शनिवार, 17 मई 2025

बायकाट टर्की कितना जरूरी

 

ऑपरेशन सिन्दूर || पाकिस्तान, टर्की, और अजर्वैजान तथा भारतीय विपक्ष की समानताएं और संभावनाएं || "बायकाट टर्की" कितना जरूरी ?


22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए हिंदू नरसंहार के बाद मोदी सरकार द्वारा आतंकवादियों और उनके आकाओं के विरुद्ध चलाए गए सुनियोजित अभियान में पाक अधिकृत कश्मीर तथा पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर किए गए जबरदस्त और ताबड़तोड़ हमले में सैकड़ों आतंकवादी मारे गए और बड़ी संख्या में घायल हुए. बौखलाए पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा के पार से भारी गोलीबारी की और ड्रोन से भारतीय वायुसैनिक अड्डों पर हमला करने की कोशिश की. भारतीय सेनाओं की जवाबी कार्रवाई तथा भारतीय वायु रक्षा की मजबूत प्रणाली ने पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइलें हवा में ही मार गिराये गए. पाकिस्तान के कई सैन्य ठिकाने पूरी तरह से बर्बाद हो गए, विशेषकर नूर खान और सरगोधा जिसके पास ही पाकिस्तान के परमाणु ठिकाने हैं. भारत पर परमाणु बम से हमला करने के लिए इन्हीं सैन्य ठिकानों का इस्तेमाल किया जाता, जिनके नष्ट होने से भारत पर परमाणु हमले की आशंका तो समाप्त हो गई लेकिन किराना हिल में भूमिगत परमाणु जखीरे में कुछ ऐसा हुआ जिससे उस क्षेत्र में भूकंप जैसे झटके महसूस किए गए और विकरण (रेडिएशन) की सूचनाएं भी मिली. बाद में अमेरिका और मिस्र के जहाज जिनमें न्यूक्लियर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम के सदस्यों के पहुँचने की सूचनाएं भी प्राप्त हुई.

भारत को हमेशा परमाणु बम की धमकी देने वाले पाकिस्तान के लिए इतनी वीभत्स परिस्थितियों में भारत से युद्धविराम का अनुरोध करनें के अलावा कोई विकल्प शेष नहीं था. युद्धविराम सुनिश्चित करने के लिए उसने अमेरिका और सऊदी अरब से भी गुहार लगाई जिनसे मोदी के अच्छे संबंध हैं. भारत का उद्देश्य पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर स्थित आतंकवादियों और उनके आकाओं के ठिकानों को नेस्तनाबूत करना था, जो काफी हद तक पूरा हो चुका था. ब्रह्मोस मिसाइल सहित भारत में बने कई हथियारों का सफल प्रयोग और प्रदर्शन भी हो चुका था, इसलिए युद्धविराम भारत के लिए भी श्रेयस्कर था. यद्यपि अमेरिका के बड़बोले राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल के अपने गलत फैसलों से विश्व का ध्यान हटाने के लिए भारत-पाक युद्ध विराम का श्रेय हड़पने की कोशिश करके भारत की सफलता को कमतर करने का प्रयास भी किया. ट्रंप के इस निंदनीय कार्य को अपना ट्रंप कार्ड बनाकर भारतीय विपक्ष ने मोदी के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया और भारतीय सेना के उत्कृष्ट प्रदर्शन और शौर्य को हतोत्साहित करने का काम शुरू कर दिया क्योंकि भारतीय राजनेता हर काम में चुनावी राजनीति करते हैं चाहे देश का उससे कितना भी नुकसान क्यों न हो जाए. इसके पहले सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने पाकिस्तान के विरुद्ध किसी भी कार्रवाई के लिए मोदी सरकार को पूर्ण समर्थन दिया था लेकिन अब युद्ध विराम पर सवाल उठाए जा रहे हैं.

