विकासोन्मुख बजट में आत्मविश्वास की झलक
मेरी याद में यह पहला बजट है जो राजनीतिक रूप
से तटस्थ (पॉलिटिकली न्यूट्रल) है, अन्यथा आम तौर से
यह धारणा बन गई है कि केंद्रीय बजट
रेवड़ियां बांटने का त्यौहार होता है.
इसलिए उद्योगपति, व्यापारी,
मिडिल क्लास विशेषतय:
नौकरी पेशा वर्ग हर व्यक्ति, बजट की तरफ आशा भरी निगाहों से देखता है और कुछ न कुछ पाने
के लिए अपेक्षा करता है. बजट पर शेयर मार्केट की प्रतिक्रिया भी तुरंत देखने को मिलती है. अतीत में कई बार बजट के कारण सेंसेक्स उछला और कई बार भारी गिरावट से बंद हुआ और कई बार तो ऐसा भी हुआ कि बजट शुरू होते ही शेयर मार्केट चढ़ने लगा और बजट
समाप्त होने तक धडाम हो गया .
इस बार बजट के
राजनीतिक रूप से तटस्थ और लोकलुभावन न होने पर मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ
क्योंकि 5 राज्यों में
विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं जिसमें उत्तर प्रदेश सबसे महत्वपूर्ण राज्य है
क्योंकि दिल्ली के सिंहासन का रास्ता उत्तर प्रदेश से ही निकलता है. इस बात के लिए
मोदी सरकार की जितनी तारीफ की जाए, कम है. मोदी का यह इस साहसिक बजट उनके इस आत्मविश्वास को भी रेखांकित
करता है कि वह उत्तर प्रदेश में
पार्टी की विजय को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हैं और अन्य राज्यों में भी
चुनाव को लेकर चिंतित नहीं हैं.
अपने कार्यकाल में मोदी ने अपने फैसलों
से कई बार लोगों को चौंकाया है
क्योंकि तुरंत लाभ पहुंचाने वाली योजनाओं के
बजाय उन्होंने आम लोगों के जीवन की मूलभूत
समस्याओं को छूआ है और उनके दर्द को सहलाया है. इसलिए जनता नें उन्हें दूसरी बार भी
और ज्यादा बहुमत से सत्ता में पहुंचाया. मोदी का जनता पर और जनता का मोदी पर विश्वास कायम है. इससे यह सन्देश भी साफ़ है कि लंबी अवधि की प्रभावी राजनीति तभी की जा सकती है
जब करोड़ों गरीब देशवासियों के जीवन में
कुछ सुधार किया जाय.
बजट पेश किये जाने से
पहले कांग्रेस नें भविष्यवाणी की
थी कि यह चुनाव पूर्व बजट होगा यानी कांग्रेस
को आशा थी कि इसमें घोषणाओं का अंबार होगा,
रेवड़ियों की भरमार
होगी लेकिन बजट के बाद सपा नेता रामगोपाल यादव
ने कहा यह बजट एकदम बेकार है, सोचा था उत्तर प्रदेश में
चुनाव है तो कुछ तो देंगे,
लेकिन कुछ नहीं
दिया. इसका मतलब लोगों को समझ में नहीं आया कि बजट में क्या है क्या नहीं. कांग्रेस के अर्थशास्त्री और पूर्व वित्त
मंत्री पी चिदंबरम ने प्रतिक्रिया दी कि यह बजट अब तक का सबसे पूंजीवादी बजट
है क्योंकि इसमें गरीब शब्द केवल दो बार आया है. इसे कहते हैं कोरी राजनीति,
जिसे लोग अब समझने लगे हैं.
