शनिवार, 19 जुलाई 2025

गजवा ए हिन्द अब आपके दरवाजे पर

 


झांगुर बाबा का अनोखा लव जिहाद जहाँ हिन्दू लड़कियों की लगती थी बोली || सभी का इल्म शामिल है गज़वा-ए-हिंद में


झांगुर बाबा उर्फ जलालुद्दीन को उप्र एटीएस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद कई बड़े खुलासे हो रहे हैं, लेकिन सारांश है, “विदेशों से मिली भारी भरकम धनराशि का उपयोग करके हिंदू युवतियों का धर्मांतरण करना”, जिसका उद्देश्य है भारत को जल्द से जल्द इस्लामिक राष्ट्र बनाना. भारत में रहने वाले अधिकांश मुसलमानों का सपना भी यही है, भले ही कुछ लोग भाईचारा, गंगा जमुनी तहज़ीब और देश के स्वतंत्रता आंदोलन में मुसलमानों की भूमिका का बखान करके अपने अपराध को ढकने का प्रयास करें, जिसके लिए कुख्यात अंतर्राष्ट्रीय जुमले बनाए गए हैं, जिनका उपयोग भारत के अलावा उन सभी देशों में किया जा रहा है जिन्हें निकट भविष्य में इस्लामिक राष्ट्र बनाए जाने की योजना है. इनमे अमेरिका के कुछ राज्यों सहित यूरोप के कई देश शामिल है. इनका उपयोग उन देशों में भी किया गया था जो आज इस्लामिक राष्ट्र हैं. उदाहरण के लिए, “चंद भटके लोगों के कारण पूरी मुस्लिम कौम को बदनाम नहीं किया जाना चाहिए”, “इस्लाम शांति और भाई चारे का संदेश देता है”, “आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता”, “दूसरे धर्मस्थलों को तोड़कर मस्जिद नहीं बनाई जाती”, “जबरन धर्मांतरण की इस्लाम में मनाही है” आदि.

भारत की पवित्र देवभूमि को गज़वा-ए-हिंद के माध्यम से इस्लामिक राष्ट्र बनाने की योजना इस्लाम के उदय होने के ठीक बाद ही बन गई थी. इस कारण भारत पर अनेक इस्लामिक आक्रान्ताओं द्वारा आक्रमण किए गए और सल्तनत भी कायम की गई लेकिन अथक कोशिशों के बाद भी भारत को इस्लामिक राष्ट्र नहीं बनाया जा सका. कुछ हद तक इसका श्रेय अंग्रेजों को भी जाता है, जिन्होंने सभी इस्लामिक शासकों को अपने आधीन कर लिया था. गज़वा ए हिंद की योजना पर पानी फिर जाने के कारण भारत के मुसलमानों ने मुस्लिम देशों, कट्टरपंथियों और जिहादियों के सहयोग से अंग्रेजी शासन में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करके हिंदुओं के विरुद्ध भयानक रक्तपात शुरू कर दिया था और इसका उपयोग जबरन धर्मांतरण के लिए भी किया गया था. गाँधी, नेहरू सहित कांग्रेस के कई नेता देश के लिए अभिशाप बन गए जिन्होंने मुस्लिम तुष्टीकरण के आगे नतमस्तक होते हुए धर्म के आधार पर देश का बंटवारा स्वीकार किया और पाकिस्तान बना कर गज़वा-ए-हिंद की योजना को सफल करने में भरपूर सहयोग किया. देश के विभाजन के बाद सत्ता पर काबिज नेहरू ने मुस्लिम तुष्टिकरण के माध्यम से आजीवन गज़वा-ए-हिंद के लिए ही काम किया. जिसे उनकी पीढ़ियों ने भी, न केवल आगे बढ़ाया, बल्कि देश में ऐसा वातावरण तैयार कर दिया कि आज हर राजनीतिक दल मुस्लिम तुष्टिकरण की कोई भी सीमा लांघने को तैयार हैं. इसी कारण अनेक झांगुर बाबा किसी न किसी भी देश में पूरे देश में सक्रिय हैं.