आतंकी देश पाकिस्तान के विरुद्ध कार्रवाई में भारतीय नौसेना, वायु सेना, थल सेना और खुफिया एजेंसियों का जबरदस्त सामंजस्य देखने को मिला जिससे बिना नियंत्रण रेखा पार किए आतंकी ठिकानों को चिन्हित कर इतना सटीक प्रहार किया गया जिसे पाकिस्तान की चीन निर्मित वायुरक्षा प्रणाली समझ नहीं सकी. इससे चीन निर्मित वायु रक्षा प्रणाली तथा चीनी विमानों की किरकिरी हुई वहीं भारतीय हथियारों के लिए नया बाजार मिलने की असीम सम्भावनाएं बन गयी है. आतंकवाद के विरुद्ध भारतीय के इस अभियान में टर्की, अजरबैजान और चीन ने खुलकर पाकिस्तान का साथ दिया. चीन लंबे समय से पाकिस्तान और उसके आतंकवादियों के साथ देता रहा है क्योंकि उसने सीपैक के माध्यम से पाकिस्तान में बड़ा निवेश कर रखा है, और इसलिए आर्थिक हितों के कारण ऐसा करना मजबूरी भी है और जरूरी भी. टर्की ने पाकिस्तान को राजनीतिक और कूटनीतिक समर्थन देने के साथ साथ सैन्य सामग्री और ड्रोन भी उपलब्ध कराए. टर्की के सैनिक ही ड्रोन संचालित कर रहे थे. टर्की की इस भूमिका ने पारस्परिक संबंधों पर पुनर्विचार करने के लिए विवश कर दिया है. यद्यपि सरकार ने अभी कोई प्रतिबंधात्मक कदम नहीं उठाए हैं लेकिन टर्की के बहिष्कार की जनभावना का सम्मान करते हुए उद्योग एवं व्यापार तथा शिक्षा जगत ने टर्की से अपने संबंध समाप्त करने शुरू कर दिए हैं.

टर्की हमेशा भारत के लिए राक्षस की भूमिका में रहा है. तुर्क इस्लामिक आक्रांताओं ने न केवल भारत को लूटा बल्कि हिंदुओं का जघन्य नरसंहार भी किया. ऑटोमन साम्राज्य तुर्की के खलीफा को ब्रिटेन द्वारा पदच्युत किए जाने के विरोध में भारतीय मुसलमानों द्वारा खलीफ़त आन्दोलन चलाया गया. जिसका घोषित उद्देश्य अंग्रेजों को विरोध प्रदर्शन के माध्यम से तुर्की के खलीफा को बहल करने के लिए मजबूर करना था लेकिन इस आंदोलन की परिणित हिंदू नरसंहार के माध्यम से भारत का विभाजन करके पाकिस्तान बनाने के रूप में हुई. भले ही जिन्ना को पाकिस्तान का निर्माता कहा जाता हो लेकिन पाकिस्तान का असली निर्माता और प्रेरणा स्रोत टर्की है. इसलिए टर्की का पाकिस्तान को समर्थन और सैन्य संसाधन उपलब्ध कराना आश्चर्यजनक नहीं है.

पाकिस्तान और पाक-परस्त भारतीय मुसलमानों का जितना गहरा संबंध टर्की से है उतना ही गहरा संबंध टर्की से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का भी है. गाँधी ने खलीफत आंदोलन को न केवल समर्थन दिया बल्कि हिंदू जनमानस को धोखा देने के लिए उसका नाम खिलाफत आंदोलन कर दिया जिससे यह असहयोग आन्दोलन का उर्दू रूपांतर लगने लगे. खलीफ़त आंदोलन के कारण देशभर में सांप्रदायिक दंगे हुए जिसमें हिंदुओं को निशाना बनाया गया लेकिन गाँधी और नेहरू तब तक आंखें बंद किए रहे जब तक हिन्दुओं को मुस्लिम नेताओं की यह बात सही नहीं लगने लगीं कि “हिंदू और मुसलमान एक साथ नहीं रह सकते”. देश के विभाजन में गाँधी और नेहरू ने अंग्रेजों के साथ मिलकर हिंदुओं के साथ धोखा किया. धर्म के आधार पर पाकिस्तान का निर्माण हुआ लेकिन एक बड़े षड्यंत्र के अंतर्गत मुसलमान पाकिस्तान नहीं गए और इस कार्य में गाँधी और नेहरू मुस्लिमों के सबसे बड़े सहायक बने. गाँधी ने अहिंसा का पाठ पढ़ाकर हिन्दुओं के नरसंहार पर आंखें बंद रखी और केवल हिंदुओं को धर्मनिरपेक्षता का पाठ पढ़ाकर भारत को साझे की खेती बना दिया. गाँधी और नेहरू के सपनों का भारत बनाने के लिए कांग्रेस ने कभी भी मुस्लिम तुष्टीकरण के अभियान को मंद नहीं पड़ने दिया. उसने पाकिस्तान ही नहीं सभी मुस्लिम देशों के साथ अच्छे संबंध बनाने के लिए राष्ट्रीय हितों के साथ समझौता करने में कभी कंजूसी नहीं की. इसलिए कांग्रेस के टर्की में कार्यालय खोलने पर किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए.

