बुधवार, 27 अक्तूबर 2021

माया नगरी - दौलत और शोहरत के नशे में ड्रग का क्या काम ?

 


माया नगरी का नशा

माया नगरी मुंबई प्राय: किसी न किसी कारण सुर्खियों में रहती है लेकिन उद्धव सरकार बनने के बाद इसका सुर्ख़ियों में रहना आम बात हो गयी है. कहना मुश्किल है कि मुंबई स्वयं  घटनाएं  ढूंढती है या घटनाएं मुंबई का पीछा करती हैं लेकिन इस सत्य को शायद ही  कोई  इंकार करें कि मुंबई बॉलीवुड होने के कारण घटना प्रधान है, क्योंकि यहां झूठी कहानियां गढ़ी  जाती है, झूठे किरदार निभाए जाते हैं, और  कई बार तो सच और झूठ के बीच  अंतर समझना बहुत मुश्किल हो  जाता है. कई बार हत्या को  आत्महत्या घोषित कर दिया जाता है, देश के गद्दारों को महिमामंडित कर देशभक्त बता दिया जाता है. इसी कारण दाऊद इब्राहिम और हाजी मस्तान जैसे कुख्यात अपराधी और  देशद्रोही  राष्ट्र  के  विरुद्ध षड्यंत्र करने में यहीं सफल हुए . प्रत्येक  देशभक्त के लिए इससे दुखद और कुछ नहीं हो सकता कि  बड़ी संख्या में आज भी उनके प्रशंसक फॉलोवर और सहयोगी मुंबई में ऐसो आराम से रह रहे हैं, उनके काले धंधे को गति दे रहे हैं. 

 

वैसे तो भारत के लिए यह  नई बात नहीं है कि  कानून अलग-अलग व्यक्तियों पर अलग-अलग तरह से काम करता है. यहां पैसा, पद, प्रतिष्ठा और पहुंच के कारण प्राय: कानून लाचार हो जाता है. कानून के रखवाले  भी यहां नमक का दरोगा बनने से डरते हैं. ज्यादातर अधिकारी और कर्मचारी माफिया तंत्र के सामने आत्मसमर्पण करने में ही भलाई समझते हैं,  फिर भी कभी-कभी  संज्ञान में आता है  कि ईमानदार अधिकारी और कुशल प्रशासक आज भी हैं और उन्हें भय और लालच से उनके कर्तव्य पथ से विमुख नहीं किया जा सकता.

 ऐसा ही एक मामला 2 अक्टूबर २०२१ को उस समय आया जब नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने एक क्रूज  में छापा मारकर बॉलीवुड के स्वयंभू और स्वघोषित किंग खान के बेटे आर्यन खान को ड्रग  के विभिन्न मामलों  में गिरफ्तार किया.  स्वाभाविक रूप से हो  हल्ला तो मचना ही था.

भारत शायद एकमात्र ऐसा देश है जहां नकली नायकों को महानायक, शताब्दी का नायक आदि विशेषणों से अलंकृत किया जाता है और असली नायकों को दरकिनार कर दिया जाता है उनके विरुद्ध अभियान चलाकर अपमानित करने का कुकृत्य किया जाता है. नारकोटिक्स ब्यूरो  ने शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान सहित कई लोगों को हिरासत में लिया और उनसे लंबी पूछताछ की, और पूछताछ से मिली सनसनीखेज जानकारी ने मामले को और भी अधिक गंभीर बना दिया. आर्यन की जमानत याचिका खारिज हो गई और पिछले 20- 22  दिनों से वह जेल में बंद है. इस मामले ने एक बार फिर लोगों को आशान्वित किया कि पैसे से  सब कुछ हासिल नहीं किया जा सकता. जिस समय  मैं यह लेख लिख लिख रहा हूं उस समय आर्यन खान की जमानत याचिका की सुनवाई मुंबई उच्च न्यायालय में चल रही है, और इस बात की  संभावना बहुत ज्यादा है कि उच्च न्यायालय दरियादिली और प्रगतिशीलता दिखाते हुए आर्यन खान को जमानत दे देगा.