आसपास के गांवों में साइकिल पर फेरी लगाकर अंगूठी और नग बेचने वाला जलालुद्दीन चार पांच साल के अंदर ही सैकड़ों करोड़ का मालिक बन गया, ये धर्मांतरण में लगे दूसरे मुस्लिमों के लिए अनुकरणीय तो हो सकता है लेकिन इसका यह अर्थ बिल्कुल भी नहीं लगाया जाना चाहिए कि वह पैसा कमाने के लिए यह सब कर रहा था. सामान्य मुस्लिम की तरह उसके लिए यह धार्मिक दायित्व और जिहाद का कार्य था. वह तब भी यही करता था, जब वह बेहद गरीब था और फेरी लगाता था. उसे अच्छी तरह मालूम है कि सूफी और आलिया का अशिक्षित और अभावग्रस्त लोगों पर बहुत प्रभाव पड़ता है. भारत में इस्लामिक साम्राज्य बनाने और बड़े पैमाने पर धर्मांतरण करने में सूफियों और औलियाओं की बहुत बड़ी भूमिका रही है. इसलिए वह पीर बाबा बनकर संतान पाने, शराब छुड़ाने, गरीबी दूर करने आदि के लिए दुआएं करके लोगों में इस्लाम के प्रति आकर्षण उत्पन्न करने लगा. भारत में अधिकांश दरगाहें, मदरसे, जलसे, उर्स आदि काफी लंबे समय से धर्मांतरण के लिए उपयोग किए जाते हैं. जलालूद्दीन ने मुंबई की हाजी अली दरगाह से जुड़कर धर्मांतरण के लिए धन उपलब्ध कराने वाले अरब देशों के कट्टरपंथियों और जेहादियों से संपर्क बनाए और भारत में विशेषकर पूर्वी उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण के लिए अपना खुद का नेटवर्क तैयार कर लिया. उसकी धन सम्पत्तियों, आलीशान कोठियों, और विलासितापूर्ण जीवन का विस्तार से चर्चा मीडिया में हो रही है, लेकिन यह धर्मान्तरण का उत्प्रेरक है ताकि अशिक्षित और गरीब परिवारों की भोली भाली हिंदू नवयुवतियों को आसानी से आकर्षित करके धर्मांतरित किया जा सके. सिंधी दंपति नीतू और नवीन धर्मांतरित होकर नसरीन और जमालुद्दीन बनकर धर्मांतरण व्यवसाय में लग गए और लगातार दुबई जाकर विदेशी आकाओं से संपर्क बनाते रहे.

नेपाल की सीमा से लगे उत्तर प्रदेश और बिहार के जिले हमेशा से मुस्लिम कट्टरपंथियों और जिहादियों के पसंदीदा स्थान रहे हैं, जहाँ से आतंकवादियों को भी हर संभव सहायता उपलब्ध कराई जाती है. यहाँ अवैध मदरसों, मसजिदों और दरगाहों की भरमार है. आतंकवादी इन स्थानों का प्रयोग न केवल ठहरने के लिए बल्कि पुलिस की पकड़ से बचने के लिए नेपाल भागने के लिए भी करते रहे हैं. इन मदरसों, दरगाहों आदि के लिए बड़ी मात्रा में विदेशों से फंडिंग होती है. प्रदेश में मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाले दलों की सरकारों के समय जिहादी यहाँ पूरी निडरता से धर्मांतरण सहित अन्य देश विरोधी कार्य बिना रोक टोक के करते रहे हैं. इन पर अब भी पूरी तरह से रोक नहीं लगाई जा सकी है.