टर्की में आई प्राकृतिक आपदा के समय मोदी सरकार ने सबसे पहले मानवीय सहायता पहुंचाई लेकिन टर्की के साथ संबंधों में प्रगाढ़ता कांग्रेस के शासनकाल में आई. नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो ने टर्की की सेलेबी एविएशन का लाइसेंस रद्द कर दिया है जिसे 9 हवाई अड्डों दिल्ली मुंबई, बैंगलोर, हैदराबाद,चेन्नई, कोचीन अहमदाबाद, गोवा, तथा कानपुर पर ग्राउंड हैंडलिंग, कार्गों, वेयर हाऊसिंग और यात्री सहायता कार्य करने का ठेका 2008 में कांग्रेस शासन में मिला था. इंडिगो एयरलाइन के टर्किश एयरलाइन्स के साथ कोड शेयरिंग समझौते का भी विरोध हो रहा है, जिसपर इंडिगो ने सफाई देकर समझौते का बचाव किया है. तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन इस्लामिक देशों के खलीफा बनने और पूरे विश्व में इस्लाम का परचम फहराने को बेताब है, जिसके लिए किसी भी इस्लामिक देश के साथ खड़े होने का मौका नहीं छोड़ते. उन पर कई देशों द्वारा इस्लामिक आतंकवादियों के अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क को वित्तीय सहायता तथा हथियार देने का आरोप लगता रहा है, जिसके लिए टर्की की कंपनियों का उपयोग किया जाता है. इसलिए टर्की की किसी भी कंपनी को राष्ट्रीय हित में भारत में कार्य हेतु अनुमति नहीं मिलनी चाहिए.

भारत में बायकॉट टर्की का आंदोलन ज़ोर पकड़ चुका है जो उद्योग एवं व्यापार के हर क्षेत्र को बहुत तेजी प्रभावित कर रहा है. कई संगठनों ने टर्की से आयात न करने का फैसला किया है. बड़ी संख्या में भारत के पर्यटक टर्की और अजरबेजान जाते हैं. अब पर्यटन सेवा प्रदाता भारतीय कंपनियां पर्यटकों से टर्की और अजरबेजान के बजाय भारतीय स्थानों या अन्य देशों का चयन करने की अपील कर रही हैं. आइआइटी रुड़की और जेएनयू सहित कई विश्वविद्यालयों ने टर्की के साथ अपने समझौते समाप्त करने की घोषणा कर दी है. लाल सिंह चड्ढा की शूटिंग तुर्की में करने वाले आमिर खान, जिनके एर्दोगन परिवार से घनिष्ठ संबंध है, मौन हैं. फ़िल्म जगत भी शांत है लेकिन कांग्रेस ने बायकॉट का समर्थन करने या टर्की के विरुद्ध कुछ कहने के बजाय सरकार पर ही प्रश्न दागने शुरू कर दिए हैं.

