शनिवार, 6 सितंबर 2025

संभल हिंसा रिपोर्ट, सच्चाई की एक बहुत छोटी सी झलक


संभल हिंसा रिपोर्ट, सच्चाई की एक बहुत छोटी सी झलक || पूरा देश संभल होने के कगार पर || कांग्रेस भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने को आतुर


नवंबर 2024 में उत्तर प्रदेश के संभल में विवादित जुमा मस्जिद के न्यायिक सर्वेक्षण के दौरान काफी हिंसा हुई थी. मस्जिद से आवाहन करके बुलाई गई विशेष संप्रदाय की भीड़ ने पुलिस पर अचानक आक्रमण किया जिसके जवाब में पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी। मुस्लिम पक्ष के दो समुदायों, तुर्कों और पठानों के बीच बरसों से चल रही रंजिश ने भी घातक संघर्ष का रूप ले लिया। दोनों पक्षों में आपस में जमकर फायरिंग हुई जिसमें चार लोगों की मृत्यु हो गई और कई लोग घायल हो गए, लेकिन तुष्टिकरण में लिप्त राजनीतिक दलों ने आसमान सिर पर उठा लिया और मुसलमानों की आपसी हिंसा में मारे गए लोगों को पुलिस द्वारा की गई हत्या करार दिया. सपा ने तो मृतकों के घर जाकर ५-५ लाख रुपये की नकद धनराशि भेंट की थी.

यह हिंसा उस समय हुई जब न्यायालय द्वारा नियुक्त कोर्ट कमिश्नर और उनके साथ दोनों पक्षों के वकील विवादित जामा मस्जिद के सर्वे के लिए जा रहे थे. योगी सरकार की कार्य कुशलता और पुलिस की तत्परता से हिंसा पर रोक तो लग गई लेकिन राजनीतिक आरोपों के परिपेक्ष में घटना की विस्तृत जांच के लिए एक तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन कर दिया. प्रयागराज उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश देवेंद्र कुमार अरोड़ा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग ने संभल हिंसा पर अपनी रिपोर्ट उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी है. न्यायिक आयोग के अन्य सदस्यों में भारतीय पुलिस सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी अरविंद कुमार जैन और भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्ति अधिकारी अमित मोहन प्रसाद भी शामिल थे.

संभल में विष्णु हरि मंदिर को तोड़कर बनाई गई जुमा मस्जिद का ताजा विवाद पिछले साल 19 नवंबर से तब शुरू हुआ जब अधिवक्ता हरि शंकर जैन और विष्णु शंकर जैन सहित हिंदू याचिकाकर्ताओं ने संभल जिला अदालत में एक याचिका दायर की कि शाही जुमा मस्जिद हरि मंदिर के ऊपर बनाई गई है. अदालत ने सर्वेक्षण का आदेश देकर कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति कर दी. कोर्ट कमिश्नर के साथ दोनों पक्षों के वकील 19 नवंबर को विवादित जुमा मस्जिद में सर्वेक्षण के लिए गए और सर्वेक्षण का कार्य भी किया. सर्वेक्षण के शेष बचे कार्यों को पूरा करने के लिए 24 नवंबर को कोर्ट कमिश्नर पुनः विवादित जुमा मस्जिद में पहुंचे. सुंनयोजित षड्यंत्र के अंतर्गत विवादित मस्जिद से लाउडस्पीकर द्वारा घोषणा करके समुदाय विशेष के लोगों की भीड़ एकत्र की गई, जिसने कोर्ट कमिश्नर, हिंदू पक्ष के अधिवक्ताओं और पुलिस पर जान लेवा हमला किया गया. परिणामस्वरूप चार लोगों की मौत हो गई और 29 पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए. पुलिस ने हिंसा के सिलसिले में समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और मस्जिद समिति के प्रमुख ज़फर अली के खिलाफ मामला दर्ज किया, साथ ही 2,750 अज्ञात लोगों के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की. इनमें कई वांछित अपराधियों को जेल भेजा जा चुका है और अनेक अभी भी फरार चल रहे हैं.

