प्राय: खबरों से गायब रहने वाले लक्ष द्वीप इस समय सुर्खियों में है और इसका कारण है वहां के नए प्रशासक प्रफुल्ल के पटेल द्वारा प्रस्तावित कुछ नए कानून जिनका यह कहकर विरोध किया जा रहा है यह प्रस्तावित कानून उनकी जमीन हड़पने, मुंह से निवाला छीनने और द्वीप का भगवाकरण करने का प्रयास है.
प्रस्तावित कानूनों का विरोध करते हुए कांग्रेस नेता राहुल ने प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र लिखा कि इन कानूनों से द्वीप के निवासियों की धार्मिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता खत्म हो जाएगी. राष्ट्रवादी पार्टी के नेता शरद पवार ने भी विरोध किया क्योंकि द्वीप का एकमात्र सांसद उनकी पार्टी का सदस्य है. इसके अलावा 93 रिटायर्ड अधिकारियों ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर प्रस्तावित कानूनों का विरोध करते हुए मांग की कि वर्तमान प्रशासक प्रफुल्ल के पटेल को हटा कर, लोगों के प्रति संवेदनशील और जिम्मेदार प्रशासक नियुक्त किया जाए. कांग्रेस के एक स्थानीय नेता ने तो यहां तक आरोप लगा दिया कि सड़क के किनारे पेड़ों पर लाल और सफेद रंग की जो पट्टियां बनाई गई हैं उससे लक्षद्वीप का भगवाकरण किया जा रहा है,जो निहायत हास्यास्पद है. सभी शहरों में सड़क के किनारे समुद्र किनारे पेड़ों को जड़ों के पास से लाल और सफेद रंग की पट्टियां बनाकर सजाया जाता है और उनमें नंबर डाले जाते हैं.
क्या है प्रस्तावित कानून ?
विकास प्राधिकरण बनाने हेतु लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन मसौदा, 2021
गाय और बैल के अवैध कत्ल पर प्रतिबंध
शराब की बिक्री को प्रतिबंध मुक्त करना
पंचायत चुनाव में 2 से अधिक संतानों वाले लोगों के उम्मीदवार होने पर प्रतिबंध
गुंडा एक्ट लागू करना
अगर हम उपरोक्त प्रस्तावित कानूनों का विश्लेषण करें तो पाते हैं कि द्वीप में विकास प्राधिकरण की स्थापना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि इस छोटे से द्वीप में प्राकृतिक संसाधनों का दोहन जितने अवैज्ञानिक तरीके से से किया जा रहा है, उससे इस द्वीप के अस्तित्व पर संकट आ सकता है. हाल ही में आईआईटी खड़कपुर के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में पाया है कि लक्षद्वीप के आसपास समुद्र का जल एक मिली मीटर प्रति वर्ष के हिसाब से बढ़ रहा है, जिसमें हवाओं के वेग और तूफान के कारण और वृद्धि हो सकती है. इन वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया है कि लक्षद्वीप के लिए अनुमानित समुद्र-स्तर वृद्धि के प्रभावों को ध्यान में रखते हुए, अल्प और दीर्घ अवधि की योजना को बनाना अत्यंत आवश्यक है ताकि यहां के निवासियों की जीवन रक्षा की जा सके. इस अध्ययन के अनुसार अगाती द्वीप पर स्थित हवाई अड्डा खतरे में है. ऐसे में इस द्वीप में विकास प्राधिकरण की स्थापना आवश्यक है जो विशेषज्ञ तरीके से द्वीप का रखरखाव और विकास सुनिश्चित कर सकता है.
द्वीप पर अवैध क़त्ल खानों के कारण पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है जिसके कारण आबादी के साथ साथ पर्यटक भी प्रभावित होते हैं. इसलिए बूचड़खानों पर नियंत्रण अत्यंत आवश्यक है जिसके लिए अन्य राज्यों में प्रचलित लाइसेंस प्रणाली लागू की जा सकती है, जिस का विरोध नहीं होना चाहिए.
