरुकुल खोलने का अधिकार नहीं है. धार्मिक शिक्षा देने का अधिकार नहीं है। उनके मंदिर स्वतंत्र नहीं, सरकार के अधीन हैं. जिनकी आय, हड़प कर सरकार दूसरे धर्मों पर खर्च करती है। उन पर अनेक सामाजिक आर्थिक और धार्मिक प्रतिबंध, संवैधानिक रूप से लगे हैं । इसके विपरीत दूसरे धर्म न केवल अपने विद्यालय / मदरसे खोलने के लिए स्वतंत्र हैं बल्कि ऐसी धार्मिक शिक्षा देने के लिए भी स्वतंत्र हैं जो राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए घातक है। उनके अपने व्यक्तिगत कानून है, चाहे भले ही वे राष्ट्र की धर्मनिरपेक्षता को तार तार करते राष्ट्र को टुकड़ों में बांटने को प्रेरित करते हो।

 

कर्जत में बन रही हलाल टाउनशिप की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसके 65% से अधिक फ्लैट हाथों हाथ बिक चुके हैं। बिल्डर का कहना है कि चूंकि इस टाउनशिप के लिए मुसलमानो ने ही अधिक आवेदन किया था इसलिए उसने इसे पूरी तरह मुसलमानों के लिए ही बना दिया और जब मुसलमानों के लिए बन रही है तो इसे हलाल होना ही चाहिए. अपने इस कुकृत्य को न्यायोचित ठहराते हुए उसका कहना है कि ज्यादातर जगह हिंदू, किसी मुसलमान को किराए पर मकान नहीं देते और अगर तैयार होते हैं तो मांसाहार न करने की शर्त लगा देते हैं। सोसाइटी के अन्दर कुर्बानी करने के लिए मना करते हैं. इसलिए हलाल टाउनशिप का निर्माण पूरी तरह संवैधानिक और न्यायोचित है। सोशल मीडिया में इस टाउनशिप के विज्ञापनों की भरमार है लेकिन सरकार ने अपने आप इस पर कोई कदम नहीं उठाया. अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने महाराष्ट्र सरकार को नोटिस भेज कर 2 हफ्ते में जवाब मांगा है कि कैसे रेरा ने इस परियोजना को अनुमति प्रदान की। विज्ञापन के कारण ही यह मामला सुर्ख़ियों में आया अन्यथा मीरा रोड, ठाणे जैसे अनेक स्थानों पर कई ऐसी सोसाइटी हैं जो केवल मुसमानो के लिए बनाई गयी हैं.


  1. हलाल का जाल अब केवल मांस तक सीमित नही रहा बल्कि यह दैनिक जीवन में प्रयोग किए जाने वाले सभी उत्पादों और सेवाओं पर फैल गया है. सौंदर्य प्रसाधन, घर गृहस्थी के सभी सामान, दवाइयां, अस्पताल, ईट, सीमेंट, सरिया, फ्लैट, विला साहित लगभग सभी वस्तुओं और सेवाओं पर हलाल का शिकंजा कस गया है. यही नहीं कच्चे माल, भण्डारण, और पूरी औद्योगिक इकाई पर भी हलाल प्रमाणन आवश्यक है। हलाल प्रमाणन के नाम पर उत्पादकों और सेवा प्रदाताओं से बड़ी रकम वसूली जाती है, जिसका उपयोग इस्लामीकरण के लिए किया जाता है. जिसमे आतंकवाद, धर्मांतरण तथा जिहाद की परियोजनाओं को वित्तीय सहायता दी जाती हैं. जमीयत उलेमा-ए-हिंद जो भारत में हलाल प्रमाणन की सबसे बड़ी संस्था है, आतंकवादियों, दंगाइयों और मुस्लिम अपराधियों के मुकदमें लडती है और भारत के इस्लामीकरण के आन्दोलनों को धन देती है. गजवा ए हिन्द के कार्य को ये इस्लामिक आदेश मानते है. अयोध्या, मथुरा और काशी के मुकदमें हो या संशोधित नागरिकता कानून, समान नागरिक संहिता, वक्फ बोर्ड आदि के आन्दोलन सब को धन हलाल की कमाई से ही दिया जाता है.  