टर्की के बायकॉट पर देश की सोच बिलकुल सही है. सभी को इस आंदोलन का हिस्सा बन कर जिहादी मानसिकता और खलीफाई महत्वाकांक्षा का विरोध करना चाहिए.

~~~~~~~~~~~~~शिव मिश्रा ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

शनिवार, 3 मई 2025

सब कुछ तैयार, तो मोदी को है किसका इन्तजार

 


सब कुछ तैयार, तो मोदी को है किसका इन्तजार || भारत पाक युद्ध में असमंजस के बीच देशवासियों के सब्र का बाँध छलकने लगा || अवैध पाकिस्तानियों ने उड़ाई सरकार की नींद लेकिन खेल अलतकिया सबाब पर


22 अप्रैल 2025 को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में घूमने गए 27 से अधिक लोगों की इस्लामिक आतंकवादियों द्वारा धर्म पूछ कर केवल हिन्दुओं की नृशंस हत्या कर दी गई. आतंकियों ने इन लोगों से कलमा पढ़ने को कहा और जिन्होंने नहीं पढ़ा उन्हें गोलियों से भून दिया. इस हिंदू नरसंहार से पूरे देश में उबाल है. लोगों की प्रबल इच्छा है कि सरकार आतंकियों और उनके आकाओं को ऐसा सबक सिखाये कि वे फिर इस तरह की घटना करने की हिम्मत न जुटा सके. सरकार ने भी ऐसे संकेत दिए कि वह आतंकवादियों और आतंकी देश पाकिस्तान के विरुद्ध अब तक की सबसे बड़ी और निर्णायक कार्रवाई करेगी. सरकार द्वारा आहूत सर्वदलीय बैठक में सभी राजनीतिक दलों ने आतंकवाद के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने में सरकार के समर्थन की घोषणा की. संशोधित वक्फ बोर्ड कानून के विरुद्ध आक्रामक बयानबाजी और सड़कों पर हिंसक धरना प्रदर्शन में व्यस्त मुस्लिम नेताओं और मुस्लिम संगठनों ने भी आश्चर्यजनक रूप से न केवल इन जघन्य हत्याओं की निंदा की बल्कि काली पट्टी बांधकर नमाज़ अदा की और कई जगह कैंडल मार्च भी आयोजित किए. यदि यह विरोध वास्तविक है तो स्वागत योग्य है लेकिन इस्लाम, धर्म से अधिक राजनीति है और अलतकिया एक स्थापित परंपरा है जिसमे विपरीत परिस्थितियों में आडम्बर करना रणनीति होती है. इसलिए हिंदुओं को किसी भ्रम में नहीं पड़ना चाहिए.

वैसे तो स्वतंत्रता के बाद से ही भारत पाकिस्तान प्रयोजित इस्लामिक आतंकवाद की चपेट में है और देश के लगभग सभी हिस्सों में आतंकी घटनाएं होती रही है लेकिन जम्मू कश्मीर में जिस ढंग से हिंदुओं का नरसंहार किया गया और उनकी जमीन जायदाद पर कब्जा किया गया वह विश्व का अनोखा उदाहरण है. यहाँ धर्मांध मुस्लिमो ने ही अपने पड़ोसी हिंदुओं का सफाया करने में मुख्य भूमिका निभायी. कई इस्लामिक संगठन और अतिवादी मुस्लिम भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने के लिए जम्मू कश्मीर का मॉडल पूरे देश में लागू करना चाहते हैं. इसलिए पूरी तैयारी के साथ सांप्रदायिक दंगों के लिए बहाने खोजे जाते हैं. पत्थरबाजी, आगजनी और हिंदुओं की निर्मम हत्याओं की प्रकृति भी कश्मीर प्रेरित होती है. आतंकवाद भले ही पाकिस्तान प्रयोजित हो लेकिन स्थानीय स्तर पर इस्लामिक कट्टरपंथी उनका न केवल पूरा सहयोग करते हैं बल्कि उनके दुष्कृत्यों को छिपाने के लिए राजनैतिक समर्थन भी हासिल कर लेते हैं.

