रविवार, 1 अगस्त 2021

भारत में जल्द आ सकती है डिजिटल करेंसी

 क्या भारत में डिजिटल करेंसी  शुरू होने वाली है?

शायद हां  लेकिन डिजिटल करेंसी की चर्चा कोई नई नहीं है बहुत दिनों से इस पर चर्चा हो रही है और सिर्फ भारत ही नहीं विश्व के अनेक देशों में इस पर विचार किया जा रहा है.  रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर की रविशंकर के  व्याख्यान के आधार पर ऐसा प्रतीत होता है कि अब अब शायद रिजर्व बैंक  इस दिशा में ज्यादा गंभीर मालूम पड़ता है और इसकी गंभीरता के  समुचित कारण हैं क्योंकि आधुनिक वित्तीय व्यवस्था में  कागज के बने  नोटों के   अलावा बहुत सारी चीजें  डिजिटल हो चुकी हैं  जैसे शेयर सर्टिफिकेट,  बॉन्ड, बैंकिंग ट्रांजैक्शंस  आदि.   कैश  का लेनदेन ज्यादातर विकसित  देशों में बहुत कम हो चुका है  और भारत में भी इस दिशा में काफी प्रगति हुई है.  कोविड-19 के लॉक डाउन के दौरान  ज्यादातर लोगों ने डिजिटल ट्रांजैक्शन की मदद से ही अपने सामान्य खर्चे किए.  इसलिए यह उचित समय  प्रतीत होता है जब प्रायोगिक तौर पर ही सही   रिजर्व बैंक   केंद्रीय बैंक डिजिटल  करेंसी (CBDC)  की शुरुआत करें 

क्या है सेंट्रल बैंक  डिजिटल  करेंसी ?

सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी वर्तमान कागज की मुद्रा से सर्वथा अलग नहीं होगी बल्कि यह उसका डिजिटल रूप ही होगी.   अंतर केवल  इतना  होगा कि  वर्तमान कागज की मुद्रा हम अपने  वॉलेट / पॉकेट  में रख सकते हैं,  डिजिटल मुद्रा को डिजिटल वॉलेट में रखना होगा.  वर्तमान व्यवस्था की तरह इसका नियंत्रण भी रिजर्व बैंक के पास ही रहेगा. 

(A CBDC is the legal tender issued by a central bank in a digital form. It is the same as a fiat currency and is exchangeable one-to-one with the fiat currency. Only its form is different)


डिजिटल करेंसी की आवश्यकता क्यों ? 

डिजिटल करेंसी समय की मांग है और दुनिया के कई देशों के केंद्रीय बैंक समवेत स्वर में इस बात को स्वीकार करते हैं कि   डिजिटल करेंसी की  मांग  बढ़  रही है. ऐसे समय में जब प्राइवेट डिजिटल करेंसी जैसे बिटकॉइन आदि  का लेन देन कई देशों में  अत्यधिक लोकप्रिय हो रहा है,  जिसे कानूनी मान्यता भी नहीं मिली है और जिस की विश्वसनीयता भी नहीं है. ऐसे में  केंद्रीय बैंक द्वारा जारी की गई  डिजिटल  करेंसी,  जिसकी केंद्र सरकार द्वारा  गारंटी दिए जाने के कारण विश्वसनीयता होगी  और यह   प्राइवेट  डिजिटल करेंसी  का  समुचित विकल्प होगी.   यद्यपि  यह  प्राइवेट डिजिटल करेंसी  की मांग और प्रसार कम कर सकेगी इसकी संभावना काफी कम है  क्योंकि  कई सरकारें,  जहां फिएट करेंसी प्रचलन में है,  प्राय:  अधिक मुद्रा प्रिंट करती हैं और जिसके  पीछे कोई रिजर्व आदि भी नहीं होता  और इस कारण लोगों का रुझान प्राइवेट करेंसी की तरफ बना रहेगा. 

फिर भी  चूंकि  डिजिटल करेंसी  की प्रिंटिंग  और प्रेषण की लागत,  वर्तमान कागज की करेंसी की तुलना में  लगभग नगण्य होगी,  केंद्रीय बैंकों के अनुसार  डिजिटल करेंसी राष्ट्रीय हित में लिया गया बड़ा कदम होगा. 

 डिजिटल करेंसी राष्ट्र के लिए नुकसानदायक भी हो सकती है

  • अगर केंद्र सरकार द्वारा जारी  डिजिटल करेंसी लोकप्रिय हो जाती है तो  हो सकता है कि लोग अपने बैंक खातों से  रुपए  निकालकर डिजिटल करेंसी में बदल कर रखने लगे.  
  • चूंकि  डिजिटल करेंसी में कोई ब्याज आदि का भुगतान नहीं होता है इसलिए भारत में इसके खतरे कम है क्योंकि यहां बैंकों में जमा राशि पर कुछ ब्याज दिया जाता है लेकिन कई ऐसे देश हैं जहां पर बैंकों में जमा राशि पर कोई ब्याज देय  नहीं होता है और  कई देशों में ब्याज की दर नकारात्मक होती है, वहां इसकी संभावना बहुत ज्यादा है. 
  •  फिर भी अगर बैंक खातों से पैसा निकल कर डिजिटल करेंसी की तरफ जाता है तो बैंकों की ऋण देने की क्षमता  बुरी तरह प्रभावित  होगी जो अर्थव्यवस्था के विकास में  अवरोध होगा. 