 

पूरे मामले ने एक बार फिर पैसे और प्रसिद्धि के काले खेल, मुस्लिम विक्टिम कार्ड के दुरुपयोग, अपराध और राजनीति कि सांठ  गांठ, बॉलीवुड में नशे के कारोबारियों और अपराधियों की सहभागिता को उजागर कर दिया है . शाहरुख खान के प्रशंसकों को तो बिना बुद्धि और विवेक का प्रयोग किए हुए आर्यन खान  का बचाव करना ही था, सो किया  और इसके लिए  सोशल मीडिया पर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो  से लेकर केंद्र सरकार तक  के विरुद्ध  अभियान छेड़ दिया गया. देशद्रोही मानसिकता के लिए कुख्यात महबूबा मुफ्ती, असदुद्दीन ओवैसी जैसे कई मुस्लिम राजनेताओं ने वक्तव्य  दिया कि आर्यन खान को मुस्लिम होने की वजह से भी वेवजह परेशान किया जा रहा है. हद तो तब हो गई जब कांग्रेस सहित कई राजनीतिक दल शाहरुख खान के पक्ष में लामबंद हो गए और उन्होंने पूरे मामले में केंद्र सरकार को जमकर कोसा. काग्रेस के लोकसभा में नेता अधीर रंजन चौधरी ने तो इस मासूम बच्चे ( 23 वर्षीय आर्यन खान) को तुरंत रिहा करने की मांग की.  




 


      महाराष्ट्र सरकार के एक  घटक राष्ट्रवादी कांग्रेस के  कट्टर मुस्लिम नेता  नवाब मलिक ने तो न केवल मुस्लिम विक्टिम कार्ड खेला बल्कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ( एनसीबी) के अधिकारियों पर वसूली का आरोप भी लगा दिया. उन्होंने एनसीबी  के क्षेत्रीय प्रमुख समीर वानखेडे पर व्यक्तिगत हमले  किये  और उनके पारिवारिक जीवन को कलंकित करने का कुत्सित  प्रयास किया. उन्होंने समीर वानखेड़े पर रिश्वत मांगने का आरोप भी लगाया और अत्यंत हास्यास्पद रूप से यह भी कहा कि समीर वानखेडे दलित नहीं मुस्लिम हैं  और उन्होंने अपनी नौकरी पाने के लिए दलित सर्टिफिकेट का गलत इस्तेमाल किया है. पाठकों की जानकारी के लिए बताते चलें कि  समीर वानखेड़े के पिता दाऊद कचरूजी वानखेड़े हिंदू थे और उन्होंने मुस्लिम महिला से शादी की थी लेकिन वह हिंदू बने रहे. उन्होंने  मुस्लिम बनना स्वीकार नहीं किया. इसलिए  धर्म परिवर्तन नहीं किया था और अपनी पत्नी को भी उसी तरह मुस्लिम बनाए रखा जिस तरह शाहरुख खान ने अपनी पत्नी गौरी को हिंदू बनाए रखा है, लेकिन बच्चे मुस्लिम हैं.  कुछ इसी तरह  और स्वाभाविक रूप से भी समीर वानखेडे हिंदू ही हुए. समीर वानखेड़े ने भी अपनी पहली शादी एक मुस्लिम महिला से की थी लेकिन पिता  की तरह  वह भी हिंदू  बने रहे और उन्होंने  धर्म परिवर्तन नहीं किया. तभी  से वह  नवाब मलिक जैसे कट्टरपंथी मुस्लिमों की आंखों की  किरकिरी बने हुए हैं.  बाद में समीर वानखेड़े ने तलाक के बाद  दूसरी शादी एक हिंदू महिला से की है, जो एक मराठी अभिनेत्री हैं.

 

लोगों  ने नवाब मलिक की बात को  बहुत गंभीरता से नहीं लिया क्योंकि उन  का बॉलीवुड, अपराध जगत और राजनीति से अपवित्र रिश्ता जगजाहिर है और वह इस गठजोड़ में  समन्वय और संवाद स्थापित करने की एक कड़ी है जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बॉलीवुड और अपराध जगत की सहायता करते हैं.  कुछ समय पहले ही उनके दामाद समीर खान को भी ड्रग कारोबार के सिलसिले में एनसीबी ने  गिरफ्तार किया था , जो  हाल ही में जमानत के बाद जेल से बाहर आया है.

 

बात यहीं नहीं रुकी,  शरद पवार भी मैदान में आ गए और उन्होंने केंद्र सरकार पर अपने विरोधियों को शांत करने के लिए  केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया उन्होंने एनसीबी  के क्षेत्रीय प्रमुख समीर वानखेड़े को अप्रत्यक्ष रूप से धमकाया भी . उनका दर्द समझा जा सकता है क्योंकि उनके पार्टी के महाराष्ट्र सरकार के गृहमंत्री पर 100 करोड़ प्रतिमाह  वसूली का सनसनीखेज आरोप है, जो प्रथम दृष्टया सही प्रतीत होता है, जिसमें महाराष्ट्र सरकार के लगभग सभी घटक किसी न किसी रूप जुड़े हैं.  समझा जा सकता है कि इतना बड़ा वसूली कांड बिना पार्टी अध्यक्ष  शरद पवार की अनुमति  के नहीं किया जा सकता. वैसे भी पूरा देश शरद पवार को राजनेता के रूप में कम राजनीतिक व्यवसायी के रूप में ज्यादा जानता है. 

