रिश्ते प्यार के,
और रस्ते पहाड़ के,
कभी बिल्कुल आसान
तो नही होते ।
कभी आंधी, कभी तूफान,
कभी धूप, कभी छांव ,
तो कभी साफ आसमान
नहीं होते ।
थोड़ी सी बेचैनी से,
सैलाब उमड़ पड़ते है अक्सर,
और आंखे भी निचोड़ी जाय,
तो कभी आँसू नहीं होते ।
प्यार एक धर्म है,
जिसमें मर्म हैं हर कर्म के ,
पर हर कर्म के
विधि,
विधान और संविधान
नही होते ।
नही होते ।
भावनाओं की,
कभी बैलेंस शीट बनाई नहीं जाती,
निवेश के समानुपात लाभ मिले,
ऐसी आश भी लगाई नहीं जाती,
कौन समझा है किसे ? और कितना ?
ये समझ कर ही तो ,
दिल की हर बात बताई नही जाती । सच्चाई क्या है ? कैसी है ?
अब तो अपनी ही नजर
काफी कमजोर हुई लगती है ।
दिल है बोझिल,
बहुत बेचैन है,
परेशान है हर शहर , अपने खालीपन से ॥
***********************
शिव प्रकाश मिश्रा