मंगलवार, 23 अगस्त 2022

आप और भाजपा के बीच सीधी टक्कर - केजरीवाल होंगे प्रधान मंत्री

 



कहते हैं कि जब तक दुनिया में मूर्ख लोग हैं तब तक चालाक और शातिर लोगों की दुकानदारी बड़े मज़े से चलती रहेंगी. ये बात अरविन्द केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी के गठन के समय ही सिद्ध कर दी थी.

इस पार्टी का गठन ही छल, कपट, धोखाधड़ी और विश्वासघात की नीति पर हुआ है, इसमें कपटपूर्ण बयानबाजी की महत्वपूर्ण भूमिका है. इसलिए आम आदमी पार्टी के नेता क्या कहते हैं? क्या करते हैं? यह बिलकुल भी महत्वपूर्ण नहीं है, समझदार लोगों को इसके पीछे की सच्चाई को स्वयं समझना और सावधान रहना पड़ेगा, लेकिन लालची और मूर्ख लोगों को फंसते रहना होगा.

भारत के संविधान में बहुदलीय राजनीतिक प्रणाली के रूप में की गई बहुत बड़ी भूल का आम आदमी पार्टी और उनके जैसी पार्टियों के शातिर नेता हमेशा दोहन करते रहेंगे, देश बचे न बचे इनकी बला से.

वामपंथियों ने पूरी दुनिया में यह सफल प्रयोग किया है कि एक झूठ को अगर 100 बार दोहराया जाए तो वह सही जैसा लगने लगता है, जिसके द्वारा लोगों को भ्रमित किया जा सकता है. आदमी पार्टी और उसके सुप्रीमों अरविंद केजरीवाल इस फार्मूले का भरपूर प्रयोग करते हैं.

उनका दूसरा प्रयोग है कि अपनी किसी भी गलती को महिमामंडित करके लोगों की नजरों से दूर किया जा सके. इन दोनों सूत्रों से ही आम आदमी पार्टी वर्तमान परिस्थितियों से लड़ने की कोशिश कर रही है.

जब बात शराब घोटाले की होती है तो वहाँ पर ये लोग शिक्षा नीति की बात करते हैं, जब बात मनी लॉन्ड्रिंग की होती है तो यह मोहल्ला क्लीनिक की बात करते हैं, जब बात अरविंद केजरीवाल के घोटाले में शामिल होने की होती है तो वह 2024 के लोकसभा चुनाव में मोदी से सीधा मुकाबला करने की बात करते हैं.

इसे अति आत्मविश्वास कहा जाए, बेशर्मी या बेहयाई कहा जाए, आम आदमी पार्टी हमेशा ऐसे वक्तव्य देती है जैसे नाटक के मंच पर कोई किरदार अपने डायलॉग बोलता है.

कई बार खराब डायलॉग भी लोगों के दिमाग में बहुत अधिक असर डालते हैं. “ये हाथ हमको दे दे ठाकुर” शोले फ़िल्म के इस डायलॉग की पृष्ठभूमि बहुत अमानवीय, हिंसात्मक, विकृत मानसिकता और राक्षसी प्रवृति की है, लेकिन इसके बाद भी न जाने कितने लोग इस डायलॉग को अपने जीवन में बिना किसी हिचकिचाहट के दोहराते हैं. आम आदमी पार्टी भी अपनी निम्नस्तरीय और विकृति परिस्थितियों को आकर्षक ढंग से पेश करके इसी मानसिकता को भुनाने की विशेषज्ञ है.

आम आदमी पार्टी के लोकसभा में सदस्य संख्या लगभग नगण्य है, और 2024 के चुनावों में भी यह पार्टी चमत्कार करके बहुमत प्राप्त कर लेगी इसकी कल्पना हैरी पॉटर भी नहीं कर सकता. इसलिए इस तरह के वक्तव्य से समझदार व्यक्ति तो आम आदमी पार्टी से और अधिक दूर हो जाते हैं लेकिन दिल्ली घेरकर बैठे रोहिंग्या, बांग्लादेशी और एक वर्ग विशेष के लोग शायद खुशी से उछलने लगते होंगे.

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