रविवार, 10 जुलाई 2022

भारत को आज भी लूटते हैं - कभी आक्रांता बनकर कभी शरणार्थी बनकर .

 

भारत को आज  भी लूटते हैं :

पहले आक्रांता बनकर आते थे अब आते हैं शरणार्थी बनकर .







भारत में हिंदू या मुसलमान में अशिक्षा और  अज्ञानता आज भी चरम पर है और इसका फायदा उठाकर नीम हकीम पीर फकीर साधु और बाबा लोगों को ठगने का काम करते हैं, जिन्हें  ठगा जाता है उन्हें अब भोला  भाला भी नहीं कहा जा सकता.

आज बात करते हैं एक ऐसे ही एक लुटेरे व्यक्ति की जो अफगानी मूल का शरणार्थी  है. खुद को चिश्ती सूफी घराने का बताने वाले सैयद जरीफ का पूरा नाम ख्वाजा सैयद जरीफ चिश्ती मोउनुद्दीन था। ख्वाजा सैयद चिश्ती उर्फ जरीफ बाबा. जिसकी अभी कुछ दिन पहले येवला तालुका के औद्योगिक उपनगर चिचोंडी खुर्द में हत्या हो गई है और इसलिए यह लुटेरा नकली और धोखेबाज  बाबा सुर्खियों में आ गया है.

भारत सरकार द्वारा दिए गए शरणार्थी के दर्जे पर चार साल पहले ये भारत आया था. जांच में सामने आया है कि अफगानिस्तान से आने के बाद बाबा कुछ दिन दिल्ली, फिर कर्नाटक और अब पिछले डेढ़ साल से नासिक के येवला के एक छोटे से गांव में रह रहा था और यह अपने आप को मोईनुद्दीन चिश्ती का वंशज बताता था। तालिबान द्वारा फांसी का डर बता कर भारत में 'शरणार्थी' बनने में कामयाब हुआ था.

जरीफ बाबा पहले तो राजस्थान के अजमेर गए. वहां कुछ दिन रहने के बाद कर्नाटक विजयापुरा का रुख किया. फिर कर्नाटक में एक छोटा सा मकान लेकर वहां लोगों को जोड़ने लगे. कलबुर्गी में जब उन्हें लेकर एक विवाद शुरू हुआ तो वह अपना सबकुछ समेटकर महाराष्ट्र के नासिक आ गए. नासिक में वह काफी लोकप्रिय हो गए. लोग उन्हें जानने लगे. काफी भीड़ उनके इर्द गिर्द इकट्ठी होने लगी. बडे़ पैमाने पर यहां उनके फॉलोवर बनने लगे. वैसे बाहर से भी लोग उनके पास काफी आते थे.

इसकी हत्या की जांच तो पुलिस करेगी लेकिन उससे पहले ही इसके साथ ही रहना अंदाज में लोगों को गुमराह कर धोखाधड़ी करके अच्छी खासी दौलत कमाने का मामला सामने आया है और शायद यही कारण हो सकता है उसकी हत्या का.

ये धोखेबाज  चिश्ती जरीफ बाबा बहुत ही हाईटेक और तेज दिमाग था. वे स्वयं या अपने शागिर्दों के माध्यम से यूट्यूब ट्विटर फेसबुक इंस्टाग्राम व्हाट्सएप और सोशल मीडिया के दूसरे माध्यमों का भरपूर उपयोग करता था और इसके सहारे ही ग्राहक फंसाने का काम करता था. उसने कई यूट्यूब चैनल बना रखे थे, जिसमें कई लाख सब्सक्राइबर थे फेसबुक पर सब खातों में मिलकर  5 लाख और इंस्टाग्राम पर 17.5 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स थे। यूट्यूब पर उनके 6 करोड़ से ज्यादा व्यू थे।

भारत में चाहे हिंदू हों या मुसलमान सभी में अंधविश्वास की भरमार है और यही उन्हें धर्म का ग्राहक बनाकर ऐसे नकली पीर फकीर और बाबाओं के पास ले जाती है और उनकी दुकान चल निकलती है. भारत अंधविश्वास का व्यापार करने वाले नकली पीर फकीरों और बाबाओं के लिए बहुत बड़ा बाजार है.

यह नकली पीर फकीर जरीफ बाबा बॉलीवुड के तीनों खान के नाम का इस्तेमाल कर करोड़ों की कमाई कर रहा था. अपने वीडियो में वह  लोगों को बताता था कि तीनों खान आज इस मुकाम पर हैं वह सिर्फ उसके कारण है. ये सही है कि तीनों खान भी बहुत अंधविश्वासी हैं और इन सभी ने किसी न किसी मंच पर गंडा  ताबीज और पीर फकीर के फायदे वाली बातें की हैं जिसकी क्लिपिंग्स लगाकर यह वीडियो बनाता था. यह  अपने आप को अजमेर शरीफ की दरगाह में दफन ख्वाजा मैनुद्दीन चिश्ती का वंशज बताता था और नियमित रूप से अजमेर शरीफ और निज़ामुद्दीन औलिया तथा अन्य प्रसिद्ध दरगाहों  पर जाता था लेकिन इसका उद्देश्य केवल अपने  लिए ग्राहक बनाना होता था. इसके लिए किसने कई मार्केटिंग एजेंट भी बना रखे थे कुछ हमेशा इसके साथ रहते थे और गुणगान करते रहते थे और कई लोगों को फंसाकर इसके पास लाते थे.

