शनिवार, 17 सितंबर 2022

साधुओं पर हमले का रहस्य

 

साधुओं पर हमले सनातन विरोधी साजिश










ज़रा गंभीरता से सोचिए कि अगर आपकी सुरक्षा करने वाले ही सुरक्षित न रहे, षडयंत्र पूर्वक उनकी हत्याये की जाने लगे, और खतरा आप पर भी हो, तो आप कैसे सुरक्षित रह सकते हैं और कब तक बचे रह सकते हैं?

देश में इस समय अनेक ऐसी घटनाएं हो रही है जो  आपस में जुड़ी हुई दिखाई तो नहीं पड़ती लेकिन उनमें बहुत गहरा संबंध है. एक नया और महत्वपूर्ण घटनाक्रम है, साधु सन्यासियों की हत्याएं और उन पर जानलेवा हमले, जो देखने में तो सामान्य कानून व्यवस्था  और अफवाह आधारित स्वतःस्फूर्त मामले  दिखाई पड़ते हैं लेकिन अगर गंभीरता से विचार करें तो ये हिंदुओं और उनकी प्राचीन सनातन संस्कृति के विरुद्ध बहुत बड़े षड्यंत्र का हिस्सा है.

हाल में बच्चा चोरी की अफवाह आधारित आरोप में देश के विभिन्न भागों में साधुओं की हत्याएं हुई हैं और कई जगह उन पर जानलेवा हमले किए गए और उन्हें मारने की कोशिश की गई. इस तरह की घटनाओं से हिंदुओं और सनातन संस्कृति पर अप्रत्यक्ष रूप से हमला किया गया है. इस षड्यंत्र के कारण साधुओं के रूप में सनातन संस्कृति के निस्वार्थ कार्यकर्ताओं की हत्याएं जितनी गंभीर है उससे भी अधिक गंभीर यह है कि इसका उद्देश्य  सनातन संस्कृति के ध्वज वाहको के प्रति समाज में असम्मान और अविश्वास पैदा करना है जो हजारों वर्षों से घर परिवार छोड़ कर, माया मोह के बंधन त्यागकर सनातन संस्कृति के प्रति कृत संकल्पित होकर उसकी रक्षा करते आए हैं. इन हत्याओं को अफवाहों के आधार पर स्वाभाविक आक्रोश नहीं माना जा सकता है. अफवाह फैलाना भी एक बड़े षड्यंत्र का एक हिस्सा है. हिन्दी फिल्मों में तो लम्बे समय से साधू सन्यासियों का विकृत रूप पेश किया जा रहा है.   

पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक जिले के पुलिस अधिकारी के एक वीडियो में छेड़छाड़ करके उसे इस ढंग से बना दिया गया कि यह लोगों को पुलिस विभाग की तरफ से सावधान रहने की चेतावनी जैसा लगने लगे. इसमें कहा गया है कि “500 से अधिक अपराधी प्रवृत्ति के लोग साधु सन्यासियों के भेष में देश के विभिन्न भागों में घूम रहे हैं जो बच्चा चोरी करके उनके शरीर के अंग बेचने का काम करते हैं, इनसे सावधान रहें”  इस वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल किया गया और इसके कारण अफवाहों का बाजार गर्म हुआ, और  इस कारण देश के कई भागों में साधु सन्यासियों पर बिना सोचे समझे हमले होने लगे, यह सही है कि अफवाहें बहुत तेजी से फैलती है, लेकिन इनके पीछे कौन है, इसकी तह में जाना अत्यंत आवश्यक है.

कुछ समय पहले महाराष्ट्र के पाल घर में साधुओं  की निर्मम हत्यायें  की गई थी और मौके पर उपलब्ध पुलिस मूकदर्शक बनी रही थी. उस समय उद्धव ठाकरे की सरकार थी जो एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन की सरकार थी, पर अब  महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में हिंदूवादी सरकार है लेकिन साधु सन्यासियों के विरुद्ध षडयंत्र अनवरत जारी है. सांगली में चार साधुओं की बच्चा चुराने के शक  में निर्मम पिटाई की गई और यह घटना भी पालघर की घटना की तरह होते होते बची. एक प्रतिष्ठित अखाड़े से सम्बद्ध यह सन्यासी कर्नाटक के बीजापुर से महाराष्ट्र के पंढरपुर जा रहे थे और पिछली  रात उसी गांव के मंदिर में ही ठहरे थे. फिर अचानक दूसरे दिन ऐसा क्या हो गया कि  कुछ ग्रामीणों ने उन्हें गाड़ी से खींच कर बेरहमी से पीट कर ह्त्या का प्रयास किया. बिहार के मधुबनी में एक मंदिर में  दो साधुओं की हत्या कर दी गई, पुलिस द्वारा यह कारनामा चोरों का बताया गया है, जो विश्वसनीय नहीं है.

बिहार के हाजीपुर की एक घटना पूरे हिंदू समाज की आँखें खोलने वाली है, जहाँ कुछ साधू  नंदी लेकर गांव में घूम कर लोगों से दान व भिक्षा मांगते देखा गया. ये लोग भी एक मंदिर में ठहरे लेकिन भगवान के प्रति कोई आस्था प्रदर्शित न करने  के कारण गांव वालों को शक हुआ,  तो पता चला कि यह सभी मुस्लिम हैं. पुलिस के समक्ष इन लोगों ने जो बयान दिया कि नंदी लेकर भिक्षा मांगने का यह काम उनके परिवार में कई पीढ़ियों से होता आया है, इसलिए वे भी ऐसा करते हैं, विश्वसनीय नहीं लगती. हो सकता है कि उनका इरादा साधुओं को बदनाम करने के उद्देश्य से साधु भेष में किसी बड़ी घटना को अंजाम देना हो. मथुरा वृंदावन सहित किसी भी तीर्थ स्थल पर मंदिर के आसपास बड़ी संख्या में लड़के लड़कियां और युवक श्रद्धालुओं को तिलक लगाकर पैसे मांगने के लिए खड़े रहते हैं,जिनमें बड़ी संख्या में मुस्लिम होते हैं.

