गुरुवार, 17 जून 2021

लक्ष द्वीप की समस्या क्या है और क्या है इसका मुख्य कारण ? क्या इसका कोई समाधान है?

 लक्ष द्वीप की समस्या, कारण और समाधान

 


लक्ष दीप इतिहास और सामरिक महत्व:

लक्षद्वीप एक संस्कृत का एक शब्द है जिसका मतलब है एक लाख दीपों का समूह. यह भारत के दक्षिणी पश्चिमी तट से 200 से 440 किमी (120 से 270 मील) दूर लक्षद्वीप सागर में स्थित एक द्वीपसमूह है। लक्षद्वीप भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे खूबसूरत स्थानों में से एक माना जाता है यह है भारत का सबसे छोटा केंद्र शासित प्रदेश है जिसमें 32 वर्ग किलोमीटर किलोमीटर की भूमि पर 36 छोटे बड़े द्वीप हैं.

लक्ष्यदीप का भारत के लिए बहुत सामरिक महत्व है क्योंकि 20 हजार वर्ग किलोमीटर का जल क्षेत्र और 4 लाख वर्ग किलोमीटर का विशेष आर्थिक क्षेत्र प्रदान करता है. यह पश्चिमी हिंद महासागर में स्थित है और फारस की खाड़ी की तरफ के समुद्री क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है. भारत के क्रूड आयल के जहाज इसी क्षेत्र से आते जाते हैं इसलिए भारत की सुरक्षा की दृष्टि से भी इसका अत्यधिक महत्व है.

कुछ और बातों पर ध्यान देते हैं

  • लक्षदीप की जनसंख्या एक लाख से भी कम है और इसमें 98% मुस्लिम जनसंख्या है और शायद यही इस देश की सबसे बड़ी समस्या भी है क्योंकि इतनी अधिक जनसंख्या प्रतिशत होने के कारण, और भारत का केंद्र शासित प्रदेश होने के बाद भी मुस्लिम इसे इस्लामिक प्रदेश समझते हैं .उनकी अपेक्षा है कि यहां पर इस्लामिक कानून के अनुसार ही शासन व्यवस्था चलाई जाए.

  • यहां की लगभग पूरी जनसंख्या को अनुसूचित जनजाति मैं वर्गीकृत किया गया है. मुस्लिमों का प्रतिशत इतना अधिक होने के बाद भी उन्हें अल्पसंख्यक होने का दर्जा भी प्राप्त है और तदनुसार उन्हें सभी सरकारी सुविधाएं प्राप्त होती हैं.

  • प्राचीन समय में द्वीप पर चोल साम्राज्य का शासन हुआ करता था जो बाद में टीपू सुल्तान के कब्जे में आ गया था और उसी समय यहां पर बड़े पैमाने पर धर्मांतरण हुआ.

  • अंग्रेजों के शासन काल के बाद 1956 में इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया लेकिन मुस्लिम जनसंख्या का प्रतिशत लगातार बढ़ता गया.

  • अगर प्रतिशत के हिसाब से देखें तो यह भारत का सबसे अधिक मुस्लिम जनसंख्या वाला केंद्र शासित प्रदेश है, जहां मुस्लिम जनसंख्या प्रतिशत जम्मू कश्मीर से भी अधिक है.

  • सुरक्षा की दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण होने के बाद भी पिछली सरकारों ने इस केंद्र शासित प्रदेश और द्वीप को सामरिक रूप से उस तरह सुसज्जित नहीं किया जितना किसी देश को अपनी सीमाओं की रक्षा करने के लिए करना चाहिए था.

  • अब जबकि आतंकवादी और जिहादी आक्रमण समुद्री सीमा से भी होने लगे हैं ऐसे में इस द्वीप में सुरक्षात्मक उपाय न करना देश के लिए खतरे की घंटी है.

    • 26 नवंबर को मुंबई में हुआ आतंकी आक्रमण समुद्र के रास्ते से किया गया था और इसके लिए उन्हें विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया था.

    • सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार पाकिस्तान में आतंकवादियों के लिए जो प्रशिक्षण केंद्र चलाए जा रहे हैं उसमें बड़े-बड़े स्विमिंग पूल और तरणताल भी बनाए गए हैं ताकि आतंकवादियों को समुद्री रास्ते से भारत पर आक्रमण करने के लिए तैयार किया जा सके.

    • अब जबकि चीन, पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ग्वादर पोर्ट का कार्य बड़ी तेजी से पूरा कर रहा है, भारत को सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण इस क्षेत्र को सुरक्षा के दृष्टिकोण से मजबूत बनाना ही होगा खासतौर से ऐसे समय में जब केरल में बड़ी संख्या में आतंकवादियों और चरमपंथियों ने अपने ठिकाने बना रखे हो.

