मंगलवार, 24 अगस्त 2010

सिर्फ तेरा साथ हो

जुल्फों की छाँव में,
 सपनो के गाँव में,
 अधरों को ढूड़ता,
 नन्हा सौगात हो.

घर में जमात में ,
दिल में दवात में,
 बचपन से खेलता,
जवानी का हाथ हो.

आँखों से आँखों में,
 टूटती सांसो में ,
कस्तूरी महकता ,
अपना जजबात हो.

सावन के झूलों में,
 वर्षा की बूंदों में,
 प्रेम से भीगता ,
सिर्फ तेरा साथ हो..
*****************
शिव प्रकाश मिश्र
*****************

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

बीमार है ! सर्वोच्च न्यायालय

  बीमार है ! सर्वोच्च न्यायालय | हर पल मिट रही है देश की हस्ती | अब बहुत समय नहीं बचा है भारत के इस्लामिक राष्ट्र बनने में अमेरिका के नवनिर्...