लखनऊ के घेरे हैं बंगलादेशी और रोहिंगिया
लखनऊ से
प्रकाशित होने वाले एक राष्ट्रीय हिंदी समाचार पत्र ने लखनऊ के विभिन्न क्षेत्रों में बसी अवैध
बस्तियों पर श्रृंखलाबद्ध ढंग से खोजी समाचार प्रकाशित किये. समाचार पत्र ने झुग्गी
झोपड़ियों की अवैध बस्तियां बसाने वाले माफियाओं, पुलिस, संबंधित विभागों और राजनेताओं की संलिप्तता और इन
झुग्गी झोपड़ियां को बसाए जाने के पीछे का
अर्थतंत्र उजागर किया. कई दिन तक लगातार प्रकाशित होने वाले इन समाचारों ने प्रमाण सहित बताया कि लखनऊ में ऐसा
कोई क्षेत्र नहीं, ऐसी कोई दिशा नहीं, जहाँ इस तरह की अवैध झुग्गी झोपड़ियों
की बस्तियां न हो. सबसे चिंताजनक बात है कि इन झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले बड़ी
संख्या में अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने वाले बांग्लादेशी और रोहिंग्या
घुसपैठये हैं, जिन्हें सरकारी भूमि पर बिजली पानी की सुविधा देकर आधार कार्ड तक
उपलब्ध करा दिया गया है, ताकि उनके भारत के नागरिक होने में किसी को कोई संदेह न
हों और सरकारी सुविधाएँ भी उन्हें उपलब्ध हो सकें. यह केवल भ्रष्टाचार नहीं,
राष्ट्र द्रोह है.
ऐसा नहीं है कि मामले का खुलासा सिर्फ समाचार
पत्र द्वारा ही किया गया. इससे पहले स्थानीय निवासी बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं
की इन अवैध बस्तियों की शिकायत संबंधित विभागों से करते करते थक चुके हैं, लेकिन किसी
भी विभाग के अधिकारी ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की. स्थानीय निवासियों ने
मुख्यमंत्री की जनसुनवाई पोर्टल पर भी शिकायत की लेकिन उसका भी कोई असर नहीं हुआ. आश्चर्यजनक
लग सकता है कि हजरतगंज में आईएएस अधिकारियों की कॉलोनी बटलर पैलेस और मंत्रियों के
लिए बनी बहुखंडी इमारत के सामने भी बांग्लादेशियों की अवैध बस्ती है, जो उनकी
सुरक्षा को भी गंभीर खतरा है लेकिन मंत्रियों और उच्च अधिकारियों का आँखें बंद
करना या असहाय होना यही संदेश देता है कि उन सभी को देश की इतनी बड़ी गंभीर समस्या
की कोई परवाह नहीं. यही स्थिति देश के हर बड़े शहर की है. कुछ राज्य सरकारों ने तो इन्हें बाकायदा अपना वोट बैंक भी बना लिया है .
मुख्यमंत्री ने समाचार पत्र में छपी इन खबरों का
संज्ञान लेते हुए तुरंत कार्रवाई का निर्देश दिया जिसका परिणाम हुआ की अब तक कई
झुग्गी झोपड़ियों की बस्तियों को खाली कराया जा चुका है. प्रश्न उठता है कि पहले
संबंधित विभागों ने यह कार्रवाई क्यों नहीं की. इसका सीधा और संक्षिप्त उत्तर है
कि भारत में भ्रष्टाचार और व्यक्तिगत स्वार्थ की जड़ें इतनी गहरी हैं कि उच्च
सरकारी अधिकारी और राजनेता भी स्वार्थ और लालच में राष्ट्रीय एकता और अखंडता को भी
ताक पर रख देते हैं. यह एक प्रमुख कारण है
जिससे भारत और सनातन समाज आज इस अधोगति को प्राप्त हो चुका है, और इस कारण ही
भविष्य में राष्ट्र की स्थिति कितनी संकट
पूर्ण होने वाली है, जिसकी कल्पना करना भी मुश्किल है.
