कांग्रेस और उनके सात सहयोगी दलों के राज्यसभा सदस्यों ने सर्वोच्च न्यायलय के मुख्य न्यायधीश श्री दीपक मिश्र के विरुद्ध महा अभियोग प्रस्ताव जो प्रस्ताव लाया था उसे उप राट्रपति ने अस्वीकार कर एक बड़े नाटक पटाक्षेप कर दिया . सुगबुगाहट तो बहुत दिनों से थी लेकिन इसे तब लाया गया जब दीपक मिश्र ने जज लोया की मौत के पुन: जाँच से इंकार कर दिया . आखिर क्या मनसा है कांग्रेस की .
चीफ जस्टिस 2 अक्टूबर को रिटायर होने वाले हैं और कांग्रेस के सहयोगी दलों के पास इतनी संख्या बल नहीं कि महाभियोग पास करा सकें तो फिर ये महाभियोग का नाटक क्यों? क्या इसका एकमात्र मकसद न्याय पालिका को धमकाना है कि अगर कांग्रेस की मांग नहीं मानी तो इज्जत बेइज्जत करेंगे और उन पर आरएसएस और बीजेपी का ठप्पा लगा देंगे ताकि भविष्य में उन्हें कोइ पद और प्रतिष्ठा न मिल सके . इस तरह के हथकंडे भारत जैसे विशाल देश में बहुत काम करते है . जिलों और तहसील स्तर पर यही हो रहा है . अधिकांश अधिकारी हार मान लेते है क्योकि कोई लफड़े में पड़ना नहीं चाहता . मै स्वयं जिलों में पोस्टिंग के दौरान ऐसा महसूस करता रहा हूँ.
राम मंदिरमुद्दे की सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल मामले की सुनवाई २०१९ के बाद करे जिसे दीपक मिश्रा की बेंच ने नही माना और कांग्रेस के निशाने पर आ गए . स्वाभाविक लगता है कि ये महाभियोग का पूरा नाटक मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल के दिमाग की उपज है।
दरअसल राम मंदिर पर नियमित सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में शुरू होने वाली है और उस बेंच को यही दीपक मिश्रा ही लीड करने वाले हैं. सुनवाई तेज़ी से होगी और चूंकि सारे साक्ष्य चाहे वो लैंड रिकार्ड्स हो या पुरातात्विक सब हिन्दू पक्ष में हैं। कांग्रेस को डर है राम मंदिर के पक्ष में फैसला 2019 के चुनाव से पहले आया तो सीधा फायदा बीजेपी को होगा।फिर आखिर महाभियोग से क्या होगा? अगर उप राट्रपति ने इसकी जाँच शुरू कर दी होती या जब सदन में महाभियोग का प्रस्ताव रखा जाता तो नियमानुसार मुख्य न्यायाधीश किसी केस की सुनवाई तब तक न कर सकते जब तक जाँच पूरी न हो और प्रस्ताव पर वोटिंग न हो। कांग्रेस जानती है के जाँच में समय लगेगा और जब तक वोटिंग होगी 3 महीने गुज़र चुके होंगे। उसे पता है के महाभियोग का प्रस्ताव गिर जाएगा लेकिन तब तक केस का काफी समय बर्बाद हो चुका होगा फिर दीपक मिश्रा के पास इतना समय नही होगा के अपने रिटायरमेंट तक केस को निपटा पाएं। 2 अक्टूबर के बाद मुख्य न्यायाधीश बनेंगे रंजन गोगोई । बाकी खेल क्या होगा कहने की ज़रूरत नही है। क्या कांग्रेस राम मंदिर निर्माण रुकवाने के लिए इतना नीचे गिर रही है ?
सबसे अच्छी बात ये रही कि कई कांग्रेस जनों ने भी महा अभियोग का साथ नहीं दिया . अब पूरे नाटक का पटाक्षेप हो गया है ऐसा नहीं है क्योकि कपिल सिब्बल ने कहा है वे उप राष्ट्रपति के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जायेंगे . किसी ऐसी बेंच के सामने उपस्थिति नहीं होंगे जिसमे दीपक मिश्र हों . जाहिर है संवैधानिक पदों पर बैठे लोगो की लानत मलानत करने, डराने धमकाने की निम्न स्तरीय राजनीति अभी होती रहेगी . उन्हें किसी का भी भरोसा नहीं चाहे वह न्यायपालिका हो, सीबीआई हो, राष्ट्रपति या उप राष्ट्रपति हों, लोकसभा या राज्यसभा के अध्यक्ष या उपसभापति हों या राज्यपाल हों . जबतक कांग्रेस के पक्ष में फैसला नहीं तब तक उसका विश्वास नहीं.
शायद हिंदुस्तान और इसके लोकतंत्र की अभी और दुर्गति होना बाकी है.
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