पेगासस स्पाई वेयर और विपक्ष का हंगामा
दिनों दिन भारतीय राजनीति का बदरंग चेहरा और विकृत स्वरूप सामने आ रहा है. ज्यादातर राजनीतिक दलों को केवल अपनी चिंता सता रही है, शायद ही किसी को देश की चिंता हो ? अगर चिंता होती तो क्या देश के राजनीतिक दल जो संविधान और देश के प्रति निष्ठावान होने की शपथ लेते हैं वह अंतरराष्ट्रीय साजिश का एक हिस्सा बन जाते ?
संसदीय हंगामा -
संसद के मानसून अधिवेशन का पहला दिन ही जासूसी कांड के हंगामे की भेंट चढ़ गयाऔर परंपरा के अनुरूप प्रधानमंत्री अपने नवनियुक्त मंत्रियों का परिचय भी सदन में नहीं करा सके. हंगामें का मुख्य कारण था गार्जियन अखबार में एक दिन पहले छपी रिपोर्ट जिसमें कहा गया था कि इजरायली कंपनी एनएसओ के पेगासस सॉफ्टवेयर से भारत में कथित तौर पर 300 से ज्यादा हस्तियों के फोन हैक किए जाने का संदेह है. वैसे भी सत्र को हंगामा पूर्ण करने के लिए विपक्षी राजनीतिक दलों ने पहले कहीं कमर कस ली थी. दावा किया जा रहा है कि जिन लोगों के फोन टैप किए गए उनमें कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और प्रह्लाद सिंह पटेल, पूर्व निर्वाचन आयुक्त अशोक लवासा और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर सहित कई पत्रकार भी शामिल हैं।
सरकार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है और रिपोर्ट जारी होने की टाइमिंग को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं। इस रिपोर्ट पर चर्चा की जाए अगर हम भारत के विपक्षी राज नेताओं के बयानों पर नजर डालें तो इस स्थिति स्पष्ट हो जाती है कि रिपोर्ट कहां से आई क्यों आए और इसका उद्देश्य क्या है?
राहुल गांधी की जासूसी की खबर से भड़की कांग्रेस ने कहा- गृहमंत्री अमित शाह को तुरंत बर्खास्त किया जाए. रणदीप सिंह सूरजेवाला ने कहा कि सरकार ने जासूसी करा कर देशद्रोह किया है. इजरायल के पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए जज, नेताओं आदि की जासूसी कराई जा रही है जो संविधान के मौलिक अधिकारों पर हमला है. इसके बाद तो जैसे विरोध की झड़ी लग गई बहती गंगा में सपा, बसपा, शिवसेना, तृणमूल कांग्रेस और वामपंथी दल भी कूद पड़े.
इमरान भी हलकान -
कांग्रेश के मोदी सरकार पर आरोपों के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी उसमें शामिल हो गए और उन्होंने कहा उनका फोन भी भारत सरकार ने टेप करवा कर जासूसी की है
सरकार का पक्ष
भारत सरकार ने कहा है कि सरकार पर कुछ लोगों की जासूसी का आरोप निराधार और सत्य से परे है. बयान में कहा गया है कि इससे पहले भी इस तरह का दावा किया गया था, जिसमें वाट्सएप के ज़रिए पेगासस के इस्तेमाल की बात कही गई थी. वो रिपोर्ट भी तथ्यों पर आधारित नहीं थी और सभी पार्टियों ने दावों को खारिज किया था. वाट्सएप ने तो सुप्रीम कोर्ट में भी इन आरोपों से इनकार कर दिया था.
उस समय आईटी मंत्री ने इस पर विस्तार से संसद में बयां दिया था कि अनधिकृत तरीके से सरकारी एजेंसी द्वारा किसी तरह की कोई टैपिंग नहीं की गई है. इंटरसेप्शन के लिए सरकारी एजेंसी प्रोटोकॉल के तहत ही काम करती है. टैपिंग का काम किसी बड़ी वजह और राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनज़र ही किया जाता है. ये खबर भारतीय लोकतंत्र और इसके संस्थानों को बदनाम करने के अनुमानों और अतिश्योक्ति पर आधारित है. सरकार ने अपने जवाब में साफ़ किया है कि छापी गयी रिपोर्ट बोगस है और पूर्वाग्रह से ग्रसित है.
