कौन हूँ मैं, कहाँ से गुजरता रहा ?
आज पूंछो अभी तक क्या करता रहा ?
एक चाहत लिए दावं रखता रहा ,
शह उनकी पे ही मात खाता रहा.
हार कर मैंने खोया नहीं हौसला,
जीत की हार होना नहीं फैसला.
आज ऐसा नवी बन गया अजनवी,
रोज़ जिसको हृदय में बिठाता रहा.
आज पूंछो अभी तक क्या करता रहा ?.......
एक पागल पथिक सा फिर दर बदर,
कितनी मंजिल चली कुछ नहीं है खबर,
ताक पर आश सपने सजाता भी क्या ?
नीर पलको पे आँखें चुराता न क्या ?
आज ऐसी कहानी नहीं कह सका ,
शब्द जिसके लिए दूड़ता फिर रहा.
आज पूंछो अभी तक क्या करता रहा ?.......
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
- शिव प्रकाश मिश्र
shiv prakash mishra
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज पूंछो अभी तक क्या करता रहा ?
एक चाहत लिए दावं रखता रहा ,
शह उनकी पे ही मात खाता रहा.
हार कर मैंने खोया नहीं हौसला,
जीत की हार होना नहीं फैसला.
आज ऐसा नवी बन गया अजनवी,
रोज़ जिसको हृदय में बिठाता रहा.
आज पूंछो अभी तक क्या करता रहा ?.......
एक पागल पथिक सा फिर दर बदर,
कितनी मंजिल चली कुछ नहीं है खबर,
ताक पर आश सपने सजाता भी क्या ?
नीर पलको पे आँखें चुराता न क्या ?
आज ऐसी कहानी नहीं कह सका ,
शब्द जिसके लिए दूड़ता फिर रहा.
आज पूंछो अभी तक क्या करता रहा ?.......
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
- शिव प्रकाश मिश्र
shiv prakash mishra
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~