गुरुवार, 12 अगस्त 2010

भविष्य........

कैसे मुस्कान हो ,
निरुद्वेग अधरों पर,
बदलो सा मिलना,
निकलना भी छूट गया.

जीवन के कतिपय अंश
स्वस्ति के लिए हव्य,
आशातीत बेडा एक,
 सपना सा टूट गया..

कच्ची पगडण्डी सी,
 किस्मत की रेखाए,
धूमिल आशाओं में,
 वर्तमान भटक गया.

अतीत के दलदल में ,
डूबती       तस्वीरे,
कल्पना का यान जीर्ण,
 दूब में अटक गया..

शक्ति के समन्वय में,
 शांति के प्रणेता से ,
वर्षो का खोटा सिक्का,
 गांठ से निकल गया..

*****************
शिव प्रकाश मिश्र
*****************

और ……अब हलाल टाउनशिप !

  और ……अब हलाल टाउनशिप ! || ग़ज़वा ए हिंद का आखिरी चरण प्रारम्भ हलाल टाउनशिप का मामला सुर्खियों में है। मुंबई के नेरल-कर्जत क्षेत्र में एक ह...