मंगलवार, 18 जून 2024

कांग्रेस ने ऐसे पप्पू बनाया भारत की जनता को

 

भारत में सभी मतदाता लालची नहीं हैं, जो आज हैं वे पहले भी थे और आगे भी लालची ही रहेंगे. स्वाधीन होने के पहले से ही भारत के मुसलमान बिना किसी भय, चिंता और लालच एकजुट होकर मतदान करते थे, आज भी करते हैं और आगे भी करते रहेंगे. वे किसी राजनैतिक दल को नहीं हमेशा इस्लाम के लिए मतदान करते हैं.

हिंदू मतदाताओं की समस्या है कि वे आज तक एकता का महत्त्व नहीं समझ पाए और न ही वोटिंग का. इसलिए लालच, दबाव या भय के प्रभाव में प्राय: गलत मतदान करते हैं, चाहे ऐसा करने से धार्मिक सामाजिक और आर्थिक रूप से उनका अस्तित्व ही क्यों न समाप्त हो जाए.

एक दृष्टांत से हिन्दू मतदाता की प्रवृत्ति समझना आसान होगा।

देश के विभाजन के समय पंजाब और पश्चिम बंगाल को हिंदुस्तान और पाकिस्तान में बांटा जाना था लेकिन दोनों ही प्रदेशों में कुछ ऐसे शहर थे जहाँ हिंदू आबादी काफी अधिक थी लेकिन मुस्लिम नेता उन्हें पाकिस्तान में शामिल करना चाहते थे क्योंकि वे रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण थे. इनमें से शायद पंजाब का एक शहर था सियालकोट. तय किया गया कि यहाँ जनमत संग्रह कराया जाएगा जिससे पता चल सके कि लोग हिंदुस्तान में मिलना चाहते हैं या पाकिस्तान में.

मतदान के दिन बूथों के बाहर मुस्लिम पुरुष और महिलाओं की लंबी लंबी कतारें थीं जो सुबह तड़के समय से पहले आकर पाकिस्तान के पक्ष में मतदान करने के लिए डट गए थे. हिंदू समुदाय के लोग चाय नाश्ते के बाद आराम से मतदान केंद्रों पर पहुंचे लेकिन लंबी लंबी कतारें देखकर विचलित हो गये. उनमें से बड़ी संख्या में लोग वापस घर लौट गए कि इतनी देर तक कौन लाइन में लग कर वोट देगा. उनमें से कई ने अपने अपने ड्राइंग रूम में बैठकर व्यवस्था पर चर्चा की कि ज्यादा मतदान केंद्र बनाए जाने चाहिए थे, जनता का ध्यान रखा जाना चाहिए था , वगैरह वगैरह.

मतदान का परिणाम पाकिस्तान के पक्ष में आना ही था, सो आया और शहर को पाकिस्तान में मिला दिया गया. जिस शहर में हिंदुओं की आबादी 60-70 प्रतिशत थी वहाँ का जनमत संग्रह पाकिस्तान के पक्ष में आया क्योंकि सभी मुसलमानों ने एकजुट होकर पाकिस्तान के पक्ष में वोट किया और हिन्दू वोट करने ही नहीं गए. ये शहर पाकिस्तान को मिल गया. कुछ दिन बाद ही इस शहर में हिंदुओं का भयंकर नरसंहार हुआ, उनकी संपत्ति के साथ साथ माँ बहनों बेटियों की इज्जत लूटी गई. ज़्यादातर महिलाओं को जबरन धर्मांतरित कर उनका निकाह दूसरी, तीसरी या चौथी बीबी के रूप में मुस्लिमों के साथ कर दिया गया. कुछ लोग भागकर भारतीय सीमा में आ गए लेकिन यहाँ भी शरणार्थी के रूप में उनका जीवन नरक बन गया.

हिंदुओं के विनाश का कारण है उनका मतदान के प्रति गंभीर न होना ।

सब कुछ भूलकर आज भी हिंदुओं को एम वाई( मुस्लिम-यादव), पीडीए (पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक) मैं चिन्हित कर मुस्लिमों के साथ जोड़ा जा रहा है ताकि इन सभी के संयुक्त वोटों से सत्ता हासिल की जा सके, देश भले ही कालांतर में इस्लामिक राष्ट्र बन जाएगा. उसके बाद क्या होगा इसका अंदाजा हमास, तालिबान और आईएसआईएस की कारगुजारियों से लगाया जा सकता है.

जो समुदाय अपने इतिहास से सबक नहीं सीखता उसका विनाश होना निश्चित प्राय होता है, और हिंदुओं के संदर्भ में यह बात बिल्कुल सटीक बैठती है.

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