बजट के राजनीतिकरण से राजस्व का ज्यादातर भाग
कर्मचारियों के वेतन-भत्ते,
पेंशन तथा अनुदान
में ही चला जाता है, और पूंजीगत निवेश
के लिए बहुत ज्यादा गुंजाइश नहीं रह जाती. इस कारण मूलभूत संरचना सहित लंबी अवधि
की परियोजनाओं पर ध्यान नहीं दिया जा पाता है. कई बार राजनैतिक अस्थिरता, गठबंधन
की सरकार भी रेवड़ियां बाँटने का कारण होता है. सौभाग्य से अब यह
नहीं है क्योंकि मोदी की पूर्ण बहुमत की सरकार है. इसलिए सरकार साहसिक फैसले लेने में सक्षम है और
सरकार ऐसा कर भी रही है. अबकी बार का बजट ऐसा है जिसमें प्रत्यक्ष तौर पर किसी को कुछ मिलता दिखाई नहीं पड़ता है, यानी न तो लोलीपोप हैं और न आंकड़ो की बाजीगरी लेकिन है बहुत
कुछ सबके लिए.
मेरा हमेशा से मानना
रहा है कि भारत में हमेशा से अर्थ व्यवस्था पर राजनीति हाबी रही है और
देश के पिछड़ेपन का कारण भी यही
हैं. ज्यादातर सालों के बजट में निरंतरता
का आभाव होता आया है, जो अबकी बार दूर
हो गया लगता है.
इस बजट में सरकार के पूंजीगत खर्चों को बढ़ाकर ७.५ लाख कर दिया है, जो पिछले साल की तुलना
में ३५.५% अधिक है. इससे निजी निवेशको का भी भरोसा बढेगा और वे
निवेश के लिए आगे आयेंगे. इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. राजकोषीय घाटा ६.९%
लक्ष्य से मामूली अधिक है. गति शक्ति परियोजना के अंतर्गत 25000 किलोमीटर रोड बनाने का प्रावधान किया गया है
और इसके लिए ₹2 लाख करोड़ का आवंटन
किया गया है. मोदी सरकार के कार्यकाल में राष्ट्रीय राजमार्ग,
एक्सप्रेस वे आदि में उल्लेखनीय कार्य हुआ है, और इसका श्रेय नितिन
गडकरी को भी जाता है, जिनके कारण भारत
में इस समय प्रतिदिन 40 किलोमीटर हाईवे बनाया जा
रहा है, जो अगले वित्त
वर्ष में बढ़ाकर 50 किलोमीटर
प्रतिदिन कर दिया जाएगा.
कांग्रेस को शायद आज याद नहीं है कि 1971 में इंदिरा जी ने गरीबी
हटाओ के नारे से ही सत्ता प्राप्त की थी, और मोदी तो सचमुच
गरीबों के दर्द को समझने और उसका उपचार करने का प्रयास कर रहे हैं. गरीब
लोगों के लिए रोटी, कपड़ा और मकान आज
भी बुनियादी जरूरत है. मोदी ने गरीबों के
लिए ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आवास उपलब्ध कराए हैं, मुफ्त राशन दिया है, ग्रामीण अंचल में महिलाओं को रसोई गैस उपलब्ध कराई है और शौचालय उपलब्ध कराने काम किया है. हर गांव में
बिजली उपलब्ध करा दी गई है. अब हर गांव में “हर घर में नल का जल” उपलब्ध कराने का
प्रयास किया जा रहा है. बजट में नल से 5.5 करोड़ घरों में पानी
पहुंचाने का प्रावधान किया गया है. प्रधानमंत्री योजना के अंतर्गत 80 लाख नए मकान बनाने का प्रावधान
भी किया गया है. नारी सशक्तिकरण को प्राथमिकता दी गई है. बेहतर बुनियादी ढांचे और
सुविधाओं वाली आंगनबाड़ियों को उच्चीकृत
करने का प्रावधान किया गया है. एक अन्य महत्वपूर्ण कार्य है 2025 तक सभी गांवों तक
ऑप्टिकल फाइबर बिछाने का लक्ष्य जिससे ग्रामीण भारत की तस्वीर बदल जाएगी. 5G स्पेक्ट्रम की शुरुआत की
इसी वर्ष की जाएगी जो ग्रामीण क्षेत्रों में भी उपलब्ध होगी.
अटल सरकार के समय शुरू की गई नदी जोड़ो
परियोजना कार्य को आगे बढ़ाया गया है और उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड
क्षेत्र में पानी की समस्या के निराकरण के लिए केन बेतवा परियोजना को शुरू किया
गया है. इससे बुंदेलखंड के लोगों की पानी की बहुत पुरानी समस्या का समाधान हो
सकेगा.