क्या है छुपा अजेंडा ?
यह बात बताना भी सामयिक होगा कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में विपक्ष बहुत हताश है और खास तौर से कांग्रेसी बिल्कुल दीन हीन मुद्रा में आ गई है. मोदी सरकार ने देश के लिए कुछ बहुत अच्छे कार्य किए हैं लेकिन ऐसा भी नहीं है कि पूरा देश बहुत गदगद है लेकिन भारत में मीडिया गैर सरकारी संगठन नौकरशाह और बुद्धिजीवियों का एक ऐसा बड़ा वर्ग जो में सरकार के पैसे से ऐशो आराम की जिंदगी जीता था, अब उसका जीना हराम हो गया है . इसलिए स्वाभाविक है कि इन सरकारजीवियों और परजीवियों के साथ साथ कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल, किसी भी तरह मोदी सरकार को घेरने, बदनाम करने और पदच्युत करने के लिए कुछ भी करने को तैयार है. ऐसी कई रिपोर्ट सामने आई है जिनसे पता चलता है कि एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय साजिश मोदी सरकार के विरुद्ध रची गई है जिसका उद्देश्य मोदी सरकार को जितना जल्दी संभव हो चलता करना है. ऐसी ही एक साजिश के तहत अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को चलता किया गया था और उसके बाद जो भी आंदोलन अमेरिका में दिखाई पड़ रहे थे वह स्वत: शांत हो गए. ऐसी भी सूचना है कि इस अंतरराष्ट्रीय साजिश में चीन एक बड़े खिलाड़ी के रूप में शामिल है और पाकिस्तान उसके इशारे पर उल जलूल हरकतें कर रहा है . वामपंथी और इस्लामिक गठजोड़ किसी भी कीमत पर मोदी को हटाने के लिए पूरी तरह कमर कस चुका है. इस पूरी मुहिम में कुछ बड़े मीडिया हाउस जुड़े हुए हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वाशिंगटन पोस्ट, गार्जियन, न्यूयोर्क टाइम्स और राष्ट्रीय स्तर पर भी कई मीडिया हाउस जुड़े हुए हैं. यह पूरा गठजोड़ इस तरह से काम करता है कि किसी भी मुद्दे के आधार पर पूरे देश में वातावरण तैयार किया जाता है और उसके लिए ट्विटर, फेसबुक और व्हाट्सएप सहित सोशल मीडिया का भरपूर इस्तेमाल किया जाता है.
हाल ही में घटित कुछ घटनाएं जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मीडिया सोशल मीडिया, वामपंथ और इस्लामिक गठजोड़ तथा राजनीतिक दल शामिल हैं.
