सोमवार, 22 अप्रैल 2024

क्या कांग्रेस का घोषणा पत्र मुस्लिम लीग का है

 







कांग्रेस का घोषणापत्र खतरे की घंटी है, यह घोषणा पत्र से आसानी से समझा जा सकता है.

कांग्रेस के घोषणापत्र से पूरे देश में हो हल्ला मचा है लेकिन कांग्रेस इससे बेफिक्र चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं. उन्हें लगता है कि 2004 की तरह कांग्रेस सहयोगियों की मदद से सत्ता पर कब्जा जमाने में सफल हो जाएगी. वैसे तो घोषणा पत्र में 5 न्याय 25 गारंटी और 300 से ज्यादा वायदे शामिल करके 48 पेज की एक पुस्तिका निकाली है लेकिन हम यहाँ केवल उन बिंदुओं पर बात करेंगे जो राष्ट्र, सनातन संस्कृति और हिंदुओं के पूरी तरह से विरुद्ध हैं.

भाजपा ने कांग्रेस के चुनाव घोषणा पत्र को मुस्लिम लीग का घोषणापत्र बताते हुए तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जिसके घोषणापत्र में शामिल कई मुददे, मुस्लिम लीग द्वारा 1936 में जारी किए गए घोषणापत्र से मिलते हैं. 1936 में मुस्लिम लीग के चुनाव घोषणापत्र ने कहा गया था कि वे मुसलमानों के लिए सीरिया कानून की मांग करेंगे. कांग्रेस ने अपनी घोषणा पत्र में मुसलमानों के पर्सनल कानून को सुरक्षित रखने का वायदा किया है. मुस्लिम लीग ने कहा था कि वह भारत में बहुसंख्यक वाद के विरुद्ध किसी भी स्थिति तक जाकर संघर्ष करेगी. कांग्रेस में कहा है कि भारत में बहुसंख्यकवाद के लिए कोई स्थान नहीं है और वह अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कृतसंकल्पित है. मुस्लिम लीग ने कहा था कि वह मुसलमानों को विशेष छात्रवृत्तियां और विशेष रोजगार देने के लिए संघर्ष करेंगी. कांग्रेस ने वायदा किया है कि वह सुनिश्चित करेंगी कि अल्पसंख्यकों को शिक्षा, स्वास्थ, सरकारी नौकरी, लोक निर्माण अनुबंध, कौशल विकास, खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों में बिना किसी भेदभाव के उचित अवसर प्राप्त हो. कांग्रेस ने प्रत्यक्ष तौर पर घोषित कर दिया है कि वह संविधान के अनुच्छेद 15 16 25 28, 29 और 30 में अल्पसंख्यकों को मिलने वाले मौलिक अधिकारों का आदर करेगी और उन्हें बरकरार रखेगी. वह भाषाई आधार पर मुसलमानों को दी जा रही उन सुविधाओं का आदर करेगी और उन्हें अनवरत जारी रखेगी. यानी मदरसा शिक्षा, उर्दू, फारसी, अरबी की पढ़ाई तथा संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं में उर्दू फ़ारसी अरबी और इस्लामिक अध्ययन जैसे विषयों को शामिल रखा जाएगा. सभी परिचित है कि इसके क्या दुष्प्रभाव हो रहे हैं, मुस्लिम परीक्षार्थी और मुस्लिम परीक्षक हो तो सिविल सेवा में सफलता कितनी आसान है इसका अंदाजा बहुतों को नहीं है. मुस्लिम छात्रों को विदेश में अध्ययन के लिए मौलाना आजाद छात्रवृत्ति को लागू करेंगे और छात्रवृत्ति की संख्या बढ़ाई जाएगी. मुसलमानों को ऋण प्राप्त करने में कोई कठिनाई ना हो इसके लिए विशेष योजनाएं बनाई जाएगी.