विरोध की असली वजह :

कांग्रेस के शासनकाल में 2010 में लक्ष्यद्वीप की राजधानी के काबाराती में महात्मा गांधी की मूर्ति स्थापित करने की योजना बनाई गयी और तदनुसार एमवी अमीनदीवी नमक जलयान में महात्मा गाँधी की कई लाख रुपए की लागत से बनी मूर्ति लक्षद्वीप भेजा गई । महात्मा गाँधी की वह अर्ध-मूर्ति लक्षद्वीप में जलयान से उतारी भी नहीं जा सकी क्योंकि लक्षद्वीप के मुस्लिमों ने ऐसे किसी भी पुतले को लक्षद्वीप में स्थापित करने का उग्र विरोध कर दिया . विरोध करने वालों का तर्क था कि इस्लाम में पुतला लगाना हराम माना जाता है इसलिए वह गांधी जी की प्रतिमा नहीं लगने देंगे. उनका कहना था कि किसी भी पुतले या मूर्ति को स्थापित करने से समुदाय की मजहबी भावनाओं को ठेस पहुँचेगी। स्थानीय मुस्लिम यह मानते हैं कि यदि कोई पुतला स्थापित कर दिया गया तो मुस्लिमों को उसे सम्मान देना और फूलों से सजाना होगा जो कि हिन्दुत्व का एक हिस्सा है और शरिया कानून का उल्लंघन करता है। यही कारण था कि लक्षद्वीप के मुस्लिमों ने कवरत्ती में महात्मा गाँधी की अर्ध-मूर्ति की स्थापना नहीं होने दी .

लक्षद्वीप में मुस्लिमों के विरोध के बाद जलयान एमवी अमीनदीवी महात्मा गाँधी की अर्ध-मूर्ति के साथ वापस कोच्चि आ गया. इससे पहले कि विपक्षी दल इसे राजनीतिक रंग देते एक दिन बाद यह जहाज फिर यह कवरती भेजा गया लेकिन प्रशासन ने मुस्लिमों के कड़े विरोध के चलते कवरत्ती में महात्मा गाँधी की मूर्ति स्थापना की योजना रद्द कर दी थी और मूर्ति पुनः कोच्चि वापस आ गई.

तब से अब तक 11 साल हो गए लेकिन महात्मा गाँधी की वह अर्ध-मूर्ति लक्षद्वीप में स्थापित नहीं हो सकी है। अब ऐसा माना जा रहा है कि गांधी जी की यह अर्ध-मूर्ति लक्षद्वीप के प्रशासनिक कार्यालय में पहुंच गई है और स्थापित होने की राह देख रही है। लक्षद्वीप में मुस्लिमों का विरोध बढ़ता जा रहा है और धर्मनिरपेक्षता एवं अहिंसा की पहचान महात्मा गाँधी जिन्होंने हिंदुओं की कीमत पर मुस्लिमों की पुरजोर तरफदारी की थी और उनका मुस्लिम प्रेम ही उनके अंत का कारण भी बना था .

जो भी हो गांधीजी भारत के राष्ट्रपिता हैं और राष्ट्रपिता की यह मूर्ति अभी भी इस उम्मीद में है कि शायद कभी स्थापित किया जाएगा , जिसके लिए उसे लक्षद्वीप लाया गया था।

लक्षदीप का वर्तमान विरोध

आज लक्षद्वीप विपक्षी नेताओं द्वारा भाजपा सरकार और लक्षद्वीप के प्रशासक की आलोचना का माध्यम बन गया है। दरअसल लक्षद्वीप के प्रशासन ने कुछ कानूनों को मंजूरी दी है, जिसके कारण भारतीय द्वीप समूह के प्रशासक प्रफुल्ल के पटेल के खिलाफ विपक्षी नेता और लक्षद्वीप के स्थानीय लोग लामबंद हो रहे हैं। यद्यपि इन कानूनों का उद्देश्य लक्ष्यदीप का विकास करना है ताकि यह द्वीप भी मालदीप की तरह विकसित हो सके और लोगों को समुचित रोजगार के साथ-साथ उनकी आय में वृद्धि हो सके .