संशोधित नागरिकता कानून के मुद्दे पर देशव्यापी प्रदर्शन और शाहीन बाग शो को संपूर्ण विपक्ष द्वारा समर्थन देना
ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान दिल्ली को दंगों से दहलाना और सभी विपक्षी दलों द्वारा दंगों के लिए मोदी सरकार को घेरना
कृषि कानूनों के विरुद्ध किसान आंदोलन और सभी विपक्षी दलों द्वारा समर्थन
इन दोनों ही आंदोलनों के पीछे टूल किट का प्रयोग
सेंट्रल विस्ता प्रोजेक्ट का अंतराष्ट्रीय स्तर विरोध - वाशिंगटन पोस्ट और गार्जियन में भ्रामक लेख
कोरोना महामारी के दौरान कांग्रेस, आप सहित ज्यादातर विपक्षी दलों द्वारा बेहद निम्न स्तर की राजनीति
कोरोना वैक्सीन पर नकारात्मकता फैलाकर लोगों को वैक्सीन लेने से रोकना
वैक्सीन की कमी पर केंद्र सरकार को घेरना
ऑक्सीजन तथा स्वास्थ्य संसाधनों की कृत्रिम कमी पैदा कर या दिखाकर लोगों की जान माल से खिलवाड़ की कीमत पर मोदी सरकार को बदनाम करने का प्रबंध करना
भारत के श्मशान घाट और गंगा में बहती हुई लाशों के फोटो अंतरराष्ट्रीय मीडिया में प्रचारित और प्रसारित करना, बहुत से पुरानी फोटो इस्तेमाल करके सनसनी पैदा करना
अंतरराष्ट्रीय मीडिया की भूमिका -
अगर इन सब को ध्यान से देखा जाए तो यह कहीं न कहीं एक टूल किट से अंतरराष्ट्रीय मीडिया वामपंथ इस्लामिक गठजोड़ और भारत के विपक्षी राजनीतिक दलों को आपस में जोड़ता दिखाई पड़ेगा. इस अंतरराष्ट्रीय साजिश में वाशिंगटन पोस्ट, गार्जियन और न्यूयॉर्क टाइम्स ने मीडिया पार्टनर की भूमिका अदा की और कभी-कभी तो चीन के ग्लोबल टाइम्स और इन सभी अखबारों की एक ही लाइन होती है.
गार्जियन ने अपने अखबार की हेडलाइंस में राहुल गांधी को मोदी का मुख्य प्रतिद्वंदी बताया है और पहले पन्ने पर राहुल की मोदी के साथ तस्वीर है. गार्जियन के एक अंक में राहुल की मुख्य तस्वीर है और मोदी को उनके पीछे खड़ा दिखाया गया है. वहीं दूसरे अंक में राहुल की तस्वीरों के कोलार्ज प्रकाशित किए गए हैं और हेडिंग में लिखा है “भारत में स्पाइवेयर के खुलासे पर विपक्ष ने मोदी पर लगाया देशद्रोह का आरोप”
वाशिंगटन पोस्ट ने अपने 19 जुलाई के अंक में लिखा कि पेगासस स्पाइवेयर आतंकवाद से लड़ने के लिए सरकारों को बेचा जाता है लेकिन भारत में इसका इस्तेमाल पत्रकारों और अन्य लोगों को हैक करने के लिए किया गया है . इसके मुख्य पृष्ठ पर राहुल और प्रियंका का रोड शो करते हुए चुनाव की भीड़ की फोटो दिखाई गई है जिसमें उनकी लोकप्रियता को रेखांकित करने की कोशिश की गई है.
‘द वायर’ अपनी हेडलाइंस में लिखता है, “लीक डेटा बताता है कि एल्गार परिषद मामले में हद से ज्यादा निगरानी की गई है।” द वायर के अन्य शीर्षक में कहा गया है, “जासूसी वाली सूची में 40 भारतीय पत्रकार हैं, फोरेंसिक जाँच से पेगासस स्पाइवेयर की उपस्थिति की पुष्टि हुई ।”
सनसनी फ़ैलाने के लिए रिपोर्ट्स को तोड़मरोड़ के प्रस्तुत किया गया है.
किसने तैयार की रिपोर्ट ?
फ्रांस की संस्था फोरबिडेन स्टोरीज ( Forbidden Stories) और एमनेस्टी इंटरनेशनल (Amnesty international) ने मिलकर खुलासा किया है कि इजरायली कंपनी एन एस ओ (NSO) के स्पाइवेयर पेगासस के जरिए दुनिया भर की सरकारें पत्रकारों, कानूनविदों, नेताओं और यहां तक कि नेताओं के रिश्तेदारों की जासूसी करा रही हैं. इस जांच को पेगासस प्रोजेक्ट का नाम दिया गया है. इस तथाकथित प्रोजेक्ट की जो पहली रिपोर्ट है उसमें यह दावा किया गया है कि निगरानी वाली लिस्ट में विश्व के 50 हजार लोगों के नाम हैं. पहली लिस्ट में 40 भारतीय नाम हैं. इस रिपोर्ट की सत्यता हमेशा संदिग्ध रहेगी क्योंकि एक तो इस प्रोजेक्ट के पीछे काम करने वाले लोगों की सत्यनिष्ठा ही संदिग्ध है और दूसरा कारण यह है कि इस तरह के स्पाइवेयर के डाटा बेस में जितने भी नंबर पाए जा सकते हैं, जरूरी नहीं कि उनकी जासूसी की गयी हो. बहुत संभव है कि इनमें से अधिकांश नंबर उन फोन के कांटेक्ट लिस्ट में होंगे जिन की निगरानी या जासूसी की गई होगी . इसलिए इस रिपोर्ट को जितना सनसनीखेज बनाकर बताया जा रहा है उतनी गंभीरता नहीं हो सकती है.