इसके अपने नजदीकी लोग ही इसको देवतातुल्य बनाते थे इसको फूलों की माला पहनाते थे और इसके ऊपर पुष्प वर्षा करते थे नोटों की बारिश करते थे और देखा देखी आने वाले श्रद्धालु भी ऐसा ही करते थे और अच्छी खासी रकम देकर जाते थे. इसके फॉलोवर्स में पुलिस और प्रशासन के अधिकारी भी थे एक वीडियो में एक आईपीएस अधिकारी को भी इससे प्रसाद लेते देखा जा सकता है. यह है अपनी बैठक में कई राजनेताओं की फोटो भी बदल बदल कर लगाता था सोशल मीडिया पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की कमरे में लगी तस्वीर वाली उसकी फोटो वायरल हो रही है. हो सकता है उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद उसने जल्दी से ये फोटो लगा ली हो.

इस अफगान शरणार्थी और तथाकथित जरीफ बाबा की उम्र 30- 35 वर्ष के आसपास थी, लंबी कद काठी और गोरा चिट्टा चेहरा और फैशनेबल धार्मिक स्टाइल के मुरीद हो रहे थे लोग. अपनी बोलने की शैली, लुक और लोगों के इलाज करने के तरीके की वजह से मध्यम और निम्न मध्यमवर्गी लोगों में खासे लोकप्रिय हो गए थे. सूफी लिबास में डांस करते हुए फिल्मी स्टाइल में दर्शकों को लुभाने के सारे लटके झटके इस्तेमाल करते थे। इसके अलावा वह  झाड़फूंक के जरिए महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के इलाज का दावा करते थे।

-वह  लोगों को मरने से बचने के उपाय बताता था लेकिन उसे खुद अपनी मौत के बारे में पता नहीं था.

-लोगों को 150 वर्ष तक जिंदा रहने के नायब तरीका भी बताता था लेकिन खुद ज़िंदा नहीं रह सका .

- बच्चों बुजुर्गों और महिलाओं को छूकर उनके सिर पर हाथ रखकर हर बीमारी का इलाज करता था, भविष्य बताता था 

-तंत्र मंत्र के माध्यम से भी हिंदू और मुसलमान दोनों का इलाज करता था

-हिंदू और मुसलमान दोनों को ही बेवकूफ बनाने के लिए वह अलग अलग तरीके इस्तेमाल करता था

-बाबा ने कुछ दिन पहले ही जल्दी से जल्दी रुपया कमाने का एक नया धंधा अपनाया था. वह लोगों को उनके नाम से दुआ फूंककर कीमती स्टोन पवित्र करता था और बेचता था.

इन सब कारणों से उनके पास पूरे देश से आने वालों का तांता लगा रहता था. उसका जीवन बहुत रहस्यमय था उसने अर्जेंटीना मूल की एक एक विदेशी युवती से शादी की थी जिसका वीजा 2023 तक वैध हैं और पुलिस उससे पूछ्ताछ कर रही है. एक विदेशी और अफ़गान शरणार्थी होने के नाते वह इंटेलिजेंस ब्यूरो की राडार पर था।

 

इस तथाकथित बाबा ने लोगों को विश्वास दिला रखा था कि वह अजमेर शरीफ के ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती की वंश का सदस्य है और इसलिए उसके शागिर्द भीड़ में उसका गुणगान करते हुए कहते थे कि गरीब नवाज ने भारत में दीन और ईमान का प्रचार किया और ईमान वालों की संख्या बढ़ाई अब जरीफ बाबा चिस्ती ईमान वालों का ईमान मजबूत करेंगे.

अपने लगभग 4 साल के भारत प्रवास के दौरान तथाकथित जरिए बाबा ने पांच करोड़ रुपये से भी ज्यादा पैसे कमाएँ. उसके श्रद्धालु भक्तों के अलावा विदेश स्थित कुछ संस्थाएँ भी आर्थिक मदद करती थी.  उन्हें दान से भी खूब पैसा मिलता था. दान देश-विदेश दोनों जगहों से आता था.

 इस नकली फकीर जफीर  बाबा अंदर एक साथ दिमाग था और वे बहुत हाईटेक लेटेस्ट और अपडेटेड रहता था. उसने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके खुद को सुर्खियों में ला दिया और अपने लिए अच्छे समाचारों का जखीरा लगा दिया. उसने भारत आकर और दरगाहों पर जाकर किस बात का हुनर सीख लिया था कि यहाँ पर पीर फकीर का धंधा आराम से चलाया जा सकता है और इसलिए वह इसी काम में लग गया था और लोगों को बेवकूफ बनाकर ज्यादा से ज्यादा पैसे ऐंठना उसके व्यवसाय का प्रमुख अंग था. भारत में अंधविश्वासी लोगों की भरमार है और अधिकांश लोगों के पास अपनी अपनी समस्याएं हैं जिन्हें वह चमत्कार के जरिए ठीक करने की अपेक्षा रखते हैं और इसलिए यह दुआओं के ज़रिए चमत्कारों बहुत मांग है और स्वाभाविक तौर पर इस तरह की कारगुजारियों के लिए बहुत बड़ा बाजार है.

देखना है कि इसके शिष्य इसे साईं बाबा या अजमेर के  ख्वाजा गरीब नवाज बनाने की कोशिश न करें, 

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- शिव मिश्रा 



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