इन झुग्गी झोपड़ियों से मासिक किराया, बिजली और
पानी की कीमत की अवैध वसूली की जाती है. यह सब करोड़ रुपयों का बहुत बड़ा खेल है, जिसे
राष्ट्रीय हितों को अनदेखा कर भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारियों के सहयोग से कुछ
असामाजिक तत्वों द्वारा किया जा रहा है. इतनी बड़ी संख्या में झुग्गी झोपड़ियों में
कटिया डालकर सप्लाई की जा रही बिजली और जलनिगम की पाइप लाइन काटकर दिए जा रहे पानी
से संबंधित विभागों का कितना नुकसान हुआ है, इस पर कहीं कोई चर्चा तक नहीं हुई. यह
कार्य बिना संबंधित विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों की मिली भगत के नहीं हो
सकता. आज के इस युग में जब बिजली कंपनिया बिजली चोरी रोकने के लिए आंतरिक वितरण के
लिए भी मीटर लगाती हों, इतनी बड़ी बिजली चोरी इतने लम्बे समय से कैसे होती रह सकती
है. नियमित कनेक्सन वालों को प्रीपेड और अवैध कनेक्शन पर आँखे बंद कर अवैध वसूली,
यह अचंभित करने वाला नहीं है. भ्रष्टाचार और व्यक्तिगत स्वार्थ प्राय: राष्ट्रीय
हितों की भी तिलांजलि दे देता है लेकिन इस पूरे खेल में बड़े षड्यंत्र की सम्भावना से इनकार नहीं किया जा
सकता. सरकार को इस पर विस्तार जांच करवाने की आवश्यक्ता है. इसमें कोई संदेह नहीं
कि नगर निगम, जल निगम और विकास प्राधिकरण के कर्मचारी पूरे शहर में व्यापक गस्त
करते रहते हैं. आप कोई नया निर्माण शुरू करें तो पायेंगे कि विकास प्राधिकरण का
कर्मचारी दूसरे दिन ही पहुँच जाएगा, यही हाल नगर निगम, जल निगम और बिजली विभाग का
है. इनमें से अधिकांश का उद्देश्य कानून का पालन करवाना नहीं बल्कि कैसे कानून
तोड़कर पैसे देकर कुछ भी किया जा सकता है,यह बताना होता है. पुलिस का मूक दर्शक बने
रहना ही भ्रष्टाचार में उसकी संलिप्तता का सबसे बड़ा प्रमाण होता है, जो इस मामले
में भी है.
इतनी बड़ी संख्या में फर्जी आधार कार्ड बन जाना
राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर ख़तरा है लेकिन इसकी कोई जांच भी शुरू नहीं हुई. सरकारी
अधिकारी गंभीर मामलों की किस तरह अनदेखी
करते हैं इसका उदहारण हैं, कुछ संविदा कर्मचारियों की बर्खास्तगी और कुछ
असामाजिक तत्वों की गिरफ्तारी, जिन्हें भी उनके संरक्षक शीघ्र ही जमानत दिलवा
देंगे. इतनी बड़ी संख्या में अवैध झुग्गी झोपड़ियां बिना उच्च स्तरीय संरक्षण के संभव नहीं है लेकिन आज तक किसी भी बड़े
अधिकारी के विरुद्ध कार्यवाही होना तो दूर स्पष्टीकरण भी नहीं लिया गया है. क्या
यह संभव है कि सम्बंधित अधिकारियों ने, जो लखनऊ में ही रहते हैं, कभी आते
जाते बांग्लादेशियों और रोहिंगयाओं की इन
झुग्गी झोपड़ियों को नहीं देखा होगा.
लखनऊ शहर के महत्वपूर्ण
क्षेत्रों में बसी बांग्लादेशियों और
रोहिंग्याओं की अवैध बस्तियों, और उनको दी जा रही सुविधाओं के खुलासे के बाद बुलडोजर
बाबा के नाम से विख्यात योगी की छवि को
बहुत धक्का लगा है. पूरे देश में उनके प्रशंसक और समर्थक बेहद मायूस हैं जो उन्हें
मोदी के बाद देश का प्रधानमंत्री देखना चाहते हैं. उन्हें लगता है कि जब लखनऊ को
भी बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं ने घेर रखा है, तो फिर दिल्ली की ऐसी स्थिति के
लिए केजरीवाल को दोष कैसे दिया जा सकता है. भारत में यही स्थिति आज हर बड़े शहर की
है.
यद्यपि मामला सुर्खियों में आने के बाद योगी ने
सख्त रुख अपनाया और अधिकारियों को कार्रवाई करनी पड़ी लेकिन की गई कार्रवाई खाना
पूर्ति या दिखावे के लिए ही की गई लगती है. उन जगहों को तो खाली करवा लिया गया है
जहाँ झुग्गी झोपड़ियां डालकर बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं को बसाया गया था लेकिन यक्ष
प्रश्न है कि यहाँ से निकलकर ये बांग्लादेशी और रोहिंग्या कहाँ गए. स्वाभाविक है
कि ये सब म्यांमार या बांग्लादेश तो नहीं लौट जाएंगे.