जैसा हमेशा होता आया है, मुसलमानों की प्रथाकतावादी और जिहादी गतिविधियों को धार्मिक और अल्पसंख्यक लवादा ओढ़ा कर बचाव किया जा रहा है. मुस्लिम राजनेताओं के साथ, महाराष्ट्र के कुछ हिंदू हृदय सम्राटों ने भी परियोजना के पक्ष में कुतर्क देकर समर्थन किया है।

पूरे भारत में हर शहर, कस्बे गांव में मुस्लिम संप्रदाय के लोग समूह में रहते हैं। तुष्टिकरण शास्त्री तर्क देते हैं कि यह असुरक्षा की अल्पसंख्यक मानसिकता है, जो सर्वथा गलत है। प्राय: हिंदू बाहुल्य गांव, कस्बे, शहर और मोहल्ले में, हाउसिंग सोसाइटी के अन्दर एक ही टावर में हिंदुओं के बीच अकेला मुस्लिम परिवार बड़े आराम से रहता है लेकिन मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में अकेला हिंदू रहने की सोच भी नहीं सकता। ऐसा क्यों है? इसके लाखो जवाब, मोपला से लेकर नोआखाली तक और कश्मीर से केरल तक बिखरे पड़े है। मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में, जैसे ही हिंदू अल्पसंख्यक हो जाते हैं, उन्हें या तो पलायन या फिर धर्मांतरण को मजबूर किया जाता है.

भारत के नौ राज्यों जम्मू कश्मीर, मिजोरम, नागालैंड, मणिपुर, मेघालय, अरुणाचल, पंजाब, लक्ष्यद्वीप और लद्दाख में हिंदू अल्पसंख्यक हो चुकें हैं. 100 से भी अधिक जिलों में हिंदू अल्पसंख्यक हो चुके हैं. यहाँ अब क्या होगा, अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है. सुनियोजित रूप से समुदाय विशेष देश के लगभग 40% जिलों में ये चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने की स्थिति में आ चूका है. यह भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने के जिहाद का हिस्सा है, जिसे "गजवा ए हिन्द" का नाम दिया गया है.

हलाल कुछ और नहीं जिहाद का अर्थ शास्त्र है. जिसके उत्पाद के बारे में मुस्लिम तर्क देते हैं कि यह उनके धर्म का हिस्सा है, लेकिन दुनिया में बहुत से ऐसे देश हैं जहां हलाल उत्पादन की अनुमति नहीं है, तो वहां मुसलमान कैसे रहते हैं. हलाल की धार्मिकता के अनुसार मुसलमान को दारुल इस्लाम में रहना चाहिए. भारत दारुल हरम है जहाँ मुसलमानों का रहना हराम है. दारुल हरम में रहने वाले मुसलमान को जहन्नुम की आग में जलना पड़ता है और भयंकर यातनाएं सहनी पड़ती हैं, लेकिन मुसलमान यहां रहते हैं और घुसपैठ करके आ भी रहे हैं। वास्तविकता में हलाल, जिहाद का हथियार हैं, जिसे नए-नए क्षेत्रों में आजमाया जा रहा है। भारत में अनजाने में गैर मुस्लिम कितने ही हलाल उत्पाद इस्लेमाल करते हैं, शायद उन्हें भी नहीं मालूम होगा। बस, रेल और वायुयान में बड़ी संख्या में हलाल प्रमाणित खानपान की वस्तुएं दी जा रही है. इसका मुख्य कारण है कि एक ओर जहां इससे मुसलमानो की मांग पूरी हो जाती है तो वहीं हिंदुओं और दूसरे गैर मुस्लिम समुदाय द्वारा इस पर कोई आपत्ति नहीं की जाती है, क्योंकि हिन्दू तो जागरूक ही नहीं होते और उन्हें इसकी चिंता भी नहीं होती कि वे क्या खा रहे हैं और क्यों खा रहे हैं।

भारत ऐसा राष्ट्र है, जहाँ जिहादियों के हाथों 10 करोड़ से भी अधिक हिंदुओं, बौद्धों, सिखों और जैनियों का नरसंहार हुआ. ये पृथ्वी पर मानव सभ्यता का सबसे बड़ा नरसंहार है. किसने किया? क्यों किया? इस पर हमेशा विचार करते रहने की आवश्यकता है, लेकिन इससे भी बड़ी बात है कि जिन महान लोगों ने मरना स्वीकार किया, धर्मान्तरण नहीं किया, उन पर गर्व करने की आवश्यकता है. उनका मान रखने के लिए, हमें यह प्रतिज्ञा करनी चाहिए कि अब इतिहास नहीं दोहराने दिया जाएगा, चाहे इसके लिए कोई भी त्याग क्यों न करना पड़े.

