मंगलवार, 18 जून 2024

ईवीएम का भूत राहुल के सिर पर सवार

 ईवीएम शरणम् गच्छामि : जब तक मोदी सत्ता से बाहर नहीं हो जाते ईवीएम पर विश्वास नहीं किया जा सकता - ईवीएम का भूत राहुल के सिर पर सवार



ईवीएम का भूत एक बार फिर सामने आ गया है वह भी तब जब ऐसा लग रहा था कि शायद ईवीएम का मुद्दा समाप्त हो गया है क्योंकि ईवीएम पर आरोप लगाने वालों को अभी हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में अच्छी सफलता मिली है. सबसे अधिक सफलता पाने वाले दलों में समाजवादी पार्टी और स्वयं कांग्रेस है. राहुल गाँधी तो बहुत पहले से ईवीएम पर सवाल उठाते रहे हैं और उनका ईवीएम पर सवाल उठाना इसका कारण भी लाजिमी है क्योंकि उनको सफलता नहीं मिली और उनका कहना है कि जब तक कांग्रेस नहीं जीतती और सत्ता में नहीं आ जाती ईवीएम पर भरोसा नहीं किया जा सकता. उत्तर प्रदेश, बिहार आदि जैसे राज्यों से पुराना बैलट वोटिंग सिस्टम लागू करने की मांग लंबे समय से की जा रही है, जिसका कारण सभी को मालूम होगा.

अब समझते हैं कि अचानक ईवीएम का भूत जिंदा क्यों हो गया? ईवीएम के मामले में अमेरिका के प्रसिद्ध व्यापारी और उद्योगपति और कह सकते हैं कि दुनिया के सबसे धनी लोगों में शामिल एलन मस्क ने एक बयांन दिया है कि ईवीएम को हैक किया जा सकता है. इसकी संभावना भले ही छोटी हो लेकिन इसे खारिज नहीं किया जा सकता है. एलन मस्क ने अपने बयान के लिए जे ऍफ़ केनेडी जूनियर जो अमेरिका के एक स्वतंत्र उम्मीदवार हैं के ट्वीट का सहारा लिया जिन्होंने खुद किसी बहुत छोटी यूनिट जैसे भारत के महापालिका चुनाव का हवाला देते हुए कहा कि वहाँ पर ईवीएम में गड़बड़ी पाई गयी लेकिन पेपर ट्रेल के सहारे उस गड़बड़ी को पहचाना गया और ठीक कर लिया गया. इसलिए जब तक कि बहुत फुल प्रूफ ना हो ईवीएम का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. उसी को आधार बनाते हुए एलन मस्क ने ट्वीट किया और भारत में राजनैतिक बेरोजगारों ने इसे हाथों हाथ लपक लिया. कांग्रेस 10 साल से सत्ता से दूर है जिससे उसकी छटपटाहट बढ़ती जा रही है. कई और ऐसे दल हैं जो सत्ता से दूर हैं और उनके खजाने खाली हो चुके हैं. उनकी आराम की जिंदगी में बिघ्न पड़ गया है. भारत में राजनीति बहुत बड़ा उद्योग है और इसलिए कई दलों के नेताओं को राजनैतिक उद्योगपति कहना अनुचित नहीं होगा. इनमे कई अदानी अंबानी से भी बड़े हैं और उनसे कम तो नहीं बिलकुल भी नहीं. क्षेत्रीय दलों के पास अनाप शनाप पैसा है, चाहे उत्तर प्रदेश हो, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु या बिहार हो, सभी क्षेत्रीय दलों का यही हाल है.

भारत में राजनीति बहुत ही फायदे का उद्योग है. इसलिए हर आदमी उसमें अपनी किस्मत आजमाता हैं. जो उद्योगपति हैं वो भी राजनीति का मोह नहीं छोड़ पाते. एलन मस्क की बात भी राजनीतिक ही है. जैसे ही एलन मस्क ने ट्वीट किया, राहुल गाँधी ने उनके ट्वीट को शेयर किया और कहा “मैं तो बहुत पहले से कह रहा हूँ की ये ब्लैक बॉक्स है.” ये बात बिल्कुल मूर्खता पूर्ण है. शायद राहुल को ब्लैक बॉक्स के बारे में नहीं मालूम है उनको पुर्ची देने वाले को भी ये नहीं मालूम होगा. ब्लैक बॉक्स बहुत “सेफ डिवाइस” होती है. दुनिया के जितने भी हवाई जहाज, जेट या युद्धक विमान होते हैं. उनमें एक ब्लैक बॉक्स होता है और उसे इस ढंग से डिजाइन किया जाता है कि चाहे जितनी बड़ी दुर्घटना हो जाए, ब्लैक बॉक्स की रिकॉर्डिंग और डेटा होता है, उसके आधार पर ही दुर्घटना का पता लगाया जाता है. इसलिए ब्लैक बॉक्स तो बहुत ही सेफ डिवाइस होती है जिसे न तो राहुल गाँधी और न ही उनकी समझदारी के स्तर का व्यक्ति समझ सकते हैं. अगर ईवीएम से सत्ता मिल जाती तो ये बहुत अच्छी हो जाती अन्यथा बेकार हैं. मोदी ने अपने संबोधन में कहा भी था कि उन्हें लगता था कि विपक्षी ईवीएम की अर्थी निकालेंगे, और ये सही बात है कि अगर गठबंधन को इतनी सफलता नहीं मिलती तो शायद यही होता. राहुल अब मौके की प्रतीक्षा में हैं, वह पहले भी कह चुके हैं अगर मोदी दोबारा सत्ता में आये तो फिर सड़कों पर खून बहेगा, आग लग जाएगी और पता नहीं क्या क्या होगा. राहुल गाँधी के ट्वीट करने के बाद कांग्रेस के पिछलग्गू प्रवक्ता और कांग्रेसी मीडिया चर्चा कर रहे हैं कि अगर ईवीएम हैक किया जा सकता है. तो उसको टेस्ट करने में क्या दिक्कत है टेस्ट करा देना चाहिए. वे यह भूल जाते हैं कि चुनाव आयोग ने तो हैक करने की खुली चुनौती दी थी.