इस रिपोर्ट में कितनी सच्चाई है यह अलग विषय है लेकिन विदेशी मीडिया में बनी इन हेडलाइंस से आसानी से समझा जा सकता है कि यह मीडिया भारत में किस राजनैतिक दल के लिए काम कर रही हैं.
अब समझने की कोशिश करते हैं कि पेगासस का ये स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर कैसे काम करता है और इससे क्या निजता भंग हो सकती है ?
क्या है पेगासस सॉफ्टवेर ?
इजरायल की कंपनी एनएसओ साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में काम करती है। दुनिया में बढ़ते अपराध और आतंकवाद को देखते हुए कंपनी ने इस तरह का सॉफ्टवेयर बनाने पर विचार किया जो अपराधियों को पकड़ने में खुफिया एवं सुरक्षा एजेंसियों की मदद करे। इसे ध्यान में रखते हुए कंपनी ने पेगासस सॉफ्टवेयर तैयार किया। कंपनी अपना यह अप्लिकेशन केवल सरकारों को बेचती है। किसी निजी व्यक्ति के हाथ में यह सॉफ्टवेयर नहीं आता। कंपनी अपने इस सॉफ्टवेयर के लाइसेंस के लिए काफी पैसे लेती है।
यह साफ्टवेयर भारत में पहली बार 2019 में उस समय चर्चा में आया था जब कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के वाट्सएप से डाटा चोरी होने की रिपोर्ट सामने आई थी। उस समय सरकार और स्वयं विपक्षी दलों तथा व्हाट्सएप में इसे गलत बताया था और व्हाट्सएप में तो इस आशय का एक हलफनामा भी सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल किया था. यह मामला उसी समय खत्म हो गया था.
पहली बार 2016 में संयुक्त अरब अमीरात के मानवाधिकार कार्यकर्ता पर इस्तेमाल के बाद यह सामने आया था। इसने आइफोन की सुरक्षा को भी तोड़ दिया था। बाद में आइफोन इससे निपटने के लिए अपडेट लाया था। 2017 में सामने आया था कि यह साफ्टवेयर एंड्रायड की सुरक्षा को भी भेद सकता है। यह इकलौता साफ्टवेयर कई जासूसों को मात देने में सक्षम है। इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि सामने वाले को अपने फोन में इसके होने की भनक भी नहीं लगती।
इस तरह कार्य करता है स्पाइवेयर
मोबाइल में एक बग के रूप में खुद को इंस्टाल कर लेता है
यह मोबाइल की काल और हिस्ट्री को भी डिलीट कर सकता है
डाटा चोरी की खबर ना लगे इसके लिए सभी साक्ष्य मिटा देता है
केवल वाईफाई पर ही काम करता है, जिससे किसी को पता न लग सके
वायस काल और वाट्सएप के जरिये भी मोबाइल पर इंस्टाल हो सकता है
एक बार इंस्टाल होने पर मोबाइल पर मौजूद सभी डाटा एक्सेस कर सकता है
इन जानकारियों को देख सकता है
मैसेज और मेल पढ़ सकता है
फोन काल को सुन सकता है
कांटेक्ट की जानकारी ले सकता है
मोबाइल से स्क्रीनशाट ले सकता है
मोबाइल के कैमरा और माइक का इस्तेमाल कर सकता है
यूजर के फोन की रियल टाइम लोकेशन का पता लगा सकता है.
