सोमवार, 11 अप्रैल 2022

गांधी- नेहरु के प्रति ओगों में गुस्सा बढ़ रहा है

 


मोहनदास करमचंद गांधी जी कांग्रेस के कृत्रिम रूप से बनाए हुए पैगंबर हैं, जिन्हें कांग्रेस ने अपने कुकृत्यों और गांधी के गुनाहों पर पर्दा डालने के लिए पैगंबर बनाया है. गांधी ने हिंदुओं, सनातन संस्कृति और अखंड भारत की कीमत पर नेहरू को लाभ पहुंचाया और इसलिए नेहरू ने भी गांधी को देव तुल्य बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. षड्यंत्र के तहत नेहरू और गांधी की छवि निखारने के लिए इतिहास से छेड़छाड़ की गई, महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब किए गए, अंधाधुंध धन खर्च करके पब्लिसिटी स्टंट किया गया. इस कारण हम सभी ने होश संभालते ही गांधी को जहां कहीं भी पढ़ा, सुना देव तुल्य ही बताया गया . इसलिए गांधी के प्रति श्रद्धा और सम्मान जीवन रक्षक दवा के रूप में हमारे व्यक्तित्व में जबरदस्ती इंजेक्शन लगा कर डाला गया है.

बदलते वैश्विक परिवेश में सूचना प्रौद्योगिकी की व्यापकता के कारण बहुत सी ऐसी गोपनीय सूचनाएं और दस्तावेज जो आम आदमी की पहुंच से बाहर थे, सार्वजनिक हो गये हैं. लोगों को अब समझ में आ गया है कि राम और कृष्ण के इस देश में जहां राम और कृष्ण को भी धरती पुत्र माना जाता है, वहां राम को आराध्य मानने वाले एक व्यक्ति को राष्ट्रपिता घोषित कर दिया जाना एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा है. आज लोगों को यह पाखंड समझ में आ रहा है. गांधी के सत्य और ब्रह्मचर्य के विवादास्पद प्रयोगों को छोड़ भी दिया जाए, तो भी उनके मन वाणी और कर्म में कहीं सामंजस्य नहीं दिखाई पड़ता.

हाल के वर्षों में बहुत से दस्तावेज ब्रिटिश सरकार द्वारा सार्वजनिक किये गए हैं और भारत सरकार ने भी बहुत सारे दस्तावेज सार्वजनिक किए हैं, जिनमें गांधी के बारे में बहुत से ऐसे नए तथ्य सामने आए हैं जिनसे लोग हैरान हैं. स्वयं गांधी द्वारा लिखित किताबें मेरी आत्मकथा , सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय, उनकी पोती मनु की डायरी और उसके द्वारा द्वारा लिखित किताबें, सिलेक्टेड वर्क्स ओन नेहरू, विभाजन के गुनाहगार ( डॉ राम मनोहर लोहिया), वेक अप इंडिया (एनी बेसेंट), पकिस्तान या भारत का विभाजन ( आंबेडकर) आदि पुस्तकें अगर कोई व्यक्ति पढ़ ले तो गांधी के बारे में उसका मिथक टूट जाएगा.

इसलिए जैसे जैसे लोगों को गांधी की असलियत मालूम होती जा रही है, उनके लिए अभद्र भाषा का प्रयोग बढ़ता जा रहा है, जिसे बिल्कुल भी उचित नहीं कहा जा सकता और मैं इसका समर्थन भी नहीं कर सकता लेकिन ये बढ़ता जायेगा इसे कोइ भी रोक नहीं सकता . गांधी के व्यक्तित्व में बहुत सारी अच्छाइयां भी होंगी और उनके प्रति मेरे मन में भी बहुत सम्मान है लेकिन तथाकथित गांधी वादियों द्वारा जिस तरह का गांधी युद्ध सोशल मीडिया पर लड़ा जा रहा है उसकी प्रतिक्रिया स्वरूप मुझे डर है कि भारत में कभी वह दिन न आ जाए जब लोग रावण और मेघनाथ की तरह गांधी और नेहरू के पुतले न जलाना शुरू कर दें, तब रावण की तरह ही लोग गांधी नेहरु की सार्वजानिक रूप से प्रशंशा करने की हिम्मत नहीं जुटा पाएंगे.

विश्व के अन्य देशों के लोगों को गांधी के बारे में उतना ही मालूम है जितना बिना पढ़े हम नेलसन मंडेला, मार्टिन लूथर किंग,अब्राहम लिंकन, जुलियस सीजर, रूजवेल्ट आदि को जानते हैं. उनके मन में गांधी के प्रति कोइ दुर्भावना इसलिए भी नहीं होगी क्यों कि गांधी ने उनका कुछ नहीं बिगाड़ा लेकिन हर जागरूक हिन्दू जनता है कि गांधी ने इस देश को विशेषतया हिन्दुओं को जितना नुकशान किया उतना सभी विदेशी आक्रान्ता और अंग्रेज मिलकर भी नहीं कर सके. इससे सबके बाद ये अपेक्षा करना कि लोग उन्हें देवतुल्य मानकर पूजें, ये संभव नहीं हो सकता. किसी भी व्यक्ति से श्रद्धा और सम्मान जबरदस्ती नहीं नहीं वसूला जा सकता.

सोचिये गांधी की इतनी महानता और अनेक सिफारिशों के बाद भी उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार क्यों नहीं मिल सका ? जबकि पिस्टल लगाकर चलने वाले यासिर अराफात को ये पुरस्कार दिया गया. अपनी छवि बनाने के लिए देश और सनातन संस्कृति को दांव पर लगाने वाले नेहरू का नाम भी कम से कम २० बार नोबेल पुरस्कार के लिए भेजा गया, लेकिन नहीं मिल सका. नेहरु ने भारत रत्न खुद अपने आप को दे दिया.

उए उचित समय है जब हमें देश के वास्तविक नायकों को जानने और समझना चाहिए और देश विरोधी सनातन विरोधी व्यक्तियों से हमेशा सतर्क रहना चाहिए. जिन्होंने देश तोड़ा, हिन्दुओं और सनातन संस्कृति के विरुद्ध काम किया, उन्हें दुनिया कुछ भी कहे, वे हमारे नायक नहीं हो सकते.

सन्दर्भ - मेरी आत्मकथा - गांधी , सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय, ( भारत सरकार प्रकाशित ), मनु की डायरी, सिलेक्टेड वर्क्स ओन नेहरू, ( भारत सरकार प्रकाशित ), विभाजन के गुनाहगार ( डॉ राम मनोहर लोहिया), वेक अप इंडिया (एनी बेसेंट), पकिस्तान या भारत का विभाजन ( डॉ भीम राव आंबेडकर )


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