सर्वदलीय बैठक में पाकिस्तान के विरुद्ध किसी भी कार्रवाई के लिए सरकार को पूर्ण समर्थन देने के बाद कई राजनेताओं ने तुष्टीकरण की राजनीति शुरू करते हुए आतंकी हमले का कारण सुरक्षा चूक और खुफिया एजेंसियों की विफलता बताना शुरू कर दिया है. कांग्रेस, वामपंथी. आरजेडी. टीएमसी, समाजवादी पार्टी आदि के नेताओं ने प्रत्यक्षदर्शियों और भुक्तभोगियों के दावों को झुठलाते हुए आतंकवादियों द्वारा धर्म पूछे जाने की बात पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है. लालू की पार्टी ने आतंकी घटना को लिखी हुई पटकथा बताते हुए इसे सरकार प्रयोजित बताया. तुष्टीकरण की गंदी नाली के राजनीतिक कीड़ों को विवादित स्वयंभू शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का भी समर्थन मिला, जिन्होंने घटना के लिए मोदी को जिम्मेदार ठहराया और सरकार द्वारा प्रस्तावित कार्रवाई को केवल बयानबाजी बताया.

भारत ने प्रारंभिक तौर पर जो कदम उठाए हैं उनमें सिंध जल समझौता निलंबित करने, दूतावास में कर्मचारियों की संख्या कम करने,पाकिस्तानियों को वीज़ा बंद करने तथा वीजा पर आये पाकिस्तानियों को भारत छोड़ने, द्विपक्षीय व्यापार पर रोक लगाने पाकिस्तान के लिए भारतीय हवाई क्षेत्र प्रतिबंधित करने जैसे कई कदम शामिल हैं. इस बीच भारत में उच्च स्तरीय बैठकें हो रही है और सैन्य तैयारियां शुरू हो चुकी है. अरब सागर में भारतीय जल सेना ने मोर्चाबंदी कर ली है. वायु सेना अत्याधुनिक विमानों मिग, सुखोई और राफेल के साथगंगा एक्सप्रेस वे पर अभ्यास कर रही है और थल सेना ने रणनैतिक घेराबंदी शुरू कर दी है. पाकिस्तान में दहशत का माहौल है. उसने एटम बम की धमकियां देना शुरू कर दिया है. विश्व के अधिकांश देश या तो भारत के साथ हैं या पाकिस्तान के विरोध में लेकिन तुर्की खुलकर पाकिस्तान के समर्थन में आया है तथा चीन ने पाकिस्तान का खामोश समर्थन किया है.

भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की चर्चाओं के बीच आतंकवादियों की स्थानीय इकाइयों से ध्यान पूरी तरह हटा दिया गया है. तंत्र ने पूरे देश का आक्रोश पाकिस्तान की ओर मोड़ कर आतंकवाद की स्थानीय जड़ें पूरी तरह सुरक्षित करने का प्रयास किया है. पहलगाम हिंदू नरसंहार में केवल पुरुषों को मारा गया, स्त्रियों को छोड़ दिया गया जिनसे मिली जानकारी के आधार पर यह बिल्कुल स्पष्ट है कि स्थानीय घोड़ा चालकों और पर्यटन व्यवसाय में लगे अन्य स्थानीय लोगों में आतंकवादियों की बहुत अच्छी पैठ बन चुकी है. इन बदली परस्थितियों में सैलानियों की जान को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है. इस घटना के बाद पर्यटक लौट गए हैं और घाटी में पर्यटन व्यवसाय पर गंभीर संकट आ गया है. यह नहीं माना जा सकता कि कश्मीर में पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों को इतनी समझ न हो कि ऐसी घटनाओं से उनका व्यवसाय बंद हो जाएगा. फिर भी यह हुआ तो इसका सीधा मतलब है कि घाटी में आर्थिक विकास से आतंकवाद समाप्त नहीं किया जा सकता. सरकार को इसके लिए कठोर निर्णय करने पड़ेंगे जो कश्मीरियत की गलत धारणा के कारण अब तक नहीं किए जा सकें. जम्मू कश्मीर में सरकार और विपक्ष में वही राजनैतिक दल है जिनके रहते घाटी में पहले भी भयानक हिंदू नरसंहार हो चुके हैं और जिनके रहते ही हिंदुओं का पलायन हुआ था. आज घाटी में नाम मात्र के हिंदू बचे हैं. मुस्लिम बहुसंख्यक हैं, इस कारण अलगाववाद का समर्थन करने वाले नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी जैसे दलों को सत्ता से बाहर करना संभव नहीं है. जब तक इनमें से कोई भी दल सत्ता में रहेगा, घाटी से आतंकवाद समाप्त होना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है .

भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने के लिए मुसलमान और अनगिनत मुस्लिम संगठन देश में कहाँ क्या कर रहे हैं, इसकी सही और सटीक जानकारी किसी के पास उपलब्ध नहीं है. पाकिस्तानी पासपोर्ट पर वीजा लेकर आए नागरिको को वापस किए जाने को लेकर सनसनीखेज रहस्योद्घाटन हो रहे हैं. अनेक पाकिस्तानी नागरिक वीजा ख़तम होने के बाद भी दशकों से भारत में रह रहे हैं, उन्होंने भारत की नागरिकता भी नहीं ली लेकिन उनके पास आधार कार्ड, राशन कार्ड ओर वोटर आईडी कार्ड सब कुछ हैं. ऐसे लोगो की संख्या लाखों में हो सकती है. जम्मू कश्मीर में ही ऐसे अनेक मामले सामने आए हैं, जिसमे एक इफ्तिखार अली वीजा खत्म होने के बाद भी पिछले 60 सालों से भारत में रह रहे हैं. वह जम्मू कश्मीर के पुलिस विभाग में कर्मचारी हैं, उनका मकान है, परिवार है और बच्चे भी यही बस चुके हैं, जबकि शेष भारत का कोई व्यक्ति कश्मीर में न तो जमीन खरीद सकता है और न ही वहाँ का निवासी बन सकता है. भारत की अनेक मुस्लिम महिलाओं ने पाकिस्तान में शादी की है. वे सरकारी अस्पतालों में सरकारी योजनाओं का फायदा लेकर बच्चे जनने के लिए मायके आती है. चूंकि बच्चे भारत में जन्मते हैं इसलिए वे अपने आप भारत के नागरिक बन जाते हैं. कई महिलाएं तो ऐसी भी हैं जो पाकिस्तानियों से शादी करने के बाद भी कभी भी पाकिस्तान नहीं गई और उनके दर्जनों बच्चे हैं क्योंकि उनकी पाकिस्तानी पति वीजा लेकर इसी काम के लिए भारत आते हैं. अभी तक भारत बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों से त्रस्त था, जिनकी संख्या भारत में 5 करोड़ से भी अधिक हो गयी बताई जाती है. लेकिन अब इन अवैध पाकिस्तानियों ने एक नई समस्या खड़ी कर दी है. यह भारत में मुस्लिम जनसंख्या बढ़ाकर भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने का अभियान है. यह देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए बहुत बड़ा खतरा है. अब जब उन्हें पाकिस्तान भेजा जा रहा है तो फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती जैसे मुस्लिम हितैषी और पाकिस्तान परस्त उन्हें भारत से निकाले जाने का विरोध कर रहे हैं और सरकार के इस कार्य को अमानवीय, अनैतिक और गैरकानूनी बता रहे हैं. अब्दुल्लाह और मुफ़्ती वही लोग हैं जिन्हें कश्मीर से हिंदुओं के पलायन पर न उस समय कोई अफसोस था और न आज. इन्होंने धारा 370 हटाने का विरोध किया था और इसकी बहाली के लिए चीन से सहायता लेने भी गए थे. ये आज भी पाकिस्तान से बात करने की हिमायती है.

जम्मू कश्मीर में आज आर्थिक विकास से ज्यादा इस बात की आवश्यकता है कि वहाँ प्राचीन सांस्कृतिक मूल्यों की स्थापना की जाए, हिंदू जनसंख्या को बढ़ाई जाए और विस्थापित हिंदुओं को वापस लाया जाए. हिंदुओं का जनसंख्या घनत्व बढाने के लिए पूर्व सैनिकों को बसाने का कार्य एक अच्छा विकल्प हो सकता है.

भारत के इस्लामीकरण अभियान को तभी रोका जा सकता है जब मदरसों पर रोक लगाई जाए, मस्ज़िदों को नियंत्रित किया जाए, वक्फ बोर्ड तथा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जैसी संस्थाओं को तुरंत समाप्त किया जाए और पूजा स्थल कानून को रद्द किया जाए. समान नागरिक संहिता और समान शिक्षा नीति तुरंत लागू की जाए. जितनी जल्दी हो सके भारत को सनातन राष्ट्र घोषित किया जाए. अन्यथा भारत के इस्लामीकरण की गति रोक पान संभव नहीं लगता.

~~~~~~~~~~~~~~~शिव मिश्रा~~~~~~~~~~~~~

लोग जेल में, देश डर में और परिवार सत्ता में, आपातकाल का यही सारांश है

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