सच का सामना : दि केरल स्टोरी
सुदीप्तो सेन द्वारा निर्देशित और अम्रत लाल साह द्वारा
निर्मित फ़िल्म “दि केरल स्टोरी” ने एक बार फिर वैसा वातावरण तैयार कर दिया है जैसा
“दि कश्मीर फाइल्स” रिलीज होने के समय बन गया था. छद्म धर्मनिरपेक्षतावियों के नेतृत्व
में वामपंथी और इस्लामिस्ट गठजोड़ इस फ़िल्म का कुतर्कों के सहारे पुरज़ोर विरोध कर
रहा है और लव जिहाद तथा धर्मांतरण जैसे मुद्दों को सिरे से नकार रहा है. कांग्रेस
और वामपंथी पार्टियां पहले से ही इस फ़िल्म का विरोध कर रही हैं. जनहित याचिकाओं के
माध्यम से इस फ़िल्म पर रोक लगाने की मांग की गई है. याचिकाकर्ताओं का दावा है कि
इस फ़िल्म के रिलीज होने से सामाजिक सद्भावना का तानाबाना छिन्न भिन्न हो जाएगा. यद्यपि
कोई वैध कारण न होने के कारण सर्वोच्च न्यायालय ने इस पर रोक लगाने से इनकार कर
दिया है.
फ़िल्म दि केरल स्टोरी के बारे में बताया गया है कि यह
सत्य घटनाओं पर आधारित है, जिसके अनुसार लगभग 32 हजार लड़कियों को इस्लाम में
धर्मांतरित किया गया है. फ़िल्म कश्मीर फाइल्स में जहाँ कश्मीर घाटी में हिंदुओं के
वीभत्स नरसंहार का सांकेतिक चित्रण किया गया था ताकि कश्मीर से हिंदुओं का पलायन करवाकर मुस्लिम बाहुल्य बनाकर भारत से अलग किया जा सके, वही केरल स्टोरी
में सांकेतिक रूप से बताने की कोशिश की गई है कि कैसे हिंदू और क्रिश्चियन लड़कियों
को केरल में लव जेहाद और जबरन धर्मांतरण द्वारा मुस्लिम बनाया जा रहा है. इनमें बहुतों
को आईएसआईएस जैसे खतरनाक आतंकवादी संगठनों में कार्य करने के लिए इराक और सीरिया
भेजा जा रहा है जहाँ उन्हें सेक्स गुलाम के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. बाकी
को जनसंख्या बढ़ाने की फैक्टरी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.
इस फ़िल्म द्वारा लव जिहाद और धर्मांतरण के घृणित षड्यंत्र
के बारे में जन जागरूकता बढ़ेगी और वर्ग विशेष की जनसंख्या बढ़ाने के षड्यंत्र का
पर्दाफाश होगा, इसलिए इस पर हो हल्ला मचना बहुत स्वाभाविक है. विरोध करने वाले
ज्यादातर लोग लव जिहाद और धर्मांतरण से इनकार नहीं करते, उनका विरोध 32 हजार की
बड़ी संख्या को लेकर है. ऐसे लोग ये भूल जाते हैं कि इस समय केरल की लगभग 3.5 करोड़
(2023 की प्रोजेक्टेड) की जनसंख्या में मुस्लिमों की संख्या लगभग 1 करोड़ है, जिसमे
55 लाख से अधिक संख्या मुस्लिम महिलाओं की है. ये सभी धर्मांतरित हिंदू ही है. इसलिए
32 हजार की संख्या ज्यादा नहीं, बहुत कम है. यह संख्या कितने अंतराल की है, ये
ज्यादा महत्वपूर्ण है.