कांग्रेस ने वायदा किया है की भोजन, पहनावे, प्यार और शादी में हस्तक्षेप नहीं करेंगे. समझा जा सकता है कि इस वाक्य में हर शब्द तुष्टिकरण के लिए जोड़ा गया है. भोजन का सीधा मतलब है गोहत्या को कानूनी जामा पहनाना और उन राज्यों में जहाँ गो रक्षक दल द्वारा समुदाय विशेष के गो तस्करों को कानून के दायरे में लाकर कार्रवाई सुनिश्चित की जाती है, उस पर रोक लगाना. इसका एक और मतलब है कि बड़ी संख्या में बूचड़खाने फिर खुल जाएंगे. होटल और रेस्टोरेंट में सामन्य रूप से गोमांस परोसा जा सकेगा. पहनावे की स्वतंत्रता का मतलब है बुर्का, हिजाब, नकाब आदि को प्रतिबंध मुक्त करना. जहाँ समुदाय विशेष की महिलाओं का जीवन मुश्किल होगा वही आतंकवादी भी बुर्के की आड़ में बड़े आसानी से कहीं भी कभी भी विस्फोट कर सकेंगे. फिर उसी युग की शुरुआत हो सकती है जब लावारिस वस्तुओं को न छूने के लिए चेतावनी प्रसारित की जाती थी. घोषणा पत्र में प्यार की स्वतंत्रता का वायदा किया गया है यानी लव जेहाद के विरुद्ध कुछ बोलने या पुलिस द्वारा कानूनी कार्रवाई करने का युग समाप्त हो जाएगा और धड़ल्ले से बड़ी संख्या में हिंदू लड़कियों का धर्मांतरण कराया जा सकेगा. धर्मांतरण के मुददे पर पूरा देश उद्वेलित है. फ्रिज, अटैची, बैग और बोरों में टुकड़ों टुकड़ों में मिल रही लाशों के बावजूद, कांग्रेस जागरूकता और रोकथाम उपाय करने का अधिकार भी हिंदुओं को नहीं देना चाहती.

घोषणापत्र में शादी में हस्तक्षेप न करने का वायदा ये संकेत देता है कि हाल ही में असम सरकार द्वारा बाल विवाह पर रोक लगाने के फैसले से नाराज हुए कट्टरपंथियों को खुश करना हैं. असम सरकार ने कम उम्र की मुस्लिम बच्चियों के विवाह पर रोक लगाते हुए उन्हें बेहतर जीवन यापन के लिए समाज की मुख्यधारा में शामिल किया है. मुस्लिम तुष्टीकरण की कांग्रेस की परंपरागत सोच को आगे बढ़ाते हुए अनेक जगह उन्हें सुविधाएं सहूलियतें देने का वायदा किया गया है और इस तरह देखा जा सकता है कि पूरे घोषणापत्र में सबसे अधिक महत्त्व अल्पसंख्यकों को ही दिया गया है.

इसके अतिरिक्त कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में कुछ अजीबोगरीब कार्य करने की प्रस्तावना की है. इनमें एक है भारतीय महिला बैंक की पुनर्स्थापना, जिसका लगातार घाटा उठाने और कोई सार्थक परिणाम न देने के कारण वर्ष 2016 में भारतीय स्टेट बैंक के साथ विलय कर दिया गया था. कांग्रेस ने यह भी वायदा किया है की पुलिस, जांच और खुफिया एजेंसियां की सख्ती और बेलगाम शक्तियों को कम किया जाएगा. कानून को ढाल बनाकर मनमानी तलाशी, जब्ती, कुर्की और अंधाधुंध गिरफ़्तारियां तथा बुलडोजर न्याय समाप्त किया जाएगा. इसका अर्थ हुआ कि प्रवर्तन निदेशालय, आयकर विभाग, एनआईए तथा अन्य खुफिया एजेंसियों द्वारा की जा रही कार्रवाई दुष्प्रभावित होगी. बुलडोजर न्याय के लिए लांछित किए जाने वाले उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक संपत्तियों पर अवैध कब्जे और माफिया संस्कृति पर इससे बहुत अंकुश लगा है लेकिन कांग्रेस परेशान है. कांग्रेस ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्थापित आरक्षण की 50% सीमा को समाप्त करने का भी वायदा किया है. यक्ष प्रश्न यह है कि यह सुविधा किस समुदाय के लिए प्रस्तावित की जा रही है. यदि ध्यान से सोचेंगे तो एक ही उत्तर मिलेगा, मुस्लिम समुदाय. यह भी प्रस्तावित किया गया है कि आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लोगों को मिल रहा 10% का आरक्षण का बिना किसी भेदभाव के सभी जातियां सभी समुदाय उपयोग कर सकेंगे. सोचिये प्रभावित कौन होगा. कथित रूप से उच्च जातियां ही प्रभावित होंगी, जिनके विरोध में जेएनयू, जामिया और एएमयू में नारे लगाए जाते हैं और कांग्रेस समर्थन करती है. घोषणा पत्र में कहा गया है कि कांग्रेस मानहानि के जुर्म को अपराध मुक्त कर देगी. यह बिंदु खासतौर से राहुल को ध्यान में रखकर बनाया गया है कि अगर भविष्य में भी वे किसी के विरुद्ध कुछ भी कहते रहे हैं और कानून के शिकंजे में न फंसे. कांग्रेस ने एक देश चुनाव को पूरी तरह खारिज कर दिया है जिसका अर्थ है कि वह राष्ट्रीय फिजूलखर्ची के लिए संवेदनशील नहीं है और दूसरा हो सकता है कि जिस धारा 356 जिसका उपयोग कांग्रेस आपने हित में संविधान लागू होने के बाद से ही करती आई है वह धड़ल्ले से होता रहेगा.