 

शिवसेना के बड़बोले नेता संजय राउत ने तो हमेशा की तरह फिल्मी अंदाज में बहुत अनाप-शनाप वक्तव्य दिए . स्वाभाविक रूप से इसके लिए उन्हें  भी  उद्धव ठाकरे की सहमति प्राप्त होगी. अगर सुशांत सिंह राजपूत और अरनव गोस्वामी मामले से इसकी तुलना करें तो इस तंत्र के सभी लोगों की कथनी और करनी में विरोधाभास स्पष्ट दिखाई पड़ता है, जो उनके छिपे एजेंडे को भी उजागर करता है.

 

 समीर वानखेड़े के विरुद्ध नवाब मलिक द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के लिए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने एक 5 सदस्य टीम गठित कर दी है जो शीघ्र ही मुंबई पहुंच कर आरोपों की जांच करेगी लेकिन इस बीच हिंदी फिल्मों की तरह पूरी कहानी में नए नए मोड़  दिए जा रहे हैं. एक घटनाक्रम में कथित रूप से शाहरुख खान की मैनेजर पूजा ददलानी ने एनसीबी  के एक गवाह को तोड़ लिया जिसने समीर वानखेड़े के विरुद्ध एक नया आरोप गढ़ दिया गयाजिसके अनुसार समीर वानखेडे ने आर्यन खान के पास से कोई ड्रग इसलिए बरामद  नहीं दिखाई ताकि शाहरुख खान से पैसे वसूल करके  उसे छोड़ा जा सके. सच्चाई जो भी हो लेकिन प्रथम दृष्टया इन आरोपों में बॉलीवुड हिंदी फिल्मों की पटकथा ही अधिक दिखाई पड़ती है, जिसमें रोचकता तो हो सकती है लेकिन सच्चाई नहीं.

 

इस बीच एक अन्य घटनाक्रम में जब भारतीय क्रिकेट टीम पाकिस्तान से अपना मैच हार गई तो कई शहरों में पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाते हुए पटाखे छोड़े गए. पहले यह यदा-कदा केवल कश्मीर में ही होता था फिर कुछ अन्य राज्यों में पहुंचा और अब तो ज्यादातर बड़े शहरों में इस तरह के जश्न मनाए जाने की खबरें आती हैं. इसका जिक्र मैंने इसलिए किया क्योंकि यह दोनों घटनाएं आपस में एक कड़ी से जुड़ी है और वह खड़ी है जिहाद और इसे जानते हुए भी अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए  बढ़ावा देते राजनीतिक दल, कुछ चुनिंदा संस्थाएं और बिके हुए लोग.  यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि आज कई फिल्मों में नशे के कारोबारियों, अपराधियों, आतंकवादियों और राजनीतिज्ञों की अवैध कमाई का पैसा लगता है, और फिर इस निवेश के मुनाफे  का उपयोग राजनीतिक सत्ता हासिल करने, धर्मांतरण करव़ाने, और अन्य देश विरोधी गतिविधियों में किया जाता है.

 

एक और जहां फिल्म उद्योग के  नकली नायक छोटे और बड़े पर्दे पर तंबाकू, पान मसाला, शराब और अन्य हानिकारक वस्तुओं का विज्ञापन करके लोगों को दिग्भ्रमित करने का काम करते हैं, वहीं दूसरी ओर नशे के कारोबारी इन्हीं नायकों के बच्चों का उपयोग नशे का कारोबार बढ़ाने के लिए  करते हैं, ताकि इस देश की युवा पीढ़ी को नर्क में झोंकने  की कीमत पर भी फायदा कमाया जा सके. इन नायको और नशा कारोबारियों का ध्येय एक ही है. नशे की इस कारोबार में वैश्विक रूप से ज्यादातर आतंकवादी संगठन सक्रिय हैं और इसलिए नशे की इस कारोबार से बनाया गया पैसा आतंकवादी गतिविधियों और देश तोड़ने वाले अभियानों में किया जाता है.

 

आज न केवल इस पूरे गठजोड़  से सावधान रहने की आवश्यकता है वरन राष्ट्र को बचाने के लिए इनके षड्यंत्र को विफल करने और सच्चाई देश के सामने लाने की अत्यंत आवश्यकता है. देश बचेगा तभी हम बच सकेंगे.

- शिव मिश्रा 

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लेखक आर्थिंक सामाजिक और समसामयिक विषयों के लेखक हैं.