किसी भी द्वीप पर जब कोई पर्यटन के लिए जाता है तो उसका उद्देश्य तनाव से दूर मौज मस्ती करना होता है. इसलिए शराब और बियर किसी भी पर्यटन स्थल की आवश्यकता होती है. भारत में गोवा, पुडुचेरी, दमन एंड दीव सहित अन्य स्थलों पर भी मदिरा पर कोई प्रतिबंध नहीं है. द्वीप के निवासी बताते हैं कि सरकार ने तो शराब पर कभी प्रतिबंधित नहीं लगाया बल्कि यह यहां के निवासियों द्वारा स्वयं लगाया हुआ नियम है जो कालांतर में शराबबंदी के रूप में माना जाने लगा. शराब विक्री की अनुमति से भी किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए क्योंकि यह द्वीप कोई धार्मिक स्थल नहीं है, जहां शराबबंदी लागू की जाए.
जहां तक पंचायत चुनाव का प्रश्न है, 2 से अधिक संतानों वाले व्यक्तियों को उम्मीदवार बनने से रोक भारत के ज्यादातर राज्यों में लागू है और यह बहुत प्रगतिशील कदम है ताकि पंचायत स्तर से लोगों को जनसंख्या नियंत्रण के लिए संदेश दिया जा सके. लक्षद्वीप में इस कानून का विरोध समझ से परे है और राजनीतिक दलों को भी दलगत स्वार्थ से ऊपर उठकर सोचना चाहिए.
लक्ष द्वीप के लिए प्रस्तावित गुंडा एक्ट का भी यह कह कर विरोध किया जा रहा है कि जब यहां पर कानून और व्यवस्था की स्थिति ठीक है तो इस एक्ट की आवश्यकता नहीं है. यह तर्क भी किसी के गले नहीं उतर सकता क्योंकि कानून हमेशा भविष्य की घटनाओं को ध्यान में रखते हुए बनाए जाते हैं और अगर कहीं पर गुंडा नहीं है तो गुंडा एक्ट से डरने का कोई मतलब नहीं. इससे कानून व्यवस्था में और सुधार होने की संभावना बढ़ जाएगी. जब इस कानून का दुरुपयोग होने लगे तब विरोध किया जाए तो यह स्वाभाविक लोकतांत्रिक प्रक्रिया होगी.
लक्ष दीप इतिहास और सामरिक महत्व:
लक्षद्वीप संस्कृत का शब्द है, जिसका वर्णन पौराणिक ग्रंथों में मिलता है और इसका मतलब है एक लाख द्वीप. यह भारत के दक्षिणी पश्चिमी तट से 200 से 440 किमी (120 से 270 मील) दूर लक्षद्वीप सागर में स्थित द्वीपसमूह है, जिसमें इस समय छोटे-बड़े 36 द्वीप हैं और इनका कुल भूमि क्षेत्रफल लगभग 32 वर्ग किलोमीटर है ।
लक्ष द्वीप भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे खूबसूरत स्थानों में से एक माना जाता है और यह भारत का सबसे छोटा केंद्र शासित प्रदेश है.
लक्ष्यदीप का भारत के लिए बहुत सामरिक महत्व है क्योंकि यह 20 हजार वर्ग किलोमीटर का जल क्षेत्र और 4 लाख वर्ग किलोमीटर का विशेष आर्थिक क्षेत्र प्रदान करता है. यह पश्चिमी हिंद महासागर में स्थित है और फारस की खाड़ी की तरफ के समुद्री क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है. भारत के क्रूड आयल के जहाज इसी क्षेत्र से आते जाते हैं इसलिए सुरक्षा की दृष्टि से भी इसका अत्यधिक महत्व है.
लक्ष द्वीप के कुछ उल्लेखनीय तथ्य
लक्षदीप की जनसंख्या एक लाख से भी कम है और लगभग 98% जनसंख्या मुस्लिम है. मुस्लिम आबादी का प्रतिशत इतना अधिक होने के कारण, भारत गणराज्य का हिस्सा होने के बाद भी, यहां की आबादी इसे इस्लामिक स्थान समझती हैं. इसलिए स्वाभाविक रूप से उनकी अपेक्षा है कि यहां पर इस्लामिक कानून के अनुसार ही शासन व्यवस्था चलाई जाए.
कभी आदिवासी रही यहां की पूरी जनसंख्या को अनुसूचित जनजाति मैं वर्गीकृत किया गया है.
मुस्लिमों का प्रतिशत इतना अधिक होने के बाद भी उन्हें अल्पसंख्यक होने का दर्जा भी प्राप्त है और तदनुसार उन्हें सभी सरकारी सुविधाएं प्राप्त होती हैं.
