शनिवार, 6 फ़रवरी 2021

क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनता के विश्वास के साथ खतरनाक खेल खेल रहें हैं?

 उग्र किसान आंदोलन से प्रभावित हुए बिना और लोक लुभावन रहित 2021 का बजट देखकर क्या आपको लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनता द्वारा दिए गए विश्वास के साथ खतरनाक खेल खेल रहें हैं?



भारत में ऐसे बहुत कम लोग हुए हैं जिन्हें जनता का अपार विश्वास प्राप्त होता है, नरेंद्र मोदी उन गिने चुने लोगों में से एक हैं. जनता उनका भरपूर विश्वास करती है और उसे हमेशा यह विश्वास रहता है कि मोदी जो करेंगे अच्छा ही करेंगे और जो देश व जनता के हित में होगा.

जनता का यह अगाध विश्वास मोदी की ईमानदार छवि के कारण है. यह विश्वास ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे बड़ी जमा पूंजी है, जिसका वह भरपूर उपयोग करते हैं, बिना किसी संकोच और बिना किसी दबाव के.

इसीलिए राजनैतिक षड्यंत्र, धरना प्रदर्शन, अपने प्रति नफरत के भाव आदि, उन्हें प्रभावित नहीं करते और वह देश हित में आर्थिक और सामाजिक सुधारों के बड़े से बड़े कदम उठाने से नहीं हिचकते हैं.

  • उनके इस साहसिक कार्यों के पीछे केवल और केवल जनता का असीम विश्वास है लेकिन एक सबसे बड़ी बात है कि मोदी को अच्छी तरह से मालूम है की जनता उनके इस तरह के कार्यों को पसंद करेगी इसलिए विपरीत परिस्थितियों में भी वह अपने मार्ग से नहीं डिगते.
  • सामान्य राजनीतिक नेता इतने साहसिक और जोखिम भरे कदम नहीं उठाते क्योंकि उन्हें हमेशा डर बना रहता है कि वह जनता का विश्वास न खो दें, उनकी लोकप्रियता कम न हो जाए और वह चुनाव न हार जायें .
  • इसके विपरीत मोदी के कार्यों से हमेशा ऐसा लगता है कि उन्हें जैसे चुनाव की कभी चिंता ही नहीं रही और इसलिए उन्होंने नोटबंदी और जीएसटी जैसे साहसिक कदम उठाए जिसके उपरांत विपक्षी पार्टियों सहित कई बुद्धिजीवी भी यह सोचते थे कि 2019 चुनाव में दोबारा सत्ता में नहीं आ पाएंगे. किंतु जनता ने उनमें पहले से कहीं ज्यादा विश्वास जताया और मोदी ज्यादा सीटें पाकर और ज्यादा मजबूत होकर सत्ता में वापस आ गए.
  • ऐसा लगता है कि जितना जनता मोदी पर भरोसा करती है उससे कहीं ज्यादा मोदी जनता पर भरोसा करते हैं कि वह उनके हर कदम का समर्थन करेगी अन्यथा ऐसे समय जब अंतराष्ट्रीय साजिश द्वारा प्रायोजित उग्र किसान आंदोलन चल रहा हो, वह अपना दिन प्रतिदिन का काम सामान्य ढंग से कर रहे हैं, और उन्होंने बिना दबाव में आये, ठीक वैसा ही बजट प्रस्तुत किया, जैसा कि वर्तमान परिस्थितियों में देश को आवश्यकता थी.
  • यह बजट भी कम साहसिक नहीं है, इसमें न तो कोई लोकलुभावन घोषणा है और न ही उन्होंने अपने सबसे बड़े वोट बैंक मध्यम वर्ग को कोई खास रियायत दी है. मजे की बात यह है कि बजट आने के बाद सभी ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है जो इस बात का संकेत है कि प्रधानमंत्री मोदी में जनता का विश्वास दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है, और उसी अनुपात में विपक्षी दलों और नेताओं पर जनता का विश्वास घटता जा रहा है. यह सुखद आश्चर्य है और इसका कारण है कि जनता और मोदी एक दूसरे को बहुत अच्छे ढंग से समझते हैं.
  • इससे पहले केवल जवाहरलाल नेहरू के साथ ऐसा था कि सत्ता में आने के बाद भी उनकी लोकप्रियता कम नहीं हुई थी लेकिन उनके बाद के सभी प्रधान मंत्रियों ने सत्ता में आने के बाद अपनी लोकप्रियता खोई थी.
  • नरेन्द्र मोदी न केवल इसके अपवाद हैं बल्कि उन्होंने एक बड़ी लाइन खींच दी हैं, जिसके आगे सारा विपक्ष एक साथ जुड़ने के बाद भी बौना लगता है.

इसलिए मोदी जनता के विश्वास की पूंजी को जनता के हित में पूरे आत्म विश्वास के साथ, बड़ी दरियादिली से निवेश ( इन्वेस्टमेंट ) कर रहें हैं .

यही राजनीति का खतरनाक खेल है जो केवल मोदी ही खेल सकते हैं. आज के दिन दूसरा कोई नेता दूर दूर तक इस खेल में नजर नहीं आता .

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