भारत में लंबे समय से धर्मांतरण किया जा रहा है जिसके
लिए तरह तरह की योजनायें और तिकड़में इस्तेमाल की जा रही है. लव जिहाद भी इनमें से
एक है, जो कथित तौर पर मुस्लिम पुरुषों द्वारा गैर-मुस्लिम
महिलाओं को झूठे प्रेम जाल में फंसाकर इस्लाम में धर्मान्तरित करने का षड्यन्त्र है. केरल भारत में इस्लाम की प्रयोगशाला है, जो स्वतंत्रता के पहले से ही कट्टरपंथियों
का पोषण करती आई है. अध्ययन में
यह बात सामने आई है कि लव जेहाद का उद्देश्य अन्य धर्मों की युवा महिलाओं का उपयोग
जनसंख्या बढ़ाने की फैक्टरी के तौर पर करना है ताकि जल्दी से जल्दी आबादी बढ़ाकर देश
पर कब्जा किया जा सके. लव जिहाद का एक फायदा यह भी होता है कि इससे दूसरे समुदाय
में युवा महिलाओं की संख्या कम हो जाती है जिससे उस समुदाय की जनसंख्या वृद्धि अपने
आप कम हो जाती है. इसके लिए बड़ी मात्रा में धन विदेशों से प्राप्त होता है, जिससे लव
जेहाद का नाटक करने वाले युवकों को काफी पैसा दिया जाता है ताकि वह न केवल अपने
उपयोग के लिए महंगे महंगे सामान खरीद सकें बल्कि दूसरे समुदाय की लड़कियों को अपने
जाल में फंसाने के लिए महंगे उपहार भी दे सके. इसी षड्यंत्र के अंतर्गत वर्ग विशेष
के फिल्मी कलाकार और सामाजिक रूप से प्रतिष्ठित व्यक्ति हिन्दू समुदाय की लड़कियों
से ही शादी करके मुस्लिम युवकों के लिए उदाहरण प्रस्तुत करते हैं. हिंदी फ़िल्म जगत
के अनेक नामचीन चेहरे इसके कुख्यात उदाहरण हैं.
अब केरल ही नहीं, लव जेहाद ने पूरे उत्तर
भारत को अपनी चपेट में ले लिया है. मामले कम रिपोर्ट होने के बाद भी उत्तर भारत से
प्रकाशित समाचार पत्र इस तरह की खबरों से भरे रहते हैं. भारत का लचर संवैधानिक और
कानूनी ढांचा भी इसके लिए काफी हद तक जिम्मेदार है और समान नागरिक संहिता न होना भी
देश के लिए अभिशाप शाबित हो रहा है.
केरल की कैथोलिक बिशप काउंसिल के अनुसार 2009 में 4500 से अधिक क्रिश्चियन लड़कियों का धर्मांतरण
इस्लाम में किया गया था. कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले की हिंदू जनजागृति समिति ने
दावा किया था कि 30,000 हिन्दू युवतियों को लव जेहाद में फंसाकर
धर्मांतरित किया गया है. कर्नाटक पुलिस ने भी स्वीकार किया था कि 400-500 लड़कियों
की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी. पुलिस की एफआईआर दर्ज करने की कार्य
प्रणाली से समझा जा सकता है कि वास्तविक मामलों की संख्या कितनी होगी.
2009 में केरल हाई कोर्ट ने लव जेहाद की अवधारणा को
बिल्कुल सही पाया और पुलिस को विस्तृत जांच करने का आदेश के साथ साथ सरकार को लव
जेहाद के विरुद्ध कानून बनाने का भी निर्देश दिया. न्यायालय को
सौंपी गयी पुलिस रिपोर्ट के अनुसार नेशनल
डेमोक्रेटिक फ्रंट, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, सिमी आदि केरल के स्कूल और कॉलेजों में सक्रिय होकर लव जेहाद को
अंजाम दे रहे हैं. पिछले दो सालों में 4 से 6 हजार संपन्न घर की हिंदू और क्रिश्चियन लड़कियों को
धर्मांतरित किया गया है. उच्च न्यायालय ने अखिला अशोकन से धर्मांतरित होकर हदिया बनी कोयम्बटूर की
एक मेडिकल छात्रा का एक मुस्लिम युवक से किया
गया निकाह रद्द कर दिया था क्योंकि उसका कथित पति प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन का सदस्य था और आतंकवादी गतिविधियों में संलग्न था. हदिया को उसके माता पिता को सौंप दिया गया लेकिन
सर्वोच्च न्यायालय ने इस निकाह को पुन: वैधता प्रदान कर दी. केरल उच्च न्यायालय ने
जहाँ लव जिहाद को उसकी जड़ में नष्ट करने का प्रयास किया था, वही सर्वोच्च न्यायालय
ने लव जेहाद को जीवन दान दे दिया. आतंकवाद से संबंधित होने के कारण सर्वोच्च
न्यायालय ने एनआइए से जांच कराने का आदेश जरूर दिया था लेकिन उसने कभी भी एनआईए की
रिपोर्ट का न तो संज्ञान लिया और न ही उस पर कोई कार्रवाई की.