गाँधी और नेहरू की तरह मुस्लिम तुष्टिकरण करने वालो से अत्यधिक सावधान रहने आवश्यकता है, जिन्होंने हिन्दुओं के साथ विश्वासघात किया और भारत को धर्मनिरपेक्ष धर्मशाला बना दिया. विश्व का इतिहास साक्षी है कि जिन देशों में तुष्टिकरण हुआ, डेमोग्राफी बदल गयी. मोपला, और नोआखाली जैसे कांड हुए. कालांतर में सब के सब इस्लामिक राष्ट्र बन गये.

संभल हिंसा रिपोर्ट, सच्चाई की एक बहुत छोटी सी झलक


संभल हिंसा रिपोर्ट, सच्चाई की एक बहुत छोटी सी झलक || पूरा देश संभल होने के कगार पर || कांग्रेस भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने को आतुर


नवंबर 2024 में उत्तर प्रदेश के संभल में विवादित जुमा मस्जिद के न्यायिक सर्वेक्षण के दौरान काफी हिंसा हुई थी. मस्जिद से आवाहन करके बुलाई गई विशेष संप्रदाय की भीड़ ने पुलिस पर अचानक आक्रमण किया जिसके जवाब में पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी। मुस्लिम पक्ष के दो समुदायों, तुर्कों और पठानों के बीच बरसों से चल रही रंजिश ने भी घातक संघर्ष का रूप ले लिया। दोनों पक्षों में आपस में जमकर फायरिंग हुई जिसमें चार लोगों की मृत्यु हो गई और कई लोग घायल हो गए, लेकिन तुष्टिकरण में लिप्त राजनीतिक दलों ने आसमान सिर पर उठा लिया और मुसलमानों की आपसी हिंसा में मारे गए लोगों को पुलिस द्वारा की गई हत्या करार दिया. सपा ने तो मृतकों के घर जाकर ५-५ लाख रुपये की नकद धनराशि भेंट की थी.

यह हिंसा उस समय हुई जब न्यायालय द्वारा नियुक्त कोर्ट कमिश्नर और उनके साथ दोनों पक्षों के वकील विवादित जामा मस्जिद के सर्वे के लिए जा रहे थे. योगी सरकार की कार्य कुशलता और पुलिस की तत्परता से हिंसा पर रोक तो लग गई लेकिन राजनीतिक आरोपों के परिपेक्ष में घटना की विस्तृत जांच के लिए एक तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन कर दिया. प्रयागराज उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश देवेंद्र कुमार अरोड़ा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग ने संभल हिंसा पर अपनी रिपोर्ट उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी है. न्यायिक आयोग के अन्य सदस्यों में भारतीय पुलिस सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी अरविंद कुमार जैन और भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्ति अधिकारी अमित मोहन प्रसाद भी शामिल थे.

संभल में विष्णु हरि मंदिर को तोड़कर बनाई गई जुमा मस्जिद का ताजा विवाद पिछले साल 19 नवंबर से तब शुरू हुआ जब अधिवक्ता हरि शंकर जैन और विष्णु शंकर जैन सहित हिंदू याचिकाकर्ताओं ने संभल जिला अदालत में एक याचिका दायर की कि शाही जुमा मस्जिद हरि मंदिर के ऊपर बनाई गई है. अदालत ने सर्वेक्षण का आदेश देकर कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति कर दी. कोर्ट कमिश्नर के साथ दोनों पक्षों के वकील 19 नवंबर को विवादित जुमा मस्जिद में सर्वेक्षण के लिए गए और सर्वेक्षण का कार्य भी किया. सर्वेक्षण के शेष बचे कार्यों को पूरा करने के लिए 24 नवंबर को कोर्ट कमिश्नर पुनः विवादित जुमा मस्जिद में पहुंचे. सुंनयोजित षड्यंत्र के अंतर्गत विवादित मस्जिद से लाउडस्पीकर द्वारा घोषणा करके समुदाय विशेष के लोगों की भीड़ एकत्र की गई, जिसने कोर्ट कमिश्नर, हिंदू पक्ष के अधिवक्ताओं और पुलिस पर जान लेवा हमला किया गया. परिणामस्वरूप चार लोगों की मौत हो गई और 29 पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए. पुलिस ने हिंसा के सिलसिले में समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और मस्जिद समिति के प्रमुख ज़फर अली के खिलाफ मामला दर्ज किया, साथ ही 2,750 अज्ञात लोगों के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की. इनमें कई वांछित अपराधियों को जेल भेजा जा चुका है और अनेक अभी भी फरार चल रहे हैं.