खेती में महत्वपूर्ण बदलाव के लिए लाए गए तीनों
कृषि कानून वापस होने के बाद ऐसा लगने लगा था कि शायद मोदी सरकार ने कृषि सुधारों
की तरफ से कदम खींच लियें हैं लेकिन इस बजट के माध्यम से कृषि सुधारों को जारी
रखने की सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय मिलता है. खेती में आधुनिक तकनीक से उत्पादन बढ़ाने और उससे किसानों
की आय बढ़ाने पर जोर दिया गया है. स्टार्टप के माध्यम से निजी निवेश बढ़ाने पर भी
जोर दिया गया है. गंगा के किनारे किनारे 5 किलोमीटर क्षेत्र में केमिकल मुक्त खेती की शुरुआत होगी जिससे किसानों
की आय के साथ साथ लोगो को केमिकल मुक्त कृषि
उपज उपलब्ध हो सकेगी. बिचौलियों को
दूर करने के उद्देश्य न्यूनतम समर्थन मूल्य की राशि सीधे किसानों के खाते में भेजी
जाएगी. कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए ड्रोन के इस्तेमाल, ऑर्गेनिक खेती और तिलहन
के उत्पादन पर जोर दिया जाएगा. इस सबसे खेती में सुधार होगा और किसानो की आय बढ़ेगी .
बजट का सबसे प्रभावी और आकर्षक भाग है
डिजिटलीकरण पर जोर देना, जो आत्मनिर्भर भारत की उमीदों के अनुरूप है. रिजर्व बैंक ऑफ
इंडिया द्वारा डिजिटल करेंसी की शुरुआत की जाएगी. करोना काल में शुरू हुई ऑनलाइन
पढ़ाई को आगे बढ़ाने के लिए 200 नहीं टीवी चैनल शुरू करने की पहल की गई है. शिक्षकों को
डिजिटल प्रणाली का प्रशिक्षण दिया जाएगा. 75 जिलों में डिजिटल बैंक
की स्थापना की जाएगी. बजट में डिजिटल यूनिवर्सिटी बनाने का संकल्प लिया गया है.
चिप युक्त डिजिटल इ-पासपोर्ट जारी करने की
घोषणा की गई है जो डिजिटल क्षेत्र में भारत
की मजबूत स्थित प्रदर्शित करता है.
प्रदूषण कम करने के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल
को बढ़ावा दिया जाएगा और नए चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएंगे जहाँ बैटरी स्वैप सिस्टम लागू किया जाएगा.
बजट की सबसे बड़ी विशेषता है कि इसमें न
तो कोई
बड़ी राहत दी गई है और न ही कोई बोझ डाला गया है. क्रिप्टोकरंसी को यद्यपि
कानूनी मान्यता नहीं दी गई है, लेकिन इसे कर के दायरे में लाया गया है और इसके लाभ पर 30% टैक्स लगाया गया है.
डिजिटल एसेट्स ट्रांसफर करने पर भी टैक्स देना होगा. रिटर्न भरते समय कई छोटे-मोटे
लाभ खासतौर से डिजिटल मोड़ से प्राप्त लाभ प्राय: छूट जाते हैं जिसे आयकर रिटर्न
में परेशानी होती है. इसे देखते हुए बजट में आयकर रिटर्न में 2 वर्ष तक सुधार करने का
मौका दिया गया है.
निश्चित रूप से
बजट में किये गए ये उपाय भविष्योंमुखी है
और इनसे अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी लेकिन इन उपायों के साथ ही लालफीताशाही और
इंस्पेक्टर राज को ख़त्म करने की दिशा में भी सक्रियता से काम करना होगा ताकि ‘ईज ऑफ़ डूइंग
बिज़नस” में सुधार कर निवेशकों, निर्माता कंपनियों और पूरे विश्व को सन्देश दिया जा
सके
और स्वतंत्रता के सौवे वर्ष २०४७
तक देश को सशक्त – समर्थ भारत बनाने का अपना सपना पूरा कर सके.
- शिव मिश्रा