क्या
होते हैं होलाष्टक?
होलाष्टक
में क्या करें क्या न करें?
होलाष्टक के शाब्दिक अर्थ पर जायें, तो होला + अष्टक अर्थात होली से पूर्व के आठ दिन, जो दिन होता है, वह होलाष्टक कहलाता है। सामान्य रुप से देखा जाये तो होली एक दिन का पर्व न होकर पूरे नौ दिनों का त्यौहार है।
होलाष्टक के समय शुभ कार्य वर्जित होते है
क्योंकि
इस दौरान नौ में से आठ ग्रह अपनी उग्र अवस्था में रहते हैं इस वर्ष होलाष्टक की
शुरुआत 27 फरवरी से हो रही है 28 फरवरी 2023 मंगलवार से होलाष्टक प्रारंभ हो रहा
है जो होलिका दहन यानी 7 मार्च तक चलेगा होलास्टक के दिन शुभ कार्य करना
प्रतिबंधित रहता है क्योंकि इन दिनों आठ गृह अपनी उग्र अवस्था में रहते हैं
प्राचीन
मान्यता है कि इस अवधि में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव पृथ्वी पर सर्वाधिक होता है
इस नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव को समाप्त करने के लिए ही होलिका का निर्माण किया
जाता है विशेषकर गाय के गोबर से निर्मित शुद्ध कंडों से होली का दहन किया जाएं तो
सकारात्मक ऊर्जा का संचार होना शुरू हो जाता है
यद्यपि
होलाष्टक की अवधि में शुभ कार्य करने की मनाही होती है लेकिन इस अवधि में अपने
आराध्य देव की पूजा अर्चना लगातार करते रहना चाहिए क्योंकि यह एक नियमित कार्य
होता है और सबसे बड़ी चीज़ ये है की होलास्टक के अवधि में जो भी व्रत आदि किए जाते
हैं उनका पुण्य लाभ सामान्य दिनों की अपेक्षा कहीं अधिक मिलता है इसलिए आठ दिनों
में धर्म कर्म के कार्य वस्त्र अनाज और अपनी इच्छा और सामर्थ्य के अनुसार जरूरत
मंद लोगों को अगर आप दान करते हैं तो आपको इसके शुभ परिणाम भी प्राप्त होते हैं
- होलाष्टक
के दौरान भी विवाह, मुंडन, नामकरण, सगाई समेत 16 संस्कार ना करें.
-
होलाष्टक के समय नए मकान,
वाहन, प्लॉट या दूसरे प्रॉपर्टी की खरीदारी करने से बचें.
-
होलाष्टक के समय किसी भी प्रकार का धार्मिक कार्यक्रम यज्ञ, हवन आदि ना करें.
-
होलाष्टक के दौरान नई नौकरी ज्वाइन नहीं करना चाहिए, वरना परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.
-
होलाष्टक के दौरान कोई भी नया बिजनेस नहीं शुरू करना चाहिए, क्योंकि नए बिजनेस की शुरुआत के लिए यह समय शुभ
नहीं होता है.
होलाष्टक में न करें ये कार्य
1.
विवाह:👉 होली से पूर्व के 8 दिनों में भूलकर भी विवाह न करें। यह समय शुभ नहीं माना जाता है, जब तक कि कोई विशेष योग आदि न हो।
2.
नामकरण एवं मुंडन संस्कार:👉
होलाष्टक
के समय में अपने बच्चे का नामकरण या मुंडन संस्कार कराने से बचें।
3.
भवन निर्माण:👉 होलाष्टक के समय में किसी भी भवन का निर्माण कार्य प्रारंभ न कराएं। होली के बाद नए भवन के निर्माण का शुभारंभ कराएं।
4.
हवन-यज्ञ:👉 होलाष्टक में कोई यज्ञ या हवन अनुष्ठान करने की सोच रहे हैं, तो उसे होली बाद कराएं। इस समय काल में कराने
से आपको उसका पूर्ण फल प्राप्त नहीं होगा।
5.
नौकरी:👉 होलाष्टक के समय में नई नौकरी ज्वॉइन करने से बचें। अगर होली के बाद का समय मिल जाए तो अच्छा होगा। अन्यथा किसी ज्योतिषाचार्य से मुहूर्त दिखा लें।
6.
भवन, वाहन आदि की खरीदारी:👉 संभवत हो तो होलाष्टक के समय में भवन, वाहन
आदि की खरीदारी से बचें। शगुन के तौर पर भी रुपए आदी न दें।
7.👉 सनातन हिंदू धर्म में 16 प्रकार के संस्कार बताये जाते हैं इनमें से किसी
भी संस्कार को संपन्न नहीं करना चाहिये। हालांकि दुर्भाग्यवश इन दिनों किसी की मौत
होती है तो उसके अंत्येष्टि संस्कार के लिये भी शांति पूजन करवाया जाता है।