प्राचीन काल में द्वीप पर चोल साम्राज्य का शासन हुआ करता था जो बाद में टीपू सुल्तान के कब्जे में आ गया था और उसी समय यहां पर बड़े पैमाने पर धर्मांतरण हुआ.
अंग्रेजों के शासन समाप्त होने के बाद 1956 में इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया.
अगर प्रतिशत के हिसाब से देखें तो यह भारत का सर्वाधिक मुस्लिम जनसंख्या वाला प्रदेश है,
सुरक्षा की दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण होने के बाद भी आज तक इस केंद्र शासित प्रदेश को सामरिक चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार नहीं किया गया.
ऐसे समय में जब आतंकवादी आक्रमण समुद्री सीमा से भी होने लगे हैं , इस द्वीप में सुरक्षात्मक उपाय न करना देश के लिए संभावित खतरे से अंजान बने रहने के बराबर है.
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि 26 नवंबर को मुंबई में हुआ आतंकी आक्रमण समुद्र के रास्ते से किया गया था और इसके लिए उन्हें विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया था. सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार पाकिस्तान में आतंकवादियों के लिए इस समय जो प्रशिक्षण केंद्र चलाए जा रहे हैं उसमें बड़े-बड़े तरणताल भी बनाए गए हैं ताकि आतंकवादियों को समुद्री रास्ते से भारत पर आक्रमण करने के लिए तैयार किया जा सके. जब चीन, पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ग्वादर पोर्ट का कार्य बड़ी तेजी से पूरा कर रहा है, भारत को सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण इस क्षेत्र को सुरक्षा के दृष्टिकोण से मजबूत बनाना ही होगा खासतौर से ऐसे समय में जब केरल में बड़ी संख्या में चरमपंथियों ने अपने ठिकाने बना रखे हो.
विरोध का एक विशेष कारण
लक्ष द्वीप में हो रहे विरोध के पीछे एक और कारण है और वह है काव़ारती में महात्मा गांधी की मूर्ति की स्थापना, जिसके कांग्रेस के शासनकाल में 2010 में लक्ष द्वीप की राजधानी में स्थापित करने की योजना बनाई गयी थी. उस समय महात्मा गाँधी की मूर्ति पानी के जहाज द्वारा लक्षद्वीप भेजी गई लेकिन द्वीप के निवासियों के भारी विरोध के कारण यह मूर्ति लक्षद्वीप में जलयान से उतारी भी नहीं जा सकी. विरोध करने वालों का तर्क था कि इस्लाम में मूर्ति लगाना हराम माना जाता है इसलिए वह गांधी जी की प्रतिमा नहीं लगने देंगे क्योंकि इससे समुदाय की मजहबी भावनाओं को ठेस पहुँचेगी। स्थानीय निवासियों का कहना है कि मूर्ति लगाना हिन्दुत्व का हिस्सा है लेकिन शरिया कानून इसकी इजाजत नहीं देता ।
उग्र विरोध के बाद यह विशेष जलयान महात्मा गाँधी की मूर्ति के साथ वापस कोच्चि आ गया. इससे पहले कि दिल्ली में विपक्षी दल इसे राजनीतिक रंग देते, एक दिन बाद यह जहाज फिर कावारती भेजा गया इस बीच संभवत केंद्र सरकार की सलाह पर प्रशासन ने कवरत्ती में महात्मा गाँधी की मूर्ति स्थापना की योजना रद्द कर दी और मूर्ति पुनः कोच्चि वापस आ गई. तब से अब तक 11 साल के बाद भी महात्मा गांधी की यह मूर्ति लक्षद्वीप में स्थापित नहीं हो सकी है। अब सूचना है कि गांधी जी की यह मूर्ति लक्षद्वीप के प्रशासनिक कार्यालय पहुंच गई है और स्थापित होने का इंतजार कर रही है । धर्मनिरपेक्षता एवं अहिंसा की पहचान महात्मा गाँधी जिन्होंने मुस्लिम समुदाय के लिए बहुत कुछ किया, और हिंदुओं को लगता है कि उनकी कीमत पर किया लेकिन इसके बाद भी उनका विरोध किया जा रहा है. जो भी हो गांधीजी भारत के राष्ट्रपिता हैं और राष्ट्रपिता की मूर्ति की स्थापना भारत के किसी भी हिस्से में की जा सकती है और लक्ष द्वीप इसका अपवाद नहीं हो सकता .
