सब कुछ तैयार, तो मोदी को है किसका इन्तजार || भारत पाक युद्ध में असमंजस के बीच देशवासियों के सब्र का बाँध छलकने लगा || अवैध पाकिस्तानियों ने उड़ाई सरकार की नींद लेकिन खेल अलतकिया सबाब पर
22 अप्रैल 2025 को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में घूमने गए 27 से अधिक लोगों की इस्लामिक आतंकवादियों द्वारा धर्म पूछ कर केवल हिन्दुओं की नृशंस हत्या कर दी गई. आतंकियों ने इन लोगों से कलमा पढ़ने को कहा और जिन्होंने नहीं पढ़ा उन्हें गोलियों से भून दिया. इस हिंदू नरसंहार से पूरे देश में उबाल है. लोगों की प्रबल इच्छा है कि सरकार आतंकियों और उनके आकाओं को ऐसा सबक सिखाये कि वे फिर इस तरह की घटना करने की हिम्मत न जुटा सके. सरकार ने भी ऐसे संकेत दिए कि वह आतंकवादियों और आतंकी देश पाकिस्तान के विरुद्ध अब तक की सबसे बड़ी और निर्णायक कार्रवाई करेगी. सरकार द्वारा आहूत सर्वदलीय बैठक में सभी राजनीतिक दलों ने आतंकवाद के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने में सरकार के समर्थन की घोषणा की. संशोधित वक्फ बोर्ड कानून के विरुद्ध आक्रामक बयानबाजी और सड़कों पर हिंसक धरना प्रदर्शन में व्यस्त मुस्लिम नेताओं और मुस्लिम संगठनों ने भी आश्चर्यजनक रूप से न केवल इन जघन्य हत्याओं की निंदा की बल्कि काली पट्टी बांधकर नमाज़ अदा की और कई जगह कैंडल मार्च भी आयोजित किए. यदि यह विरोध वास्तविक है तो स्वागत योग्य है लेकिन इस्लाम, धर्म से अधिक राजनीति है और अलतकिया एक स्थापित परंपरा है जिसमे विपरीत परिस्थितियों में आडम्बर करना रणनीति होती है. इसलिए हिंदुओं को किसी भ्रम में नहीं पड़ना चाहिए.
वैसे तो स्वतंत्रता के बाद से ही भारत पाकिस्तान प्रयोजित इस्लामिक आतंकवाद की चपेट में है और देश के लगभग सभी हिस्सों में आतंकी घटनाएं होती रही है लेकिन जम्मू कश्मीर में जिस ढंग से हिंदुओं का नरसंहार किया गया और उनकी जमीन जायदाद पर कब्जा किया गया वह विश्व का अनोखा उदाहरण है. यहाँ धर्मांध मुस्लिमो ने ही अपने पड़ोसी हिंदुओं का सफाया करने में मुख्य भूमिका निभायी. कई इस्लामिक संगठन और अतिवादी मुस्लिम भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने के लिए जम्मू कश्मीर का मॉडल पूरे देश में लागू करना चाहते हैं. इसलिए पूरी तैयारी के साथ सांप्रदायिक दंगों के लिए बहाने खोजे जाते हैं. पत्थरबाजी, आगजनी और हिंदुओं की निर्मम हत्याओं की प्रकृति भी कश्मीर प्रेरित होती है. आतंकवाद भले ही पाकिस्तान प्रयोजित हो लेकिन स्थानीय स्तर पर इस्लामिक कट्टरपंथी उनका न केवल पूरा सहयोग करते हैं बल्कि उनके दुष्कृत्यों को छिपाने के लिए राजनैतिक समर्थन भी हासिल कर लेते हैं.
सर्वदलीय बैठक में पाकिस्तान के विरुद्ध किसी भी कार्रवाई के लिए सरकार को पूर्ण समर्थन देने के बाद कई राजनेताओं ने तुष्टीकरण की राजनीति शुरू करते हुए आतंकी हमले का कारण सुरक्षा चूक और खुफिया एजेंसियों की विफलता बताना शुरू कर दिया है. कांग्रेस, वामपंथी. आरजेडी. टीएमसी, समाजवादी पार्टी आदि के नेताओं ने प्रत्यक्षदर्शियों और भुक्तभोगियों के दावों को झुठलाते हुए आतंकवादियों द्वारा धर्म पूछे जाने की बात पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है. लालू की पार्टी ने आतंकी घटना को लिखी हुई पटकथा बताते हुए इसे सरकार प्रयोजित बताया. तुष्टीकरण की गंदी नाली के राजनीतिक कीड़ों को विवादित स्वयंभू शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का भी समर्थन मिला, जिन्होंने घटना के लिए मोदी को जिम्मेदार ठहराया और सरकार द्वारा प्रस्तावित कार्रवाई को केवल बयानबाजी बताया.
