मंगलवार, 25 मई 2021

26 मई २०२१, को है सुपर मून और इसे कहा जा रहा है सुपर ब्लड मून

 

क्या होता है सुपरमून ?

पृथ्वी की चंद्रमा से दूरी 384400 किलोमीटर मानी जाती है तथा चन्द्रमा के पृथ्वी के चक्कर लगाने के कारण इसकी पृथ्वी से सबसे ज्यादा दूर होने पर ये दूरी लगभग 405696 किलोमीटर मानी जाती है। इस स्थिति को अपोगी कहते हैं।

इसके ठीक विपरीत चंद्रमा के पृथ्वी के सबसे ज्यादा करीब होने की स्थिति को पेरिगी कहते हैं जिसमें पृथ्वी और चंद्रमा की बीच की दूरी लगभग 357000 किलोमीटर रह जाती है। यदि चंद्रमा के पेरिगी की स्थिति में पूर्णिमा पड़ती है तो सुपरमून दिखाई देता है।यानी जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है तो उस समय पृथ्वी वासियों को इसका आकार बड़ा दिखाई पड़ता है और इसकी चमक भी अधिक दिखाई पड़ती है.

26 मई २०२१ को चंद्रमा सामान्य दिनों के मुकाबले करीब 7 % अधिक बड़ा दिखाई देगा। आकार के अलावा इसकी चमक भी आम दिनों की तुलना में करीब 16 % अधिक होगी। इस दिन चंद्रमा धरती के सबसे करीब होगा। वर्ष में न्यूनतम 12 पूर्णिमा पड़ती हैं। कभी-कभी 13 पूर्णिमा भी होती हैं। मगर ऐसा कम ही होता है कि पेरीगी की स्थिति में पूर्णिमा भी पड़े। अतः यह एक खास घटना है। इस दिन सुपरमून का नजारा देखा जा सकता है।

इस बार एक खास बात ये है कि लॉकडाउन के कारण मौसम साफ है और इस कारण यह ज्यादा साफ और अच्छा देखा जा सकेगा.

26 मई २०२१ को दोपहर 01.53 पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे ज्यादा करीब होगा। इस समय चंद्रमा की पृथ्वी से दूरी मात्र 357309 किलोमीटर रह जाएगी। चंद्रमा की ये स्थिति पेरिगी की स्थिति कहलाती है और इस स्थिति से चन्द्रमा हमें काफी बड़ा दिखना शुरू हो जाएगा। मगर सुपर मून देखने के लिए हमें सूर्यास्त का इंतजार करना होगा क्योंकि पूर्णिमा की स्थिति 26 मई को ही दोपहर 4.44 पर हमें प्राप्त होगी जबकि चंद्रमा शाम लगभग 06.54 पर उदय होगा। ऐसे में सूर्यास्त के साथ ही हम सब इस सुपर मून के अद्भुद नजारे का पूरी रात अवलोकन कर सकेंगे।

क्यों कहां जा रहा है इसे सुपर ब्लड मून ?

चंद्र ग्रहण के दौरान चांद पृथ्वी की छाया में चला जाता है. इसी दौरान कई बार चांद पूरी तरह लाल भी दिखाई देगा. इसे ब्लड मून कहते हैं.

नासा के मुताबिक सूरज की किरणें धरती के वातावरण में घुसने के बाद मुड़ती हैं और फैलती हैं. नीला या वायलेट रंग, लाल या नारंगी रंग के मुकाबले अधिक फैलता है. इसलिए आकाश का रंग नीला दिखता है. लाल रंग सीधी दिशा में आगे बढ़ता है, इसलिए वो हमें सूर्योदय और सूर्यास्त के वक्त ही दिखाई देता है. उस वक्त सूर्य की किरणें धरती के वातावरण की एक मोटी परत को पार कर हमारी आंखों तक पहुंच रही होतीं हैं.

क्या भारत में दिखेगा ब्लड मून?

नहीं, भारत के ज़्यादातर हिस्सों के लिए पूर्ण ग्रहण के दौरान चंद्रमा पूर्वी क्षितिज से नीचे होगा और इसलिए देश के लोग ब्लड मून नहीं देख पाएंगे. लेकिन कुछ हिस्सों में, ज्यादातर पूर्वी भारत के लोग केवल आंशिक चंद्र ग्रहण के अंतिम क्षणों के देख सकेंगे. दिल्ली, मुंबई, चेन्नई समेत देश के ज़्यादातर हिस्सों में लोग ग्रहण नहीं देख पाएंगे



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