अब कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दल लक्ष द्वीप के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं, और कांग्रेस को इस विरोध में महात्मा गांधी की भी याद नहीं. उसे महात्मा गांधी की याद तभी आती है जब उनकी हत्या के संबंध में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को घेरना होता है. लक्ष द्वीप के प्रस्तावित कानूनों को गृह मंत्रालय की मंजूरी का इंतजार है जो अभी तक नहीं दी गई है और हो सकता है “सबका विश्वास” का नारा लगाने वाली भाजपा इन प्रस्तावित कानूनों को मंजूरी कभी न दें, यद्यपि इन कानूनों का उद्देश्य लक्ष्यदीप का विकास करना है ताकि यह द्वीप भी मालदीप की तरह विकसित हो सके और लोगों को समुचित रोजगार के साथ-साथ उनकी आय में वृद्धि हो सके. लक्षद्वीप में किए जाने वाले सुधारों पर रोक लगाने की माँग के लिए केरल उच्च न्यायालय में एक याचिका भी दायर की गई थी लेकिन न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी।
सबसे चिंताजनक बात यह है कि लक्ष द्वीप में हो रहे प्रदर्शन कुछ उसी तरह है जैसे शाहीन बाग में किए गए थे, जिसमें छोटे छोटे मासूम बच्चे भी शामिल किए गए थे, ताकि पूरे विश्व का ध्यान आकृष्ट किया जा सके. प्रदर्शनकारियों की समुद्र में खड़े होकर, पानी के अंदर गोता लगाते हुए तस्वीरें राष्ट्रीय मीडिया में छप रही हैं, जिन्हें देखकर ऐसा लगता है कि यह एक बड़े राष्ट्रीय षड्यंत्र का हिस्सा है.
भारत में राजनीत का जो वर्तमान स्वरूप है उसमें केंद्र सरकार और भाजपा के हर अच्छे बुरे कार्य का विरोध करने का फैशन है और उसी फैशन के अंतर्गत लक्ष द्वीप का विरोध भी हो रहा है. हर विरोध की तरह इस विरोध में भी फिल्म, कला व साहित्य, और सेवानिवृत्त अधिकारी भी शामिल हैं. इस विरोध में शामिल सभी लोगों के अपने अपने स्वार्थ है . दुर्भाग्य से सेवानिवृत्त अधिकारियों , जिनमें एक पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी शामिल हैं, का इतना संकुचित दृष्टिकोण अपना कर विरोध में शामिल होना चिंता का विषय है. इन लोगों में किसी के पास अब वापस करने के लिए पुरस्कार नहीं बचे हैं इसलिए वह प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं.
मेरा व्यक्तिगत रुप से मानना है कि सरकार अगर इस भीड़ तंत्र के सामने झुक जाती है तो भविष्य में भारत के लिए सुरक्षा की दृष्टि से बहुत घातक परिणाम सामने आने की संभावना है.
क्या इन लोगों को यह नहीं मालूम की लक्ष द्वीप भारत का हिस्सा है जो धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है कोई अलग इस्लामिक राष्ट्र नहीं, तो फिर वहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मूर्ति क्यों नहीं लगाई जा सकती ?
आतंकवादियों की समुद्री मार्ग से आक्रमण की साजिशों को रोकने के लिए सैन्य निगरानी की व्यवस्था क्यों नहीं की जा सकती?
किसी भी प्रदेश में अपराध चाहे कितने ही कम क्यों न हो, अपराध रोकने और कानून व्यवस्था को और अधिक मजबूत करने का कानून क्यों नहीं बनाया जा सकता?
लक्षदीप भारत का हिस्सा है और भारत के किसी भी हिस्से को राष्ट्रीय परिपेक्ष में आर्थिक गतिविधियां विकसित करने और राष्ट्रीय आय बढ़ाने के लिए उपयोग क्यों नहीं किया जा सकता?
जो भी हो सरकार का वर्तमान विरोध और आंदोलन के सामने घुटने टेकना उतनी ही बड़ी भूल होगी जितनी कि संविधान में जम्मू कश्मीर के संबंध में धारा 370 जोड़ने को लेकर की गई थी.
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-शिव मिश्रा
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