शायद सभी को स्मरण भी न हो कि 1991 में कांग्रेस की नरसिम्हा राव (जिन्हें इस वर्ष भारत रत्न से सम्मानित किया गया है) की सरकार ने अल्पमत में होते हुए भी सनातन धर्म, संस्कृति और मुस्लिम तुष्टिकरण पराकाष्ठा पार करते हुए हिन्दुओं के विरुद्ध तीन बड़े कानून बनाये थे. पूजा स्थल कानून द्वारा 15 अगस्त 1947 को धर्म स्थलों की जो स्थिति थी उसकी यथास्थिति बनाए रखने का कानून था, इस कानून द्वारा दसवीं शताब्दी से लेकर 15 अगस्त 1947 तक हिंदू धर्मस्थलों में आक्रान्ताओं द्वारा की गयी तोड़फोड़ को कानूनी मान्यता प्रदान कर दी गई थी. बहुसंख्यकों की बेबसी देखिए कि वे अदालत भी नहीं जा सकते हैं, लेकिन किसी ने आवाज नहीं उठायी. नरसिम्हा राव सरकार का दूसरा कुख्यात कानून वक्फ बोर्ड का था जिसके द्वारा वक्फ बोर्ड को ये अधिकार है कि वे बिना किसी साक्ष्य के बिना किसी न्यायिक प्रक्रिया के किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित कर सकते हैं. जिलाधिकारी बिना किसी प्रतिवाद के उस संपत्ति का कब्जा प्राप्त कर वक्फ बोर्ड को उपलब्ध कराएंगे. भारतीय संसद, हैदराबाद का अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा सहित देश की न जाने कितनी संपत्तियों पर वक्फ बोर्ड का कब्जा है. तीसरा कानून अल्पसंख्यक आयोग का संवैधानिक दर्जा प्रदान करना था, जिसने अंधाधुंध आर्थिक, कानूनी और राजनैतिक सहायता देकर मुस्लिम हितों का संरक्षण किया.

कांग्रेस शासनकाल में सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक 2011 कानून बनते बनते रह गया. अगर ये कानून पास हो जाता तो हिंदुओं की स्थिति औरंगजेब के शासनकाल से भी बदतर हो जाती. इस विधेयक में सांप्रदायिक हिंसा होने पर केवल बहुसंख्यक हिंदुओं को जिम्मेदार मानने का प्रावधान था. इसमें सजा और जुर्माना दोनों ही प्रस्तावित थे. अल्पसंख्यकों द्वारा बहुसंख्यक महिलाओं के साथ बलात्कार किए जाने पर भी उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सकता था. हिंदू मुसलमानों के लिए अलग अलग अदालतों का प्रावधान था और पूरा ढाँचा अल्पसंख्यकों को खुश करने के लिए बनाया गया था. सौभाग्य से उस समय यह विधेयक पास नहीं हो सका लेकिन कांग्रेस के शस्त्रागार में ये आज भी ये उपलब्ध है. यदि अगर अगली सरकार कांग्रेस की आती है तो ये विधेयक भी पास भी हो सकता है.

अधिकांश लोगों ने कांग्रेस की इस घोषणा पत्र का अवलोकन नहीं किया होगा. कांग्रेस इतनी बेशर्मी से मुस्लिम एजेंडा लागू करने जा रही और यह सारी चीजे मिलकर गज़वा ए हिंद योजना को मजबूत करेगी. पीएफआई के अनुसार भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने का कार्य 2047 तक पूरा किया जाना है लेकिन कांग्रेस इससे बहुत पहले ही पूरा करने को आतुर है. इसलिए मतदान करते समय अपना नहीं, राष्ट्र का ध्यान रखें. राष्ट्र बचेगा तभी हम सब बच पाएंगे.

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~शिव मिश्रा~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

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