इन कानूनों में प्रमुख रूप से ये हैं -

  • लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण (LDA) के निर्माण के लिये जारी नवीनतम लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन मसौदा, 2021

  • गाय और बैल के अवैध कत्ल पर प्रतिबंध

  • शराब (alcohol) की बिक्री को मंजूरी

  • पंचायत चुनाव में 2 से अधिक संतानों वाले लोगों के उम्मीदवार होने पर प्रतिबंध

  • गुंडा एक्ट लागू करना

विरोध करने वालों में स्थानीय मुस्लिमों, विपक्षी दलों के अलावा कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी प्रमुख रूप से शामिल हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा कि लक्षद्वीप के प्रशासन ने जिन कानूनी परिवर्तनों को मंजूरी दी है वो लक्षद्वीप के स्थानीय समुदाय के ‘सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताओं’ पर एक आघात है। इस मामले पर कॉन्ग्रेस ने केरल उच्च न्यायालय में याचिका भी दायर की और लक्षद्वीप में किए जाने वाले सुधारों पर रोक लगाने की माँग की लेकिन न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी।

( पोस्टर भी बोलते हैं )

आम लोगों के अलावा लक्षद्वीप प्रशासन द्वारा कथित तौर पर कई विवादित फैसले लिए जाने के बाद 93 रिटायर्ड अधिकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। उन्होंने वर्तमान प्रशासक प्रफुल्ल के पटेल को हटा कर, लोगों के प्रति संवेदनशील जिम्मेदार एक स्थाई प्रशासक की मांग की है।

इस बीच शरद पवार और केरल के मुख्यमंत्री ने भी नए नियमों का विरोध किया है,और कहां है कि नए प्रशासन राष्ट्रीय स्वयंसेवक का एजेंडा लागू कर रहे हैं. एक बेहद हास्यप्रद बयान में कांग्रेस के एक स्थानीय नेता ने आरोप लगाया है कि सड़क के किनारे पेड़ों पर लाल और सफेद रंग की पट्टियां बनाई गई हैं जो लक्ष्यदीप का भगवाकरण करना है. सभी शहरों में सड़क के किनारे समुद्र किनारे पेड़ों को जड़ों के पास से लाल और सफेद रंग की पट्टियां बनाकर सजाया जाता है और उनमें नंबर डाले जाते हैं.

( पोस्टर बोलते हैं - कश्मीर शाहीन बाघ से लक्षद्वीप तक एक जैसा प्रदर्शन )

भारत में राजनीत का जो वर्तमान स्वरूप है उसमें केंद्र सरकार और भाजपा के हर कार्य का अच्छे बुरे कार्य का विरोध करने का फैशन है और उसी फैशन के अंतर्गत लक्ष्यदीप का विरोध भी हो रहा है. हर विरोध की तरह इस विरोध में भी फिल्म, कला व साहित्य, और सेवानिवृत्त अधिकारी भी शामिल हैं. इस विरोध में शामिल सभी लोगों कि अपने अपने स्वार्थ है . दुर्भाग्य से सेवानिवृत्त अधिकारियों , जिनमें पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैसे लोग भी शामिल हैं, का इतना संकुचित दृष्टिकोण अपना कर विरोध में शामिल चिंता का विषय है. इन लोगों में किसी के पास अब वापस करने के लिए पुरस्कार नहीं बचे हैं इसलिए वह प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं.

मेरा व्यक्तिगत रुप से मानना है कि अगर सरकार अगर इस भीड़ तंत्र के सामने झुक जाती है तो आगामी सालों में भारत के लिए सुरक्षा की दृष्टि से बहुत घातक परिणाम सामने आने की संभावना है.

लक्ष्यदीप के मुस्लिमों का विरोध तो समझ में आता है लेकिन विपक्षी राजनेताओं सहित सेवानिवृत्त अधिकारियों का सुधारात्मक उपायों का विरोध करना समझ से परे है.

  • क्या इन लोगों को यह नहीं मालूम की लक्ष्यद्वीप भारत का हिस्सा है जो धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है कोई अलग इस्लामिक राष्ट्र नहीं, तो फिर वहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मूर्ति क्यों नहीं लगाई जा सकती ?

  • आतंकवादियों कि समुद्री मार्ग से आक्रमण की साजिशों को रोकने के लिए सैन्य निगरानी की व्यवस्था क्यों नहीं की जा सकती?

  • किसी भी प्रदेश में अपराध चाहे कितने ही कम क्यों न हो, अपराध रोकने और कानून व्यवस्था को और अधिक मजबूत करने का कानून क्यों नहीं बनाया जा सकता?

लक्षदीप भारत का हिस्सा है और भारत के किसी भी हिस्से को राष्ट्रीय परिपेक्ष में आर्थिक गतिविधियां विकसित करने और राष्ट्रीय आय बढ़ाने के लिए उपयोग क्यों नहीं किया जा सकता?

जो भी हो वर्तमान विरोध और आंदोलन के सामने घुटने टेकना उतनी ही बड़ी भूल होगी जितनी कि संविधान में जम्मू कश्मीर के संबंध में धारा 370 जोड़ने को लेकर की गई थी.

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-शिव मिश्रा

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