रविवार, 2 मई 2021

पश्चिम बंगाल में भाजपा की हार !

 पश्चिम बंगाल में बीजेपी हारी नहीं है, क्योंकि हार वहीं होती है जहां पहले जीत हुई होती है. बीजेपी के पास तो विधानसभा की कुल 3 सीटें थी और 3 से वहां तक पहुंचना आसान काम नहीं है.

लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि अथक प्रयासों के बाद भी भाजपा पश्चिम बंगाल जीत नहीं सकी है. भाजपा का नारा था अबकी बार 200 के पार, वह बहुत मुश्किल लक्ष्य था लेकिन ऐसा लग रहा था कि भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस को कड़ी चुनौती पेश की है और भाजपा सत्ता में अवश्य आएगी भले ही उसकी सीटों की संख्या 150 के आसपास ही क्यों न हो. कई राष्ट्रीय एग्जिट पोल में ऐसा बताया भी गया था लेकिन सबसे बड़ी बात है कई यूट्यूबर जो महीनों से पश्चिम बंगाल की हवा छान रहे थे उन्होंने भी बिल्कुल स्पष्ट कर दिया था की ममता सत्ता में वापसी नहीं कर पाएंगी .

स्वाभाविक है बहुत लोगों को आश्चर्य हुआ होगा और मुझे भी बहुत आश्चर्य हुआ और अफसोस भी लेकिन लोकतंत्र में लोगों का मत ही सर्वोपरि है, चाहे वह घुसपैठियों और रोहिंग्याओं का ही क्यों न हो ?

इसलिए जो जीता वही पांडव.

मेरा प्रारंभिक विश्लेषण यह कहता है कि पश्चिम बंगाल में मुस्लिम मतदाता एकजुट होकर ममता के पीछे खड़े हो गए जो यह दर्शाता है कि भारतीय मुस्लिम मतदान के मामले में जो बीजेपी को हरा सकता है उसी को वोट करते हैं क्योंकि उनकी नजरों में केवल भाजपा ही हिंदूवादी दल है जो उनके इस्लामिक विस्तार बाद को रोक सकता है. इसलिए बड़े उद्देश्य की पूर्ति के लिए अगर जिन्ना भी आकर मुस्लिमों से बीजेपी को वोट देने के लिए कहें तो वह नहीं सुनेंगे. यही कारण है कि ओवैसी और फुर्फूरा शरीफ भी बुरी तरह से विफल हो गए और इस चक्कर में कांग्रेस और वाम दलों का भी सफाया हो गया.

अभी तक प्राप्त रुझान में तृणमूल कांग्रेस को 55% से भी अधिक वोट शेयर मिलता दिखाई पड़ रहा है जिससे स्पष्ट है कि मुस्लिमों का एकमुश्त वोट ममता को मिला. इसके अलावा भद्रलोक और कुछ हिंदू विरोधी मानसिकता रखने वाले हिंदुओं के वोट भी ममता को मिले, अन्यथा जो स्थिति पश्चिम बंगाल में इस समय थी उसमें भाजपा का हारना लगभग असंभव था.

  • मुझे बहुत अधिक आश्चर्य नहीं हो रहा है कि बंगाल के मूल निवासी शायद अपने अतीत से भी यह नहीं समझ पा रहे हैं कि उन्होंने कितनी गलतियां की हैं.
  • संपूर्ण भारत में बंगाल ही ऐसा राज्य था जहां बख्तियार खिलजी नाम के एक मुस्लिम ने अपना शासन स्थापित किया था जिसके लिए उसे ज्यादा विरोध का सामना भी नहीं करना पड़ा था.
  • इसके बाद 550 वर्ष तक मुस्लिम साम्राज्य बिना किसी अवरोध के चलता रहा. किसी भी बंगाली हिंदू ने गुलामी से निकलने का प्रयास नहीं किया और 1757 में जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने प्लासी के युद्ध में मुस्लिम शासक को हराकर बंगाल विजय की तभी बंगाल से मुस्लिम शासन खत्म हो सका.
  • यह बंगाल ही है जिसका मुस्लिम जनसंख्या के हिसाब से 1905 में सबसे पहले अंग्रेजों ने विभाजन किया .
  • 1947 में भारत के विभाजन के समय पूर्वी बंगाल पाकिस्तान को दिया गया जिसका बंगाल में नाममात्र का भी विरोध नहीं हुआ लेकिन विभाजन के समय और हिंदुओं के पूरी पाकिस्तान से भारत आने के समय भयंकर नरसंहार हुआ.
  • पूर्वी पाकिस्तान जो आज बांग्लादेश बन गया है से लगे सीमावर्ती जिलों में मुस्लिम आबादी का विस्फोट हो चुका है और कई जले 90% तक मुस्लिम बाहुल्य चुके हैं.
  • पश्चिम बंगाल का यह संकट अखंड भारत के लिए बहुत बड़ा संकट है लेकिन आजादी के बाद जिस किसी की भी सरकार रही - कांग्रेस, वामदल या ममता, किसी ने भी इस संकट की तरफ ध्यान नहीं दिया उल्टे मुसलमानों को वोटों की फसल की तरह इस्तेमाल किया.
  • ममता बनर्जी ने अपने पिछले 10 साल के शासन में पश्चिम बंगाल में जो किया वह अत्यंत विभाजन कारी है.
    • करदाताओं के पैसे से उन्होंने मस्जिदों के इमाम और अजान देने वालों के लिए वेतन और भत्ते देना शुरू कर दिए हैं.
    • मुस्लिमों की कई जातियों को अनुसूचित जाति और पिछड़ी जातियों में शामिल कर दिया है.
    • बंगाल के हिंदुओं के हितों पर कुठाराघात हो गया है.
    • कई जिले देश विरोधी और आतंकवादी गतिविधियों के लिए कुख्यात हो गए हैं.

ममता की जीत लोकतांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत हुई है भले ही उसमें छापा वोटिंग, डराने धमकाने जैसी गतिविधियां भी शामिल हो, इसलिए इसका स्वागत करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है किंतु अखंड भारत के लिए यह खतरे की घंटी है.

देश में लोग मुस्लिम आक्रमण के समय और विभाजन के समय जो स्थितियां थी वह आज भी बरक़रार हैं. यह देश का दुर्भाग्य है कि लोग वैसे ही बेखबर है जिन कारणों से देश गुलाम हुआ था .