भारत ने प्रारंभिक तौर पर जो कदम उठाए हैं उनमें सिंध जल समझौता निलंबित करने, दूतावास में कर्मचारियों की संख्या कम करने,पाकिस्तानियों को वीज़ा बंद करने तथा वीजा पर आये पाकिस्तानियों को भारत छोड़ने, द्विपक्षीय व्यापार पर रोक लगाने पाकिस्तान के लिए भारतीय हवाई क्षेत्र प्रतिबंधित करने जैसे कई कदम शामिल हैं. इस बीच भारत में उच्च स्तरीय बैठकें हो रही है और सैन्य तैयारियां शुरू हो चुकी है. अरब सागर में भारतीय जल सेना ने मोर्चाबंदी कर ली है. वायु सेना अत्याधुनिक विमानों मिग, सुखोई और राफेल के साथगंगा एक्सप्रेस वे पर अभ्यास कर रही है और थल सेना ने रणनैतिक घेराबंदी शुरू कर दी है. पाकिस्तान में दहशत का माहौल है. उसने एटम बम की धमकियां देना शुरू कर दिया है. विश्व के अधिकांश देश या तो भारत के साथ हैं या पाकिस्तान के विरोध में लेकिन तुर्की खुलकर पाकिस्तान के समर्थन में आया है तथा चीन ने पाकिस्तान का खामोश समर्थन किया है.
भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की चर्चाओं के बीच आतंकवादियों की स्थानीय इकाइयों से ध्यान पूरी तरह हटा दिया गया है. तंत्र ने पूरे देश का आक्रोश पाकिस्तान की ओर मोड़ कर आतंकवाद की स्थानीय जड़ें पूरी तरह सुरक्षित करने का प्रयास किया है. पहलगाम हिंदू नरसंहार में केवल पुरुषों को मारा गया, स्त्रियों को छोड़ दिया गया जिनसे मिली जानकारी के आधार पर यह बिल्कुल स्पष्ट है कि स्थानीय घोड़ा चालकों और पर्यटन व्यवसाय में लगे अन्य स्थानीय लोगों में आतंकवादियों की बहुत अच्छी पैठ बन चुकी है. इन बदली परस्थितियों में सैलानियों की जान को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है. इस घटना के बाद पर्यटक लौट गए हैं और घाटी में पर्यटन व्यवसाय पर गंभीर संकट आ गया है. यह नहीं माना जा सकता कि कश्मीर में पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों को इतनी समझ न हो कि ऐसी घटनाओं से उनका व्यवसाय बंद हो जाएगा. फिर भी यह हुआ तो इसका सीधा मतलब है कि घाटी में आर्थिक विकास से आतंकवाद समाप्त नहीं किया जा सकता. सरकार को इसके लिए कठोर निर्णय करने पड़ेंगे जो कश्मीरियत की गलत धारणा के कारण अब तक नहीं किए जा सकें. जम्मू कश्मीर में सरकार और विपक्ष में वही राजनैतिक दल है जिनके रहते घाटी में पहले भी भयानक हिंदू नरसंहार हो चुके हैं और जिनके रहते ही हिंदुओं का पलायन हुआ था. आज घाटी में नाम मात्र के हिंदू बचे हैं. मुस्लिम बहुसंख्यक हैं, इस कारण अलगाववाद का समर्थन करने वाले नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी जैसे दलों को सत्ता से बाहर करना संभव नहीं है. जब तक इनमें से कोई भी दल सत्ता में रहेगा, घाटी से आतंकवाद समाप्त होना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है .
भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने के लिए मुसलमान और अनगिनत मुस्लिम संगठन देश में कहाँ क्या कर रहे हैं, इसकी सही और सटीक जानकारी किसी के पास उपलब्ध नहीं है. पाकिस्तानी पासपोर्ट पर वीजा लेकर आए नागरिको को वापस किए जाने को लेकर सनसनीखेज रहस्योद्घाटन हो रहे हैं. अनेक पाकिस्तानी नागरिक वीजा ख़तम होने के बाद भी दशकों से भारत में रह रहे हैं, उन्होंने भारत की नागरिकता भी नहीं ली लेकिन उनके पास आधार कार्ड, राशन कार्ड ओर वोटर आईडी कार्ड सब कुछ हैं. ऐसे लोगो की संख्या लाखों में हो सकती है. जम्मू कश्मीर में ही ऐसे अनेक मामले सामने आए हैं, जिसमे एक इफ्तिखार अली वीजा खत्म होने के बाद भी पिछले 60 सालों से भारत में रह रहे हैं. वह जम्मू कश्मीर के पुलिस विभाग में कर्मचारी हैं, उनका मकान है, परिवार है और बच्चे भी यही बस चुके हैं, जबकि शेष भारत का कोई व्यक्ति कश्मीर में न तो जमीन खरीद सकता है और न ही वहाँ का निवासी बन सकता है. भारत की अनेक मुस्लिम महिलाओं ने पाकिस्तान में शादी की है. वे सरकारी अस्पतालों में सरकारी योजनाओं का फायदा लेकर बच्चे जनने के लिए मायके आती है. चूंकि बच्चे भारत में जन्मते हैं इसलिए वे अपने आप भारत के नागरिक बन जाते हैं. कई महिलाएं तो ऐसी भी हैं जो पाकिस्तानियों से शादी करने के बाद भी कभी भी पाकिस्तान नहीं गई और उनके दर्जनों बच्चे हैं क्योंकि उनकी पाकिस्तानी पति वीजा लेकर इसी काम के लिए भारत आते हैं. अभी तक भारत बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों से त्रस्त था, जिनकी संख्या भारत में 5 करोड़ से भी अधिक हो गयी बताई जाती है. लेकिन अब इन अवैध पाकिस्तानियों ने एक नई समस्या खड़ी कर दी है. यह भारत में मुस्लिम जनसंख्या बढ़ाकर भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने का अभियान है. यह देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए बहुत बड़ा खतरा है. अब जब उन्हें पाकिस्तान भेजा जा रहा है तो फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती जैसे मुस्लिम हितैषी और पाकिस्तान परस्त उन्हें भारत से निकाले जाने का विरोध कर रहे हैं और सरकार के इस कार्य को अमानवीय, अनैतिक और गैरकानूनी बता रहे हैं. अब्दुल्लाह और मुफ़्ती वही लोग हैं जिन्हें कश्मीर से हिंदुओं के पलायन पर न उस समय कोई अफसोस था और न आज. इन्होंने धारा 370 हटाने का विरोध किया था और इसकी बहाली के लिए चीन से सहायता लेने भी गए थे. ये आज भी पाकिस्तान से बात करने की हिमायती है.
जम्मू कश्मीर में आज आर्थिक विकास से ज्यादा इस बात की आवश्यकता है कि वहाँ प्राचीन सांस्कृतिक मूल्यों की स्थापना की जाए, हिंदू जनसंख्या को बढ़ाई जाए और विस्थापित हिंदुओं को वापस लाया जाए. हिंदुओं का जनसंख्या घनत्व बढाने के लिए पूर्व सैनिकों को बसाने का कार्य एक अच्छा विकल्प हो सकता है.
भारत के इस्लामीकरण अभियान को तभी रोका जा सकता है जब मदरसों पर रोक लगाई जाए, मस्ज़िदों को नियंत्रित किया जाए, वक्फ बोर्ड तथा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जैसी संस्थाओं को तुरंत समाप्त किया जाए और पूजा स्थल कानून को रद्द किया जाए. समान नागरिक संहिता और समान शिक्षा नीति तुरंत लागू की जाए. जितनी जल्दी हो सके भारत को सनातन राष्ट्र घोषित किया जाए. अन्यथा भारत के इस्लामीकरण की गति रोक पान संभव नहीं लगता.
~~~~~~~~~~~~~~~शिव मिश्रा~~~~~~~~~~~~~
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