इनसे सावधान रहने की जरूरत तो है, लेकिन किसी भगवाधारी साधू की मोब लिंचिंग प्रदर्शित करता है कि ऐसे लोग सनातन धर्म से विमुख होकर पथ भ्रष्ट हो रहें हैं. यह सब हिंदुओं की गिरती आस्था और चारित्रिक पतन को रेखांकित करता है, भले ही इसके पीछे कितनी भी बड़ी साजिश और षड्यंत्र क्यों न हो. चूंकि  सनातन धर्म दुनिया का सबसे सहिष्णु  ऐसा धर्म है, जिसमे कोई धार्मिक पाबंदियां नहीं है और सभी को स्वतंत्र रूप से सोचने ओर समीक्षा करने का धार्मिक अधिकार भी प्राप्त है. संभवतः इस कारण ही सनातन धर्मावलंबियों का धर्म से बहुत गहरा रिश्ता नहीं जुड़ पाता है. जिसका फायदा उठाकर क्रिश्चियन और इस्लाम से जुड़ें  लोगों और संस्थाओं ने धर्मांतरण का कुचक्र रचा और बड़ी संख्या में हिंदुओं को क्रिश्चियन या मुसलमान बनाने में सफल भी हुए.

हिन्दुओं के विरुद्ध षड़यंत्र में पिछली सरकारों  ने प्रत्यक्ष रूप से सहयोग भले ही न किया हो लेकिन धर्मांतरण का धंधा बिना किसी रुकावट के चलता रहा. राजनीति के सौदागरों ने वोटों  के लालच में धर्मांतरण, लव जिहाद, अराजकता और धार्मिक उन्माद फैलाने वाली संस्थाओं के कार्य में यथा संभव सहयोग किया और उनके दुष्कृत्य को उचित भी ठहराया, जो ज्यादातर राजनीतिक दल आज भी कर रहे हैं. धर्मांतरण के लिए इन संस्थाओं ने सनातन समाज में विघटन के बीज बोने का कार्य भी किया जिसके अंतर्गत समाज में विभिन्न जातियों के बीच मतभेद पैदा करके उन्हें जातियों उपजातियों, अगड़े पिछड़े, दलित आदिवासी के रूप में रेखांकित करने का कार्य भी किया. इसका उद्देश्य इन सभी सनातनियों को धर्म से विमुख करके समाज की मुख्यधारा से अलग थलग करना था.

हिन्दुओं के विरुद्ध इस तरह के षडयंत्र अंग्रेजी शासन में ही शुरू हो गए थे और इसमें वामपंथी इस्लामिक गठजोड़ ने प्रमुख भूमिका निभाई. इतिहास को विकृत रूप में पेश किया गया. मनुस्मृति सहित कई पौराणिक ग्रंथों में हेरफेर करके उन्हें परिवर्तित रूप में प्रकाशित किया गया और हिंदू समाज को विभाजित करने के उद्देश्य से इसे कपटपूर्ण ढंग से प्रचारित और प्रसारित किया गया. आर्यों को बाहरी और भारत पर आक्रमणकारी बताया गया. मनुस्मृति  में छेड़छाड़ करके इसे  दलित और आदिवासी विरोधी बना दिया गया और दलितों में आक्रोश पैदा करके उन्हें ब्राह्मणों और सवर्ण जातियों के विरुद्ध आंदोलन चलाने के लिए प्रेरित किया गया. षड्यंत्रकारी वामपंथी इस्लामिक गठजोड़ अपने उद्देश्य में काफी हद तक सफल भी हो गए और  उन्होंने बड़ी संख्या में दलित और आदिवासियों को धर्मांतरित करने में सफलता प्राप्त की थी.

बिहार और उत्तर प्रदेश में अनेक स्थानों पर साधुओं पर हमले हो रहे हैं जिसमें कई साधूओं की मृत्यु हो चुकी है, और कई गंभीर रूप से घायल हुए हैं. इन अफवाहों के पीछे के षड्यंत्र की जांच अत्यंत आवश्यक है, वरना यह सिलसिला रुकने वाला नहीं. सोशल मीडिया पर छद्म हिन्दू  नामों से सनातन धर्म के विरुद्ध विष वमन किया जा रहा है. अभी तक केवल लव जिहाद ही था अब तो इनकार करने पर ज़िंदा जलाने जैसे मामले भी आ रहे हैं. मुस्लिम समुदाय के युवक हिन्दू लड़कियों के अपहरण और बलात्कार में लिप्त हो रहे हैं. मदरसों में आतंकवादी संगठनो की संलिप्तता सामने आ रही है. मिशन 2047 प्रकाश में आ चुका है. इन्हें अलग अलग करके देखना भारी भूल होगी. इसलिए  “सबका साथ, सबका विकाश, और सबका विश्वास” में लगी मोदी सरकार को चाहिए कि सनातन संस्कृत के खिलाफ हो रहे षड्यंत्रों को विफल करने और भारत पर गजव़ा-ए-हिन्द के खतरे को देखते हुए प्रभावी कार्यवाही करे. विकाश तो तभी होगा जब देश बचेगा. ***    

  




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