मंगलवार, 26 अप्रैल 2022

हिन्दुस्तान में हनुमान चालीसा पढ़ने की घोषणा भी राष्ट्रद्रोह

 

क्या हिंदुस्तान में हनुमान चालीसा पढ़ना राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में आता है ?


हनुमान चालीसा पढ़ने की घोषणा करने पर किसी पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दायर करने की खबर अगर आप मीडिया में सुनते हैं या समाचार पत्र में पढ़ते हैं, तो आप पक्का समझ ले कि यह हिन्दुस्तान तो नहीं होगा, भारत होगा.

अब आते हैं हनुमान चालीसा पर जिसके पढ़ने की घोषणा मात्र से राष्ट्रद्रोह का मामला दर्ज किया जाता है मुंबई में अमरावती की सांसद नवनीत राणा और उनके पति रवि राणा पर. उन्हें राष्ट्रद्रोह, दो समुदायों के बीच वैमनस्यता फैलाने और सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में गिरफ्तार किया गया.

नवनीत राणा ने घोषणा की थी कि वह मातोश्री के सामने हनुमान चालीसा का पाठ करेंगी. उनका ऐसा कहना मुंबई में लाउडस्पीकर से हनुमान चालीसा के पाठ पर प्रतिबंध लगाए जाने के विरोध स्वरूप किया गया था, जो उनका लोकतांत्रिक अधिकार है. यद्यपि बाद में प्रधानमंत्री के मुंबई में कार्यक्रम को देखते हुए उन्होंने अपनी इस घोषणा को वापस ले लिया था लेकिन इसके
बाद शिवसेना कार्यकर्ताओं ने उनके निवास पर काफी हुड़दंग मचाया, उनके घर कि चारों ओर मेडिकल एंबुलेंस लगाकर रास्ता बंद कर दिया गया. रात में ही राणा दंपति को गिरफ्तार कर लिया गया. रात भर उन्हें पुलिस लॉकअप में रखा गया और दूसरे दिन शाम को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. सभी सरकार की समझदारी पर हैरान है.

नवनीत राणा निर्दलीय सांसद है और उनके पति भी निर्दलीय विधायक हैं. आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि जो व्यक्ति निर्दलीय चुनाव लड़ कर बड़े दलों को हरा सकता है उसकी लोकप्रियता अपने क्षेत्र में कितनी होगी. हिंदूवादी विचारधारा के कारण वह भाजपा नेताओं के काफी करीब है, यह भी एक कारण है.
वैसे तो
महाराष्ट्र की उद्धव सरकार पहले दिन से ही गलत कारणों से सुर्खियों में रहती आयी है लेकिन नवनीत राणा का मामला उद्धव सरकार का निहायत अविवेकपूर्ण और बदले की भावना से किया गया मामला है. स्वयं संजय राउत और उद्धव ठाकरे ने अपने बयानों से स्पष्ट कर दिया है कि पुलिस कार्यवाही राणा दंपति को सबक सिखाने के लिए की गई है.

संजय राउत ने कहा है कि १."मातोश्री से जो पंगा लेगा उसे जमीन में 30 फीट नीचे गाड़ दिया जाएगा". वह यहीं नहीं रुके, उन्होंने दोहराया कि जो मातोश्री को चुनौती देना चाहता है वह अपने अंतिम संस्कार के सामान का इंतजाम भी कर ले." एक लोकतांत्रिक देश में एक सांसद द्वारा कहे गए ये शब्द है, और तथाकथित धर्मनिरपेक्ष और मानवतावादी लोगों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. हो सकता है यह
विनाश काले विपरीत बुद्धि" की भावना को चरितार्थ कर रहा हो लेकिन केंद्र सरकार की क्या जिम्मेदारी है?


महाराष्ट्र में हनुमान चालीसा ने भूचाल ला दिया है. इसकी शुरुआत तब हुई जब सिने जगत की सुप्रसिद्ध गायिका अनुराधा पौडवाल ने पास की मस्जिद के अत्यधिक शोरगुल से होने वाली पीड़ा साझा की और ध्वनि को नियंत्रित करने की मांग की. सोशल मीडिया में इस पर खूब चर्चा हुई. यह पाया गया कि ध्वनि नियंत्रित करने के संबंध में मुंबई हाई कोर्ट और सर्वोच्च न्यायालय के के दिशा निर्देश है, जिनका पालन नहीं किया जा रहा है और धार्मिक स्थलों में पूरे वॉल्यूम के साथ लाउडस्पीकर बजाए जा रहे हैं. अजान के शोर और रमजान का महीना होने के कारण रात भर चलने वाले शोर से लोग परेशान हैं .

मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने उद्धव सरकार से विशेष संप्रदाय के धार्मिक स्थलों से कानून को दरकिनार करते हुए पूरे वॉल्यूम में लाउडस्पीकर बजाने पर रोक लगाने की मांग की है . उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा भी कि अगर 3 मई के बाद यह जारी रहता है तो वह मुंबई के हर मंदिर में हर चौराहे पर पांचों वक्त लाउडस्पीकर से हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे. 3 मई तक का समय इसलिए दिया गया ताकि रमजान का महीना खत्म हो जाए और सरकार को सोचने का समय भी मिल जाए.

इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने निर्देश जारी किये कि अजान के साथ कोई भी समझौता नहीं किया जाएगा और अजान जैसे चल रही थी वैसे ही चलेगी. पुलिस ने यह भी कहा की अजान के समय के 15 मिनट पहले और 15 मिनट बाद तक किसी भी मस्जिद के 100 मीटर के दायरे में कोई लाउडस्पीकर नहीं बजाया जा सकता, चाहे वह भजन - कीर्तन हो या अन्य कोई धार्मिक कर्मकांड क्यों न हो. इस फैसले ने राज ठाकरे को एक बहुत बड़ी चुनौती दे दी है और इसी चुनौती ने राज ठाकरे को एक बार फिर राजनीति में स्थापित होने में बड़ी सहायता की है. इसलिए 3 मई के बाद टकराव तो होगा ही क्योंकि राज ठाकरे मुंबई वासियों का समर्थन मिल रहा है भले ही वह कोरी राजनीति कर रहे हो.

कुल मिलाकर महाराष्ट्र सरकार और उसके शुभचिंतकों ने हनुमान चालीसा के पाठ को इस तरह से प्रस्तुत किया जैसे यह कोई संगीन अपराध हो. इसी से आहत होकर सांसद नवनीत राणा ने घोषणा की कि वह मातोश्री (उद्धव ठाकरे का निवास) के सामने हनुमान चालीसा का पाठ करेंगी. यह लोकतांत्रिक विरोध का तरीका है, उन्होंने सिर्फ घोषणा की थी, राणा दंपति मातोश्री के सामने पहुंचे भी नहीं थे. सामान्यतः पुलिस रोकने या गिरफ्तार करने की कार्यवाही तब करती है प्रदर्शनकारी प्रदर्शन स्थल पर पहुंचते हैं, लेकिन उनकी घोषणा के तुरंत बाद शनिवार शाम को ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया यद्यपि रविवार को मुंबई में प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को देखते हुए उन्होंने अपना विरोध प्रदर्शन टाल दिया था लेकिन फिर भी उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. नवनीत राणा की शिकायत पर लोकसभा अध्यक्ष ने  मुंबई पुलिस से 24 घंटे के अंदर जवाब मांगा है. 

सरकार से सामान्यतया जिस तरह के कार्यों की अपेक्षा की जाती है उस पर उद्धव सरकार कितनी खरी उतरी है यह तो अलग विमर्श का मुद्दा है संतुष्ट होना तो दूर, जनता स्तब्ध है और इस तरह के कारनामों से बरबस उन्हें हिन्दू ह्रदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे की याद आ जाती हैं. तरह-तरह के कांड इस सरकार के इस कार्यकाल में उजागर हुए हैं. वसूली और भ्रष्टाचार के मामले में सरकार के गृह मंत्री सहित 2 कैबिनेट मंत्री जेल में हैं.

कोविड-19 में सरकार ने जैसा किया उसे लोग कभी नहीं भूलेंगे.
तीन विभिन्न विचारधाराओं के दलों कि ये सरकार कभी एक दिशा में नहीं चलती है लोगों का मानना है कि शरद पवार ही इस सरकार के निर्माता है और पर्दे के पीछे से सरकार के संचालक भी. इसलिए लोगों की धारणा है कि शरद पवार शिव सेना को पूरी तरह से बर्बाद करके ही दम लेंगे . उनके पीछे चलना उद्धव की मजबूरी है, जिस दिन उद्धव अलग चलेंगे सरकार गिर जाएगी लेकिन क्या सरकार बचाने और मुख्यमंत्री बने रहने के लिए कोई कुछ भी कर सकता है. जो भी हो उद्धव ने राणा दंपत्ति को एक झटके महाराष्ट्र में हिंदुत्व के बड़े नायक के रूप में स्थापित कर दिया .

मुंबई उच्च न्यायालय ने राणा दंपति की FIR निरस्त करने की याचिका खारिज कर दी है, जिस पर किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए क्योंकि अर्णव गोस्वामी, पालघर में पुलिस के सामने साधुओं की हत्या और कंगना रानौत के मामले में भी मुंबई उच्च न्यायालय का रुख पूरे देश में चर्चा का विषय था. निचली अदालत जिसने राणा दंपत्ति 14 दिन की न्यायिक हिरासत का आदेश दिया, उनके विवेक पर तो कोई बात करना ही बेकार है.

सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि केंद्र सरकार इतने बेबस और लाचार क्यों है? महाराष्ट्र को अभी क्या देखना बाकी है?
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- शिव मिश्रा
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