पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया या इस्लामिक
फ्रंट ऑफ इंडिया ?
राष्ट्रीय
अन्वेषण अभिकरण (एनआईए), और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कई राज्यों की पुलिस के साथ मिलकर पूरे देश
में अनेक स्थानों पर पॉपुलर फ्रंट ऑफ
इंडिया के ठिकानों पर छापेमारी करके 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है और बड़ी
संख्या में भारत विरोधी गतिविधियों में
लिप्त होने का प्रमाण और भारत में वादी गतिविधियाँ फैलाने के लिए विदेशों से चंदा
एकत्रित करने संबंधित दस्तावेज बरामद किए हैं. छापेमारी मुख्यत: दक्षिण भारत में की
गयी जिसे एनआईए ने ‘अब तक का सबसे बड़ा जांच अभियान’ बताया है.
सरकार
द्वारा की गयी यह कार्रवाई बहुत देर से उठाया गया सही कदम है. पिछले पांच सालों
में इस संगठन ने देश के लगभग हर उस इलाके
में अपनी पैठ बना ली है जहाँ मुस्लिम जनसंख्या है. स्वयंसेवी और राष्ट्रवादी
संगठनों द्वारा सरकार से लगातार इस संगठन को प्रतिबंधित करने की मांग की जा रही है
लेकिन मोदी सरकार ने “सबका विश्वास” हासिल करने के लालच में इस कार्यवाही में
आवश्यकता से अधिक विलंब कर दिया है, अब जब पानी सिर के ऊपर निकल गया है तब सरकार
की नींद खुली है. इस बीच इस संगठन ने शाहीन बाग से लेकर पूर्वोत्तर तक आतंक और
साम्प्रदायिकता का जाल बुन रखा है. दक्षिण भारत में इसकी गतिविधियों बेरोकटोक चल
रही है. इसके कारण तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश तेलंगाना और कर्नाटक जैसे राज्यों
में सांप्रदायिक और भारत गतिविधियों
में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि हुई है.
पीएफआइ
का उद्देश्य भारत में तालिबान जैसी शासन व्यवस्था कायम करना है जिसके लिए उसने
अपनी लंबी अवधि की योजना तैयार कर रखी है. जिसके अंतर्गत कई राज्यों में राज्य
सरकारों की जानकारी में होते हुए भी सैनिक प्रशिक्षण और भारत विरोधी गतिविधियों के
अड्डे स्थापित कर रखे है. बिहार और पूर्वोत्तर राज्यों पर खासा ध्यान दिया गया है
जहाँ मदरसों में आतंकी संगठनों से संबंध रखने वाले लोगों को अन्य राज्यों से लाकर
मौलाना और मौलवी के रूप में रखा गया है. असम सरकार ने ऐसे मदरसों के विरुद्ध
कार्रवाई करनी शुरू कर दी है लेकिन बिहार में जहाँ पीएफआई गतिविधियों अपने चरम पर है किन्तु सरकार ने अब
तक उसके विरुद्ध कोई भी कार्रवाई नहीं की है. फुलवारी शरीफ की जांच भी लगभग ठन्डे
बस्ते में चली गयी है.
प्रतिबंधित
आतंकी संगठन पूर्व के कुख्यात सिमी का ही
परिवर्तित रूप है लेकिन इसकी गतिविधियां और पूरे भारत मे नेटवर्क सिमी से भी बहुत बड़ा
है. इसका परिचालन विदेशी कार्यालयों से भी किया जाता है जिसमें खाड़ी देशों के
अलावा तुर्की स्थित कार्यालय बहुत अधिक
सक्रिय है. इन सभी जगहों से इस संगठन को
बड़ी मात्रा में है धन उपलब्ध कराया जाता है. भारत में धन भेजने के इसने कुछ अनेक अनोखे तरीके तैयार कर रखे हैं जो अभी
भी सरकार की पकड़ से बाहर है. इनमें हवाला के अतिरिक्त विदेशों से बड़ी धनराशि को छोटी
छोटी राशियों में बांटकर अनेक लोगों के
खाते में प्रेषित की जाती है जिसे जकात और अन्य माध्यम से संबंधित संगठनों, मस्जिदों
और यहाँ तक कि पीएफआई के खातों में भी
पहुंचा दिया जाता है. एंटी मनी लॉन्ड्रिंग की भाषा में इसे “वन टू मेनी” एंड “मैनी
टू वन” कहा जाता है. इस तरह प्राप्त धन का
उपयोग टेरर फंडिंग और सांप्रदायिक आंदोलन
चलाने के लिए किया जाता है.