450 पन्नों की न्यायिक आयोग की रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी गई है जिसमें न केवल 24 नवंबर 2024 को हुई हिंसा का विस्तृत विवरण दिया गया है बल्कि अब तक हुई प्रमुख हिंसात्मक घटनाओं और दंगों का भी वर्णन किया गया है. इसमें बताया गया है कि संभल में हिंदुओं की आबादी बहुत तेजी से घट रही है. स्वतंत्रता के समय 1947 में संभल में हिंदुओं की आबादी 45% से अधिक थी जो 2025 में घटकर केवल 15% रह गई है. इन 78 सालों में 30% कम हुई हिंदू आबादी का कारण है, आजादी के बाद 1947, 1948, 1953, 1958, 1962, 1976, 1978, 1980, 1990, 1992, 1995, 2001, 2019 में 15 से अधिक सुनियोजित दंगों में किए गए हिंदू नरसंहार की घटनाये, भयाक्रांत हिंदुओं का पलायन, और जबरन धर्मांतरण. 1978 के दंगे के बाद हिंदुओं की संख्या तेजी से घटती चली गई। रिपोर्ट में हरिहर मंदिर के ऐतिहासिक अस्तित्व के साक्ष्य मिलने का वर्णन किया गया है। बाबर के समय से हिंदुओं के लगातार दमन, जनसंख्या बदलाव, सुनियोजित दंगे, आतंकी नेटवर्क, तथा नशे के कारोबार सहित कई गैर कानूनी कार्यों का भी वर्णन किया गया है. संभल में दंगों का आयोजन हिंदुओं की संपत्तियों पर कब्जा करने, डरा धमकाकर उन्हें पलायन करने के लिए विवश करने और जबरन धर्मांतरण करने के लिए किया जाता था. संभल कई सारे आतंकवादी संगठनों का अड्डा बन चुका है. दंगों में विदेशी हथियारों का प्रयोग किया गया था, इसके साक्ष्‍य भी न्‍यायिक आयोग को मिले हैं।

रिपोर्ट में इस बात का स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर रहमान वर्क ने उकसाने वाला भाषण दिया और मुसलमान से कहा कि वह इस देश के मालिक हैं. संभल की जामा मस्जिद हमारी थी, हमारी है और हमारी रहेगी, वह इसे बाबरी मस्जिद की तरह छीनने नहीं देंगे. रिपोर्ट में संभल को आतंकी संगठनों के अड्डे के तौर पर चिन्हित किया गया है. अलकायदा और हरकत-उल-मुजाहिद्दीन जैसे संगठनों की गतिविधियों का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि अवैध हथियार और नशे के कारोबारी बहुत पहले से सक्रिय हैं. अमेरिका ने जिस मौलाना आसिम उर्फ सना-उल-हक को आतंकवादी घोषित किया था, उसका सम्बन्ध भी सम्भल से बताया गया है.

24 नवंबर 2024 को जिस दिन हिंसा हुई थी उस दिन एक बड़ा दंगा आयोजित करने की योजना बनाई गई थी जिसके लिए बाहर से भी उपद्रवियों को बुलाया गया था, लेकिन भारी मौजूदगी से बड़ा नुकसान टल गया। यह भी सामने आया है कि दंगों की आड़ में हिंदुओं के धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया गया. संभल के 68 तीर्थ स्थलों और 19 पावन कूपों पर कब्जे की घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि यह सब योजनाबद्ध तरीके से किया गया. हरिहर मंदिर पर कब्जे के प्रयासों का भी जिक्र है. योगी सरकार ने इन तीर्थ स्थलों और पावन कूपों के पुनरुद्धार के लिए योजना बना कर 30 मई 2025 को इसका शिलान्यास भी कर दिया है .

न्यायिक आयोग की रिपोर्ट में 24 नवंबर 2024 को हुई हिंसक घटना से सम्बंधित साक्ष्यों के अतिरिक्त, सब कुछ पहले से ही उपलब्ध है जिसे लगातार राजनीतिक कारणों से अनदेखा किया जाता रहा है.