एक बहुत छोटी सी बात जो हाईस्कूल में पढ़ने वाला बच्चा भी बता सकता है कि हैकिंग के लिए कनेक्टिविटी चाहिए जिसको आप ऑनलाइन या वर्चुअल कनेक्टिविटी कह सकते हैं. ईवीएम में न तो ब्लूटूथ है, न वाईफाई, न इन्फ्रारेड या अन्य कोई अन्य कनेक्टिविटी. ईवीएम में किसी भी तरह की कोई कनेक्टिंग इंटरमीडिएटरी डिवाइस का इस्तेमाल नहीं होता है इसलिए हैक करने का तो प्रश्न ही नहीं उठता है. इसमें चिप लगाई जा सकती है, बाहर से डेटा इन्फ्यूज किया जा सकता है, डेटा बदला जा सकता है, डेटा करप्ट किया जा सकता है, ये सारी चीजें सही हो सकती है लेकिन हैकिंग की बात तो संभव नहीं है. हम ऐसे समय में हैं जहाँ ऑनलाइन वोटिंग की परियोजना पर काम करने की आवश्यकता है. सारे प्रवासी लोग वोट डालने के लिए नहीं आ पाते. इसलिए वोटिंग प्रतिशत कम हो रही है.

लन मस्क दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति हो सकते हैं लेकिन सबसे बुद्धिमान व्यक्ति नहीं, तो फिर एलन मस्क की बात को आंख बंद करके स्वीकार करना समझदारी नहीं. एलन मस्क का क्या स्वार्थ हो सकता है? वह व्यापारी हैं और ट्विटर जिसे एक्स कहते है और टेस्ला कार कंपनी के मालिक हैं. भारत एक बहुत बड़ा कार बाजार हैं और वे सरकार के पीछे काफी दिनों से लगे हुए हैं. जब मोदी को राजग के रूप में एक बार फिर बहुमत मिला तो उन्होंने शुभकामनाएं दी और साथ में ये जोड़ा भी कि भारत में काम करने के लिए बहुत उत्साहित हैं. सरकार की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया न पाकर, खिसियाहट निकाल रहे हैं. एक बहुत बड़ा वैज्ञानिक और विद्वान मानकर विपक्षी उनके पीछे छिप रहे हैं. अखिलेश यादव जैसे लोग जिनको उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा सीटों में से 37 सीटें मिली हैं और गठबंधन के हिसाब से 43 सीटें मिली जो 50% से ज्यादा है और अगर ईवीएम के स्थान पर बैलेट स्तेमाल हो जाए तो भी कभी नहीं जीत सकते. बैलट के बारे में नई पीढ़ी शायद को शायद नहीं मालूम होगा कि उत्तर प्रदेश और बिहार बैलेट वोटिंग के लिए कुख्यात ट्रैक रिकॉर्ड हैं. मुलायम सिंह यादव और लालू यादव माफिया, आतंकवादी, दबंग बाहुबलियों के सहारे चुनाव जीतते थे. वैलट बॉक्स छीन ले जाना, लोगों को वोट डालने से रोकना, बूथ में घुसकर उनकी पार्टी के पक्ष में मुहर लगा देना, ये सब धंधे चलते थे. इनके खानदानी लोग भी बैलेट पेपर के सहारे वही समय वापस लाना चाहते हैं जिसे ये देश बर्दाश्त नहीं करेगा.

राहुल गाँधी बिना सोचे समझे बोलते है अगर उनकी सरकार बन जाती है तो ईवीएम बहुत अच्छी होती लेकिन 234 सीटों पर उनका गठबंधन रुक गया उनकी खुद की पार्टी 98 पर रुक गयी. उनको ये समझ में नहीं आता है कि वह दो जगह से चुनाव जीत गए अगर उनको ईवीएम पर विश्वास नहीं है तो पहले अपनी दोनों सीटों से इस्तीफा दे दें, अखिलेश यादव भी कन्नौज से इस्तीफा दे दें. उनके 37 सांसद जीते हैं उनके गठबंधन के 234 सांसद यदि सभी स्तीफा दे दें तो सरकार पर असर पडेगा और उसे बैलेट पेपर के लिए सोचना पड़ेगा. विश्व जनमत तैयार होगा कम से कम कहीं से शुरुआत तो होनी चाहिए. राहुल और उनका गठबंधन अपनी शक्ति जानता है इसलिए एक नया शिगूफा छोड़ा गया है.

राहुल गाँधी की बातें धीरे धीरे बेहद बकवास होती जा रही है और देश के लिए घातक भी लेकिन हर बात मूर्खता की नहीं होती है बहुत सारे जो भारत विरोधी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी हैं, जिन्होंने भारत में पैसा लगाया था, अब राजनैतिक दलों की सफलता के आधार उनसे सवाल पूछेगें. उनको जवाब देने के लिए राहुल एंड कंपनी को कोई तो बहाना चाहिये. भारतीय जनता को इनके बहकावे में नहीं आना चाहिए. जो भी राजनीतिक दल ईवीएम पर सवाल उठाते हैं, देश को पीछे ले जाने की कोशिश करते हैं उन्हें बिल्कुल सीधी और सपाट भाषा में जवाब देना चाहिए कि अब और नहीं.

इस पर एक विडियो भी मैंने बनाया है . कृपया इसे देखे,सब्सक्राइब करे और शेयर भी करे .



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