हाल
के दिनों में हिजाब के पक्ष में कर्नाटक से शुरू हुए आंदोलन हे पीछे भी पीएफआई का ही हाथ है और सिर
तन से जुदा मामले भी इसी संगठन से जुड़ते हैं. इसमें किसी को भी आश्चर्य नहीं होना
चाहिए कि पीएफआई की गतिविधियों को ज्यादातर मुस्लिम धर्मगुरुओं राजनेताओं और
संगठनों का समर्थन प्राप्त है. सभी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से पीएफआई के
कार्यों को उचित ठहराते हैं और जब भी कभी पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने या कार्रवाई
करने की बात की जाती है तो यह सभी
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग करते हैं,
जिससे पूरी तरह स्पष्ट हो जाता है कि इनका
समर्थन पी ऍफ़ आई गैरकानूनी गतिविधियों के
साथ है.
पिछले
दिनों बिहार के फुलवारी शरीफ में बिहार पुलिस द्वारा की गई छापेमारी में पीएफआइ की
उस कार्ययोजना का खुलासा हुआ था जिसके अंतर्गत उसका लक्ष्य 2047 तक भारत को
इस्लामिक राष्ट्र बनाना है. इन गतिविधियों को चाहे देशद्रोही कहा जाए या नहीं
लेकिन इस तरह की गतिविधियाँ और उन्हें समर्थन करने वाले भारत के
ज्यादातर मुस्लिम कट्टरपंथी संगठनों का उद्देश्य गज़वा ए हिंद योजना को आगे
बढ़ाना है. इसे मुस्लिम
राजनीतिज्ञों का समर्थन तो प्राप्त है ही, अप्रत्यक्ष रूप से इसे तुष्टीकरण
करने वाले राजनीतिक दलों का भी समर्थन
प्राप्त हो जाता है.
एनआईए
ने जिन लोगों को गिरफ्तार किया है उन पर आतंकवाद
के लिए धन मुहैया कराने, हथियार चलाने का
प्रशिक्षण देने और प्रतिबंधित संगठनों में शामिल होने के लिए लोगों को उकसाने का
आरोप है। पिछले कुछ वर्ष के दौरान देश के विभिन्न राज्यों में पी.एफ.आई. और इसके
सदस्यों के खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं। भारत सरकार ने एक मिशन के
तहत जिस तरह गिरफ़्तारी की है वह साधारण नहीं है, क्योंकि पीएफआई
तालिबान की तर्ज पर भारत को इस्लामिक स्टेट बनाना चाहती है. यह लोग बम
बनाने में दक्ष है, और सिर तन से जुदा, टेरर फंडिंग और आतंकी गतिविधियों में भी शामिल हैं। इस देश में कई जगहों
पर पीएफआई द्वारा हथियार चलाने के लिए ट्रेनिंग कैंप चलाये जा रहे हैं और युवाओं को कट्टर बनाकर प्रतिबंधित
संगठनों में शामिल होने के लिए उकसाया जा रहा है। मदरसों में भी इनकी पैठ हो गई है
जिन्हें आतंक की फैक्टरी के रूप में
विकसित करने का काम शुरू कर दिया गया है.
इसलिए मदरसों के सर्वे पर एतराज जताया जा रहा है.