“जिन्हें विस्थापित किया गया है, उन्हें सर्दी के इस मौसम में बेसहारा न छोड़ा
जाय, और उन्हें कहीं अन्यत्र बसाया जाय” मुख्यमंत्री
योगी की इस सहानभूति पूर्ण बयान का भी
शातिर और भ्रष्ट सरकारी तंत्र अवश्य दुरूपयोग करेगा और इन सभी को एक जगह से हटा कर दूसरी जगह बसा देगा. शायद योगी
जी से यह बात छिपाई गयी है कि इनमे बड़ी संख्या बंगलादेशियों और रोहिंगयाओं की है जिन्होंने अपना काम धंधा
भी यहीं पर फैला रखा है. नगर निगम का सफाई ठेकेदार जिन लोगों से शहर की सफाई कराता
है, उनमें ज्यादातर बांग्लादेशी और रोहिंग्या ही है, यह बात अधिकारियों को क्यों
दिखाई नहीं पड़ती. कमोबेश यही हाल अन्य विभागों का भी है जहाँ ठेकेदारी व्यवस्था है.
घरो से कूड़ा इकट्ठा करने वाले भी यही हैं.
आज हर गली
मोहल्ले में ड्रग बड़ी आसानी से उपलब्ध हो रही है, उसका बहुत बड़ा कारण भी ये अवैध
झुग्गी झोपड़ियां ही है जहाँ से इस पूरे ड्रग व्यापार का संचालन होता है. चोरी, छेड़खानी,
अवैध शराब व ड्रग कारोबार सहित अन्य आपराधिक वारदातों में बांग्लादेशियों और
रोहिंग्याओं का हाथ होता है, जो कानून और व्यवस्था के लिए बहुत बड़ी चुनौती है. उत्तर प्रदेश में कुछ बांग्लादेशियों
को ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामले में भी पकड़ा गया था। कई बांग्लादेशियों द्वारा जिस्मफरोशी
का कारोबार करने की भी बात सामने आ चुकी है। कई बड़ी चोरियों और हत्याओं में भी इन्हें
पकड़ा जा चुका है. विडम्बना
देखिये कि जो अपराधी और घुसपैठिये पुलिस
राडार पर होने चाहिए थे, वे पुलिस संरक्षण में ही फलफूल रहे हैं.
योगी जी से मैं
व्यक्तिगत रूप परिचित हूँ इसलिए विश्वाश है कि अगर उन्हें मामले की सच्चाई पता
होती तो उनका रुख बेहद कड़ा होता और अब तक कई बड़े अधिकारियों के विरुद्ध भी सख्त
कार्रवाई हो चुकी होती. योगी जी के पहले कार्यकाल में कई शातिर अधिकारियों और
राजनेताओं के कारण ही सत्ता उनके हाथ से फिसलते फिसलते बची. दूसरे कार्यकाल में
अधिकारियों ने उनके चारों तरफ़ ऐसी मजबूत घेराबंदी कर रखी है कि वास्तविक स्थित उनके
पास तक या तो पहुँच ही नहीं पाती या बहुत देर से केवल आधी अधूरी जानकारी ही
पहुंचती है.
अतीत में योगीजी
को जिन कार्यों से पूरे देश में वाह वाही मिली थी, उनमें आज कई बेपटरी हो गए हैं.
इनमें एक था मस्जिदों से लाउड स्पीकर हटाना. अधिकारियों ने आवाज कम करने के नाम पर
इस पूरे कार्यक्रम की हवा निकाल दी और केवल आंकड़ों की बाजीगरी करके उत्तर प्रदेश के इस कार्य को सुर्खियों में
रखा, अब सब कुछ पहले जैसा है. एक दूसरा कार्य था मदरसों का सर्वे जिसकी पूरे देश
में बड़ी चर्चा हो रही थी लेकिन अधिकारियों और उनके कुछ विश्वासपात्रों ने इसे भी टांय टांय फिस्स कर दिया.
मुश्किल यह है
कि योगी के शुभचिन्तक असलियत
लेकर
उनके पास पहुँच भी नहीं पाते हैं जो योगी की भविष्य की राजनैतिक यात्रा के लिए शुभ
नहीं है. ऐसा लगता है जैसे पहले योगी आदित्यनाथ का व्यक्तित्व, मुख्यमंत्री के पद
पर भारी पड़ता था, अब मुख्यमंत्री का पद योगी आदित्यनाथ के व्यतित्व पर हाबी होने लगा
है.
आज जब देशवासी
प्रधानमंत्री के रूप में उनमें बड़ी संभावना देखते हैं, योगी का दायित्व बनता है उन्हें अपने
समर्थकों और प्रशंसकों को निराश नहीं करना चाहिए.
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शिव मिश्रा ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~