जून 2010 में केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमान चांडी ने विधानसभा में एक लिखित उत्तर में
बताया था कि 2009 से 2012 के बीच में 2667 लड़कियों को इस्लाम में धर्मांतरित किया
गया था जिसमें से 2195 हिंदू और 492 क्रिश्चियन थी. केरल के ही एक मुख्यमंत्री वी
एस अच्युतानंदन ने पीएफआई पर आरोप लगाया था कि उसने अगले 20 वर्षों में केरल को
अलग इस्लामिक राष्ट्र बनाने की योजना बनाई है. उन्होंने ये भी आरोप लगाया था कि
पीएफआई राज्य में दूसरे धर्म के युवकों को धर्मान्तरित करवा रहा है और मुस्लिम
महिलाओं से उनका निकाह कर रहा है ताकि कौम के लिए ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा किए
जा सके. एक तरह से उन्होंने उच्च न्यायालय द्वारा व्यक्त की गई चिंता को ही रेखांकित
किया था.
भारत सरकार ने संसद में इस बात को स्वीकार किया कि केरल
से लगभग 200 मुस्लिम युवक आइएस आईएस जॉइन कर चुके हैं. केरल की ही चार धर्मान्तरित
लड़कियां अफगानिस्तान में आईएसआईएस खुरासान जॉइन करने अफगानिस्तान गयी थीं जहाँ
उनके कथित पति लड़ाई में मारे जा चुके हैं. ये लडकियां अभी भी अफगानिस्तान में हैं,
जिन्हें भारत सरकार ने वापस लेने से इनकार कर दिया है.
केरल में धर्मान्तरित हुई हिंदू लड़कियों की घर वापसी के
बाद एक चौंकाने वाला तथ्य उजागर हुआ है, जिसके अनुसार अधिकांश हिंदू घरों में
बच्चों को धार्मिक शिक्षा न दिए जाने के कारण वे धर्म विमुख हो जाते हैं. उन्हें
अपने धर्म के बारे में ज्यादा कुछ मालूम नहीं होता है. मुस्लिम संगठनों द्वारा
संचालित विद्यालयों और जहाँ मुस्लिम
छात्रों की संख्या ज्यादा होती है एक षड्यंत्र के तहत हिन्दू छात्रों से हिंदू धर्म
के बारे में लगभग सामान प्रश्न किए जाते हैं और फिर उनके प्रदुषित तथा हिंदू धर्म विरोधी
उत्तर उन्हें बताए जाते हैं. इस्लाम के तारीफों के पुल बांधे जाते हैं, जिससे इन
बच्चों में हीन ग्रंथि विकसित कर दी जाती है और फिर उन्हें आसानी से धर्मांतरित कर
दिया जाता है. इसलिए हिंदू परिवारों के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि वह बच्चों को
स्कूली शिक्षा की कीमत पर भी धार्मिक शिक्षा से संस्कारित करना न भूलें. उन्हें
नित्य धार्मिक क्रियाओं में सहभागी बनाकर प्रोत्साहित करें. हिंदू संगठनो में इस
बात पर चर्चा करके सामूहिक रूप से बच्चों को धार्मिक संस्कार देने के उपाय करें. जब
धर्मांतरण के शिकारी संगठनात्मक रूप से षडयंत्रपूर्ण अभियान चला रहे हों, तब
हिंदुओं के लिए यह कार्य अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है, अन्यथा वर्तमान
परिस्थितियों में धर्मांतरण को कभी भी रोका नहीं जा सकेगा. हम षड्यंत्र को केवल
कश्मीर फाइल्स और केरल स्टोरी के माध्यम से जानते रहेंगे. सावधान हो जाएँ, अगली
स्टोरी आपके मोहल्ले या आपके परिवार की भी हो सकती है.