झांगुर बाबा उर्फ जलालूद्दीन के यहाँ मुस्लिम लड़कों को हिंदू नामों से हिंदू लड़कियों को प्रेमजाल में फंसाने का प्रशिक्षण दिया जाता था. निकाह के लिए इन लड़कियों को धर्मांतरण के लिए विवश किया जाता था. हिंदू लड़कियों को प्रेम जाल में फंसाकर धर्मांतरण कराने के लिए लड़कियों के जातिवार रेट इस तरह निश्चित किये थे, ब्राह्मण 15-16 लाख, पिछड़ी जाति 10-12 लाख, दलित 8-10 लाख, जिन्हें मुस्लिम लडको को पुरूस्कार के रूप में दिया जाता था. इससे इस गिरोह के सूत्र भारत के एक कुख्यात मदरसा तथा अरब के बड़े षड्यंत्रकारियों से जुड़े होने की संभावना है, क्योंकि इनका मानना है कि भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने में ब्राह्मण सबसे बड़ी बाधा है. इसलिए लंबे समय से ब्राह्मण इनके निशाने पर हैं. विदेशी फंडिंग के सहारे हिंदुओं में जातिगत विभेद उभारने तथा दलितों एवं पिछड़ों को सवर्ण जातियों, विशेषकर ब्राह्मणों के विरुद्ध खड़ा करने का कार्य किया जा रहा हैं. दलितों और पिछड़ों के प्रमुख नेताओं को बड़े पैमाने पर धन दिया जाता है और उनके माध्यम से जाति - वर्ग संघर्ष उत्पन्न करने की कोशिश की जाती है. पीएफआई से बरामद जिन दस्तावेजों का एनआईए ने खुलासा किया है, उनके अनुसार पिछड़े दलित और मुसलमानों( पीडीए) को संगठित कर गज़वा-ए-हिंद में शामिल करना है. इस्लामिक राष्ट्र बनने के बाद धर्मान्तरित न होने वाले दलितों और पिछड़ों के साथ वही करना है, जो पाकिस्तान और बांग्लादेश में किया गया. इस मामले का खुलासा भी एक दलित युवती द्वारा ही किया गया, जिस पर दलित, पिछड़े और पीडीए सभी मौन हैं.

जिहादी जलालूद्दीन से संबंधित 40 बैंक खातों में 106 करोड़ की विदेशी फंडिंग का पता चला है. हैरान करने वाली बात है कि सभी बैंको में अत्याधुनिक एएमएल-सीएफटी (एंटी मनी लांड्रिंग-कमबैटिंग फाइनैंस टू टेरोरिज्म) प्रणाली लागू होने के बाद भी केंद्र सरकार की एफआईयू (फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट) इसे क्यों नहीं पकड़ सकी. बलरामपुर जिले के एक छोटे से गांव मधुपुर में फेरी लगाने वाला एक गरीब मुसलमान कई एकड़ जमीन पर करोड़ों रुपए लागत की एक कोठी का निर्माण करवाता रहा और स्थानीय अभिसूचना इकाई सोती रही. जिला प्रशासन को इसकी खबर भी नहीं लगी. उसी कोठी में सैंकड़ों हिंदू युवतियों का धर्मांतरण और निकाह किया जाता रहा.

ब्रिटेन के ग्रूमिंग गैंग की तरह उत्तर प्रदेश के फूलपुर जिले में एक नाबालिग दलित युवती को केरल ले जाकर जबरन धर्मांतरण कराने और आतंकी बनाने की कोशिश की गई. प्रयागराज पुलिस की जांच में सामने आया है कि दलित युवती को पड़ोस में रहने वाली मुस्लिम महिला बहला फुसलाकर अपने एक मुस्लिम दोस्त के साथ दिल्ली और उसके बाद केरल ले गई. त्रिशूर में उसका जबरन धर्मांतरण कराया गया और उसके बाद आत्मघाती दस्ते में शामिल करने के लिए ट्रेनिंग दी जाने लगी. उसे अफगानिस्तान भेजा जाना था जहाँ उसे आईएसआईएस खुरासन में शामिल करा कर आतंकवादियों की सेक्स स्लेव बनाया जाना था. किसी तरह लड़की ने अपनी माँ को फ़ोन किया, और फिर उत्तर प्रदेश पुलिस उसे बरामद कर वापस ले आयी. इस मामले की गहनता से जांच की जा रही है.

इस तरह के मामले जहाँ हिंदू परिवारों में उचित संस्कार न दिया जाना रेखांकित करते हैं वहीं प्रखंड हिंदू संगठनों की सक्रिय भूमिका की आवश्यकता पर भी बल देते हैं. हिंदू एकता का अभाव, राजनैतिक स्वार्थ बस जातिगत को बढ़ावा दिया जाना और धर्म से विमुखता भी बहुत बड़ा कारण है. सरकार को धर्मांतरण विरोधी सख्त कानून बनाकर इस समस्या के समाधान के लिए गंभीरता से कार्य करना चाहिए. विश्व में शायद भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहाँ अल्पसंख्यक समुदाय बहुसंख्यक समुदाय का धर्म परिवर्तन कराते हैं अन्यथा पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं का क्या हुआ सबको मालूम है.

~~~~~~~~~~~~~~शिव मिश्रा~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

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