संभल स्थित हरिहर मंदिर का महत्व यह है कि पौराणिक वर्णन के अनुसार यहां पर कलयुग में भगवान विष्णु का कलकी अवतार होना है. इस कारण इस मंदिर का पौराणिक और अत्यंत धार्मिक महत्व हजारों वर्षो से है, जिसके कारण ही उसे बाबर के सिपह-सालार द्वारा तोड़ा गया था. इतिहास में इसका वर्णन है. सबसे प्रमाणिक वर्णन सीताराम गोयल ने अपनी पुस्तक “हिन्दू टेम्प्ल व्हाट हैपनड टू देम” में किया है. इसमें संदेह की कोई गुंजाइश नहीं है कि हरि मंदिर को तोड़कर ही जुम्मा मस्जिद का निर्माण किया गया था. यह विवादित मस्जिद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के स्वामित्व में है लेकिन राजनीतिक संरक्षण में स्थानीय मुसलमानो ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के कर्मचारियों को खदेड़ दिया. आज पुरातत्व विभाग का कोई भी कर्मचारी मस्जिद के अंदर घुसने की हिम्मत नहीं कर सकता. षड्यंत्र के तहत ऐसा करने का कारण यह था ताकि मस्जिद के अंदर मनचाहा नया निर्माण करवाया जा सके. मस्जिद की इंतजामियां समिति ने दीवारों पर मोटा प्लास्टर करवा कर उनपर अंकित देवी देवताओं के चित्रों और हिंदू प्रतीक चिन्हों को ढकवा दिया. बाहरी दीवारों पर ऐसे रासायनिक रंग रोगन की पुताई करवा कर उस पर उकेरे गए हिंदू प्रतीक चिन्हों को ढकने के साथ-साथ उसे अत्यंत कमजोर बना देने का कार्य किया ताकि वह आसानी से टूट कर गिर जाए और फिर उसकी जगह नया निर्माण करवाया जा सके. मस्जिद परिसर के अंदर पवित्र कूप स्थित है जहां पर शादी -विवाह के समय हिंदू अपनी रस्म अदायगी करने जाते थे लेकिन मुलायम सिंह की तत्कालीन सरकार के समय इसे बंद करवा दिया गया. देवी देवताओं की मूर्तियों के कक्ष के बाहर नई दीवारे खड़ी करके उन्हें स्थाई रूप से ढक दिया गया. न्यायिक सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसा के बाद गस्त के दौरान पुलिस को कई हिंदू मंदिर, कूप और तीर्थ स्थल मिले, जिनमें कई का जीर्णोद्धार किया जा चुका है. पवित्र तीर्थ और कूपों के संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री योगी ने योजना बना कर कार्य शुरू किया है, जो सनातन संस्कृति के संरक्षण की दिशा में किया गया प्रशंसनीय कदम है.

जहां तक संभल में जनसंख्या परिवर्तन का प्रश्न है, यह स्थिति पूरे भारत अनेक स्थानों की है. गजवा-ए-हिंद के षड्यंत्र के अंतर्गत भारत को जल्द से जल्द इस्लामी राष्ट्र बनाने के लिए जनसंख्या परिवर्तन एक महत्वपूर्ण एजेंडा है जिसके लिए, अधिक से अधिक संताने उत्पन्न करने के साथ-साथ अवैध घुसपैठ को जिहादी हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. एक मुस्त वोटो के लालच में भारत के ज्यादातर राजनीतिक दल तुष्टिकरण में इतना गिर चुके हैं कि उन्हें भारत के इस्लामिक राष्ट्र हो जाने की की चिंता नहीं है. गांधी और नेहरू ने गजवा-ए-हिंद के अनुपालन में ही भारत के विभाजन और पाकिस्तान बनाने का कार्य किया था. विभाजन के बाद भी कालांतर में हिंदुस्तान को इस्लामिक राष्ट्र बनाने के लिए इसे धर्मनिरपेक्षता की धर्मशाला बना दिया और मुसलमानों को पाकिस्तान जाने नहीं दिया. यह सब भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाने के कांग्रेस के कुत्सित षडयंत्र का हिस्सा है. भाजपा को यदि अपवाद माना जाए तो आज स्थिति यह है कि सभी दल किसी न किसी रूप में गजवा ए हिंद के लिए ही काम कर रहे हैं लेकिन कांग्रेस हिन्दू विरोधी मुस्लिम संगठन के रूप में कार्य कर रही है जिसका उद्देश्य भारत को जल्दी से जल्दी इस्लामिक राष्ट्र बनाना है.

देर तो बहुत हो चुकी है लेकिन अभी भी कुछ न कुछ किया जा सकता है जिसके लिए सभी राष्ट्रभक्तों को एक जुट होकर पाशविक शक्तियों से संघर्ष करना होगा. अन्यथा जब भारत ही नहीं बचेगा तो संभल, अयोध्या, काशी और मथुरा कैसे बच पाएंगे?

~~~~~~~~~~~~~~~~~~शिव मिश्रा ~~~~~~~~~~~~`

और ……अब हलाल टाउनशिप !

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