450 पन्नों की न्यायिक आयोग की रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी गई है जिसमें न केवल 24 नवंबर 2024 को हुई हिंसा का विस्तृत विवरण दिया गया है बल्कि अब तक हुई प्रमुख हिंसात्मक घटनाओं और दंगों का भी वर्णन किया गया है. इसमें बताया गया है कि संभल में हिंदुओं की आबादी बहुत तेजी से घट रही है. स्वतंत्रता के समय 1947 में संभल में हिंदुओं की आबादी 45% से अधिक थी जो 2025 में घटकर केवल 15% रह गई है. इन 78 सालों में 30% कम हुई हिंदू आबादी का कारण है, आजादी के बाद 1947, 1948, 1953, 1958, 1962, 1976, 1978, 1980, 1990, 1992, 1995, 2001, 2019 में 15 से अधिक सुनियोजित दंगों में किए गए हिंदू नरसंहार की घटनाये, भयाक्रांत हिंदुओं का पलायन, और जबरन धर्मांतरण. 1978 के दंगे के बाद हिंदुओं की संख्या तेजी से घटती चली गई। रिपोर्ट में हरिहर मंदिर के ऐतिहासिक अस्तित्व के साक्ष्य मिलने का वर्णन किया गया है। बाबर के समय से हिंदुओं के लगातार दमन, जनसंख्या बदलाव, सुनियोजित दंगे, आतंकी नेटवर्क, तथा नशे के कारोबार सहित कई गैर कानूनी कार्यों का भी वर्णन किया गया है. संभल में दंगों का आयोजन हिंदुओं की संपत्तियों पर कब्जा करने, डरा धमकाकर उन्हें पलायन करने के लिए विवश करने और जबरन धर्मांतरण करने के लिए किया जाता था. संभल कई सारे आतंकवादी संगठनों का अड्डा बन चुका है. दंगों में विदेशी हथियारों का प्रयोग किया गया था, इसके साक्ष्‍य भी न्‍यायिक आयोग को मिले हैं।

रिपोर्ट में इस बात का स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर रहमान वर्क ने उकसाने वाला भाषण दिया और मुसलमान से कहा कि वह इस देश के मालिक हैं. संभल की जामा मस्जिद हमारी थी, हमारी है और हमारी रहेगी, वह इसे बाबरी मस्जिद की तरह छीनने नहीं देंगे. रिपोर्ट में संभल को आतंकी संगठनों के अड्डे के तौर पर चिन्हित किया गया है. अलकायदा और हरकत-उल-मुजाहिद्दीन जैसे संगठनों की गतिविधियों का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि अवैध हथियार और नशे के कारोबारी बहुत पहले से सक्रिय हैं. अमेरिका ने जिस मौलाना आसिम उर्फ सना-उल-हक को आतंकवादी घोषित किया था, उसका सम्बन्ध भी सम्भल से बताया गया है.

24 नवंबर 2024 को जिस दिन हिंसा हुई थी उस दिन एक बड़ा दंगा आयोजित करने की योजना बनाई गई थी जिसके लिए बाहर से भी उपद्रवियों को बुलाया गया था, लेकिन भारी मौजूदगी से बड़ा नुकसान टल गया। यह भी सामने आया है कि दंगों की आड़ में हिंदुओं के धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया गया. संभल के 68 तीर्थ स्थलों और 19 पावन कूपों पर कब्जे की घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि यह सब योजनाबद्ध तरीके से किया गया. हरिहर मंदिर पर कब्जे के प्रयासों का भी जिक्र है. योगी सरकार ने इन तीर्थ स्थलों और पावन कूपों के पुनरुद्धार के लिए योजना बना कर 30 मई 2025 को इसका शिलान्यास भी कर दिया है .

न्यायिक आयोग की रिपोर्ट में 24 नवंबर 2024 को हुई हिंसक घटना से सम्बंधित साक्ष्यों के अतिरिक्त, सब कुछ पहले से ही उपलब्ध है जिसे लगातार राजनीतिक कारणों से अनदेखा किया जाता रहा है.

