सोमवार, 23 अगस्त 2010

छोटा सा बादल ......

स्मित मुस्कान हो,
लाल आसमान हो,
पलके उठे झुके,
लब थर थराए रुके,
पास तुम बैठी रहो,
लहराती आंचल ॥


गुल मोहर खिले कहीं
दो पल मिले कहीं
और एक साथ गिने
हृदय की धड़कने
चांदनी ढके रहे
छोटा सा बादल ॥ ॥

****शिव प्रकाश मिश्र ******

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

"हाइड्रोजन बम" और कांग्रेस की कठिन राह,

  "हाइड्रोजन बम" और कांग्रेस की कठिन राह ||राहुल के बेतुके करतब के पीछे का काला सच || राजीव - राहुल की समानता पिछले कुछ महीनों से ...