भारत में ही नहीं विश्व में ज्यादातर लोग मुफ्त मिलने वाली चीजों के प्रति बेहद लालची होते हैं, मुफ्त का खाना हो, शराब हो या सॉफ्टवेयर, मुफ्त चीजों का मजा ही कुछ और होता है. ऐसे में लोग मुफ्त के सॉफ्टवेयर भी धड़ल्ले से डाउनलोड कर इस्तेमाल करते हैं और तब आप की जानकारी अपने आप इन एप्लीकेशन के पास जा सकती है. आपकी इस तरह की जानकारी तो गूगल के पास भी है.
लेकिन पेगासस खतरनाक इसलिए है कि यह किसी भी स्मार्टफोन में मिस्ड कॉल या फोन कॉल के माध्यम से बिना अनुमति के इंस्टॉल हो सकता है और यह सामान्यतः यूजर देख भी नहीं सकता है.
लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि ये स्पाई वेयर केवल स्मार्टफोन में ही काम कर सकता है बेसिक फोन में नहीं इसलिए आज भी बेसिक फोन जिन्हें केवल बात करने और मैसेज प्राप्त करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है ज्यादा सुरक्षित होते हैं.
किससे साझा की गयी ये रिपोर्ट ?
पेरिस स्थित गैर-लाभकारी संगठन 'फॉरबिडन स्टोरीज एवं मानवाधिकार समूह 'एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा लीक हुए आंकड़ों के आधार पर बनाई गई है जिसे 16 समाचार संगठनों के साथ साझा की गई है .रिपोर्ट में कहा गया है कि इजराइल स्थित कंपनी 'एनएसओ ग्रुप के सैन्य दर्जे के स्पाइवेयर का इस्तेमाल पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और राजनीतिक असंतुष्टों की जासूसी करने के लिए किया जा रहा है।
वैश्विक मीडिया संघ के सदस्य 'द वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार, जिन लोगों को संभावित निगरानी के लिए चुना गया, उनमें पत्रकार, नेता एवं सरकारी अधिकारी, व्यावसायिक अधिकारी, मानवाधिकार कार्यकर्ता और कई राष्ट्राध्यक्ष शामिल हैं। ये पत्रकार मुख्यतया 'द एसोसिएटेड प्रेस (एपी), 'रॉयटर, 'सीएनएन, 'द वॉल स्ट्रीट जर्नल, 'ले मोंदे और 'द फाइनेंशियल टाइम्स से हैं।
एनएसओ ग्रुप के स्पाइवेयर को मुख्य रूप से पश्चिम एशिया और मैक्सिको में निगरानी के लिए इस्तेमाल किए जाने के आरोप हैं। सऊदी अरब को एनएसओ के ग्राहकों में से एक बताया जाता है। इसके अलावा सूची में फ्रांस, हंगरी, भारत, अजरबैजान, कजाकिस्तान और पाकिस्तान सहित कई देशों के फोन हैं। इस सूची में मैक्सिको के सर्वाधिक फोन नंबर हैं। इसमें मैक्सिको के 15,000 नंबर हैं।
भारत में तथाकथित जासूसी से प्रभावित लोग
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, भाजपा के मंत्रियों अश्विनी वैष्णव और प्रह्लाद सिंह पटेल, पूर्व निर्वाचन आयुक्त अशोक लवासा और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर उन लोगों में शामिल हैं, जिनके फोन नंबरों को इजराइली स्पाइवेयर के जरिए हैकिंग के लिए सूचीबद्ध किया गया था।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे तथा तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद अभिषेक बनर्जी और भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई पर अप्रैल 2019 में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली उच्चतम न्यायालय की कर्मचारी और उसके रिश्तेदारों से जुड़े 11 फोन नंबर हैकरों के निशाने पर थे।