एनआईए
की छापे की कार्रवाई का विरोध करने के लिए शुक्रवार को पीएफआई ने केरल में बंद
बुलाया गया था जहाँ जगह-जगह सड़क जाम करने
की कोशिश की गयी, सरकारी बसों में तोड़फोड़ की गई, बस ड्राइवर हेलमेट पहनकर बस
चलाते देखे गये. दुकानदारों से जबरदस्ती दुकानें बंद करने के लिए कहा गया और
जिन्होंने दुकानें बंद नहीं की उनसे मारपीट भी की गई. पीएफआइ द्वारा राष्ट्रीय
स्वयंसेवक के कार्यालयों पर बम फेंकने की
घटनाएं भी सामने आयी है. कई जगहों पर पुलिस से प्राप्त हुई और पूरे केरल में
उत्पात मचाया गया. पीएफआई के उत्पात के कारण
राहुल गाँधी ने भारत जोड़ों यात्रा भी प्रभावित हुई है. केरल हाई कोर्ट ने
इसका स्वत: संज्ञान लिया है क्योंकि केरल
में बिना 7 दिन की सूचना दिए हड़ताल या बंद का आह्वान करने पर उच्च न्यायालय द्वारा रोक
लगायी जा चुकी है. उच्च न्यायालय ने पीएफआई द्वारा प्रयोजित बंद के विरुद्ध
अवमानना कार्रवाई शुरू कर दी है और
न्यायालय ने टीवी चैनलों पर भी फ्लैश हड़ताल का जोरशोर से प्रचार किए जाने पर भी
आपत्ति जताई है.
विश्वस्त
सूत्रों के अनुसार पीएफआई ने प्रशिक्षित स्वयं सैनिकों की फौज भी तैयार कर ली है जो जरूरत पड़ने पर उसकी
कार्रवाइयों को अंजाम दे सकें और भारत को हे 2047 तक इस्लामिक राष्ट्र बनाने का
उसका सपना साकार कर सकें. इन छापों में पीएफआई के अलकायदा और आईएसआईएस से संबंधों
की भी पुष्टि हुई है, जो वर्तमान परिस्थिति में भारत के लिए गंभीर खतरा है. भारत
को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की कार्ययोजना के लिए
वैश्विक मुस्लिम समुदाय से हर संभव मदद की जा रही है. दुर्भाग्य से भारत का
जो राजनीतिक माहौल है उसमें तुष्टीकरण की नीति पर चल कर सत्ता पाने वाले वाले ज्यादातर राजनैतिक दल इस खतरे को जानते हुए
भी सत्ता पाने के स्वार्थ में इतने अंधे हो चूके हैं कि उन्हें भारत की इस्लामिक
राष्ट्र बनने से भी कोई चिंता नहीं है.
2024
के लोकसभा चुनाव में विपक्षी एकता बनाने और एकीकृत विपक्ष का नेता बनने के लिए
प्रधानमंत्री पद के चेहरे के सभी दावेदार
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के हमदर्द बनकर उभर आए हैं और उन सभी ने पीएफआई पर
हो रही कार्रवाई का विरोध किया है उसमें
कांग्रेस भी शामिल है. कांग्रेस के नेता तारिक अनवर ने तो यहाँ तक कहा कि सरकार की
कार्रवाई को तभी उचित ठहराया जा सकता था जब सरकार पीएफआई के साथ साथ आरएसएस के
ठिकानों पर भी छापा मारती.
जो
भी हो सरकार कार्रवाई बहुप्रतीक्षित थी है और इसका स्वागत किया जाना चाहिए लेकिन
तब तक अधूरी रहेंगी जब तक पीएफआई जैसे संगठनों शीघ्रता से प्रतिबंध नहीं लगाया जाता. पीएफआइ के अतिरिक्त
भी अनेक ऐसे इस्लामिक और मुस्लिम संगठन है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मिशन गज़वा ए हिंद में शामिल हैं, जिन पर तुरंत
कार्रवाई किए जाने की आवश्यकता है. सरकार द्वारा किये जाने वाला विलम्ब राष्ट्र के प्रति बड़ा अन्याय होगा.
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- शिव मिश्रा
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