संभल स्थित हरिहर मंदिर का महत्व यह है कि पौराणिक वर्णन के अनुसार यहां पर कलयुग में भगवान विष्णु का कलकी अवतार होना है. इस कारण इस मंदिर का पौराणिक और अत्यंत धार्मिक महत्व हजारों वर्षो से है, जिसके कारण ही उसे बाबर के सिपह-सालार द्वारा तोड़ा गया था. इतिहास में इसका वर्णन है. सबसे प्रमाणिक वर्णन सीताराम गोयल ने अपनी पुस्तक “हिन्दू टेम्प्ल व्हाट हैपनड टू देम” में किया है. इसमें संदेह की कोई गुंजाइश नहीं है कि हरि मंदिर को तोड़कर ही जुम्मा मस्जिद का निर्माण किया गया था. यह विवादित मस्जिद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के स्वामित्व में है लेकिन राजनीतिक संरक्षण में स्थानीय मुसलमानो ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के कर्मचारियों को खदेड़ दिया. आज पुरातत्व विभाग का कोई भी कर्मचारी मस्जिद के अंदर घुसने की हिम्मत नहीं कर सकता. षड्यंत्र के तहत ऐसा करने का कारण यह था ताकि मस्जिद के अंदर मनचाहा नया निर्माण करवाया जा सके. मस्जिद की इंतजामियां समिति ने दीवारों पर मोटा प्लास्टर करवा कर उनपर अंकित देवी देवताओं के चित्रों और हिंदू प्रतीक चिन्हों को ढकवा दिया. बाहरी दीवारों पर ऐसे रासायनिक रंग रोगन की पुताई करवा कर उस पर उकेरे गए हिंदू प्रतीक चिन्हों को ढकने के साथ-साथ उसे अत्यंत कमजोर बना देने का कार्य किया ताकि वह आसानी से टूट कर गिर जाए और फिर उसकी जगह नया निर्माण करवाया जा सके. मस्जिद परिसर के अंदर पवित्र कूप स्थित है जहां पर शादी -विवाह के समय हिंदू अपनी रस्म अदायगी करने जाते थे लेकिन मुलायम सिंह की तत्कालीन सरकार के समय इसे बंद करवा दिया गया. देवी देवताओं की मूर्तियों के कक्ष के बाहर नई दीवारे खड़ी करके उन्हें स्थाई रूप से ढक दिया गया. न्यायिक सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसा के बाद गस्त के दौरान पुलिस को कई हिंदू मंदिर, कूप और तीर्थ स्थल मिले, जिनमें कई का जीर्णोद्धार किया जा चुका है. पवित्र तीर्थ और कूपों के संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री योगी ने योजना बना कर कार्य शुरू किया है, जो सनातन संस्कृति के संरक्षण की दिशा में किया गया प्रशंसनीय कदम है.

जहां तक संभल में जनसंख्या परिवर्तन का प्रश्न है, यह स्थिति पूरे भारत अनेक स्थानों की है. गजवा-ए-हिंद के षड्यंत्र के अंतर्गत भारत को जल्द से जल्द इस्लामी राष्ट्र बनाने के लिए जनसंख्या परिवर्तन एक महत्वपूर्ण एजेंडा है जिसके लिए, अधिक से अधिक संताने उत्पन्न करने के साथ-साथ अवैध घुसपैठ को जिहादी हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. एक मुस्त वोटो के लालच में भारत के ज्यादातर राजनीतिक दल तुष्टिकरण में इतना गिर चुके हैं कि उन्हें भारत के इस्लामिक राष्ट्र हो जाने की की चिंता नहीं है. गांधी और नेहरू ने गजवा-ए-हिंद के अनुपालन में ही भारत के विभाजन और पाकिस्तान बनाने का कार्य किया था. विभाजन के बाद भी कालांतर में हिंदुस्तान को इस्लामिक राष्ट्र बनाने के लिए इसे धर्मनिरपेक्षता की धर्मशाला बना दिया और मुसलमानों को पाकिस्तान जाने नहीं दिया. यह सब भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाने के कांग्रेस के कुत्सित षडयंत्र का हिस्सा है. भाजपा को यदि अपवाद माना जाए तो आज स्थिति यह है कि सभी दल किसी न किसी रूप में गजवा ए हिंद के लिए ही काम कर रहे हैं लेकिन कांग्रेस हिन्दू विरोधी मुस्लिम संगठन के रूप में कार्य कर रही है जिसका उद्देश्य भारत को जल्दी से जल्दी इस्लामिक राष्ट्र बनाना है.

देर तो बहुत हो चुकी है लेकिन अभी भी कुछ न कुछ किया जा सकता है जिसके लिए सभी राष्ट्रभक्तों को एक जुट होकर पाशविक शक्तियों से संघर्ष करना होगा. अन्यथा जब भारत ही नहीं बचेगा तो संभल, अयोध्या, काशी और मथुरा कैसे बच पाएंगे?

~~~~~~~~~~~~~~~~~~शिव मिश्रा ~~~~~~~~~~~~`

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

लद्धाख से राष्ट्र विरोधी खेल शुरू

  लद्धाख से राष्ट्र विरोधी खेल शुरू || सोनम वांगचुक है मोहरा, पीछे है कांग्रेस और डीप स्टेट सेना || वामपंथ-इस्लामिक गठजोड़ का सफ़र - हमास बाया...