रिपोर्ट के अनुसार सूची में राजस्थान की मुख्यमंत्री रहते वसुंधरा राजे सिंधिया के निजी सचिव और संजय काचरू का नाम शामिल था, जो 2014 से 2019 के दौरान केन्द्रीय मंत्री के रूप में स्मृति ईरानी के पहले कार्यकाल के दौरान उनके विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) थे। इस सूची में भारतीय जनता पार्टी से जुड़े अन्य जूनियर नेताओं और विश्व हिंदू परिषद के नेता प्रवीण तोगड़िया का फोन नंबर भी शामिल था।
‘द गार्डियन’ की ओर 18 जुलाई 2021 की रात जारी इस बहुस्तरीय जांच की पहली किस्त में दावा किया गया है कि 40 भारतीय पत्रकारों सहित दुनियाभर के 180 संवाददाताओं के फोन हैक किए गए। इनमें ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ और ‘मिंट’ के तीन पत्रकारों के अलावा ‘फाइनैंशियल टाइम्स’ की संपादक रौला खलाफ तथा इंडिया टुडे, नेटवर्क-18, द हिंदू, द इंडियन एक्सप्रेस, द वॉल स्ट्रीट जर्नल, सीएनएन, द न्यूयॉर्क टाइम्स व ले मॉन्टे के वरिष्ठ संवाददाताओं के फोन शामिल हैं। जांच में दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक पूर्व प्रोफेसर और जून 2018 से अक्तूबर 2020 के बीच एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार आठ कार्यकर्ताओं के फोन हैक किए जाने का भी दावा किया गया है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ''इस तथाकथित रिपोर्ट के लीक होने का समय और फिर संसद में ये व्यवधान, इसे जोड़कर देखने की आवश्यक्ता है। यह एक विघटनकारी वैश्विक संगठन हैं जो भारत की प्रगति को पसंद नहीं करता है। ये अवरोधक भारत में राजनीतिक खिलाड़ी हैं जो नहीं चाहते कि भारत प्रगति करे। भारत के लोग इस घटना और संबंध को समझने में बहुत परिपक्व हैं।'
इसराइली कंपनी एनएसओ का स्पष्टीकरण
इजरायली कंपनी एनएसओ ने जांच रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि एमनेस्टी इंटरनेशनल और फॉरबिडेन स्टोरीज का डाटा गुमराह करने वाला है। यह डाटा उन नंबरों का नहीं हो सकता है, जिनकी सरकारों ने निगरानी की है। इसके अलावा ये लोग एनएसओ के ग्राहकों की खुफिया निगरानी की गतिविधियों से वाकिफ नहीं है।
कंपनी ने इस बात का बिल्कुल भी खुलासा नहीं किया कि उनका यह सॉफ्टवेयर कैसे काम करता है? और यह बहुत स्वाभाविक भी है क्योंकि कई बार वैश्विक संगठन झूठ रिपोर्ट बना कर न केवल इस तरह के महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर या वैज्ञानिक कार्य की टोह लेने की कोशिश करते हैं, बल्कि उस कंपनी को ब्लैकमेल कर पैसा एंठने का काम भी करते हैं.
इसमें कोई कोइ दो राय नहीं हो सकती कि इजराइल साइबर सुरक्षा के सॉफ्टवेयर के मामले में विश्व में अग्रणी है और इस क्रम में पेगासस स्पाइवेयर काफी अच्छा सॉफ्टवेयर है जिसे जासूसी के क्षेत्र में अचूक माना जाता है। तकनीक जानकारों का दावा है कि इससे व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे एप भी सुरक्षित नहीं, कि यह फोन में मौजूद एंड टू एंड एंक्रिप्टेड चैट को भी पढ़ सकता है। लेकिन इसकी पुष्टि अभी तक नहीं हो सकी है.
इस तरह की मीडिया रिपोर्ट ने इस सॉफ्टवेयर को विश्व में सर्वश्रेष्ठ स्पाइवेयर के तौर पर प्रतिष्ठित कर दिया है और मुद्दा विहीन भारतीय विपक्ष को एक मुद्दा दे दिया है.
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शिव मिश्रा