डिजिटल करेंसी के  प्रभाव  और संभवित रूपरेखा

बैंक  खातों  से  धनराशि  निकालकर  डिजिटल करेंसी में बदलने  का खतरा  वास्तव में  बहुत गंभीर है,  और अगर ऐसा होने लगता है तो विभिन्न देशों को इन पर कई नियंत्रण लगाने होंगे.  इनमें कुछ इस तरह के प्रावधान हो सकते हैं

  •  प्रत्येक व्यक्ति के लिए डिजिटल करेंसी की अधिकतम सीमा

  •  डिजिटल करेंसी  रखने पर  शुल्क

  • डिजिटल करेंसी से ज्यादा से ज्यादा खर्च करने पर प्रोत्साहन 

  •  बैंकों से धन राशि निकालने पर  शुल्क 

  •  इसके बाद भी यदि बैंकों से धन राशि निकासी की  प्रवृत्ति बनी रहती है तो  वाणिज्यिक बैंकों को  उनकी क्षमता बनाने के लिए सरकार को सहायता प्रदान करनी होगी.

  • कोई ऐसी व्यवस्था भी विकसित की जा सकती है जिसके अंतर्गत डिजिटल करेंसी दोबारा फिर वाणिज्यिक बैंकों में आ सके और उसे ऋण के रूप में लोगों को दिया जा सके. 

 बैंकिंग व्यवस्था

  • डिजिटल करेंसी के  प्रचलन के बाद  बैंकों की स्थिति बिगड़ सकती है.  उनकी  लाभप्रदता  और  ऋण देने की क्षमता बुरी तरह प्रभावित हो सकती है. 

  • वर्तमान व्यवस्था में भुगतान के लिए  बैंक  एक आवश्यक अंग है  किंतु  डिजिटल करेंसी से भुगतान ऐसे ही होगा जैसे की नकद  और इसलिए बैंक की मध्यस्थता की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी, जिसके राष्ट्र के लिए  गंभीर  खतरे भी हो सकते  हैं. 

  • किसी भी बैंक में अफवाह मात्र से  उसके  ग्राहक सभी जमा धनराशि तुरंत निकालने की कोशिश करेंगे जिससे बैंक लड़खड़ा जाएगा. 

   अर्थव्यवस्था

  •  अगर बैंकों के माध्यम से भी  डिजिटल  करेंसी जारी की जाती है  तो भी  बैंकों को और अधिक लिक्विडिटी की आवश्यकता होगी और ऋण क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार से आर्थिक सहायता की आवश्यकता  पड़ेगी.

  • डिजिटल करेंसी पर नेगेटिव इंटरेस्ट लगा कर  लोगों को  ज्यादा  खर्च करने  के लिए प्रेरित  किया जा सकता है . 

  • डिजिटल करेंसी के  प्रचलन  के बाद   cyber-attacks के खतरे बढ़ जाएंगे क्योंकि  क्योंकि डिजिटल करेंसी का फ्रॉड लगभग जेब कटने जैसा होगा जिसमें नकद मुद्रा  सीधे  जेब कतरे  के पास पहुंच जाती है. 

  • इसलिए  डिजिटल करेंसी के साथ  लोगों में साइबर सुरक्षा की जागरूकता बढ़ाना अत्यंत आवश्यक है, जबकि भारत जैसे देश में जहां वित्तीय साक्षरता ही पर्याप्त नहीं है, यह अत्यंत मुश्किल कार्य है.

 भारत में डिजिटल करेंसी का भविष्य 

भारत सरकार द्वारा नियुक्त अंतर मंत्रालय  समिति ने डिजिटल करेंसी जारी करने का सुझाव दिया है और रिजर्व बैंक इस दिशा में व्यापक प्रयास कर रहा है .

यद्यपि  डिजिटल करेंसी का प्रचलन बिल्कुल करेंसी नोट की तरह ही होगा  फिर भी इसे प्रभावित होने वाले अनेक कानूनी प्रावधानों में समुचित संशोधन करना पड़ेगा  और तदनुसार एक व्यापक कानूनी तंत्र विकसित करना पड़ेगा ताकि डिजिटल करेंसी   का नियंत्रण   प्रभावी ढंग से किया जा सके  और अर्थव्यवस्था को किसी संभावित नुकसान से बचाया जा सके. 

डिजिटल करेंसी के बहुत फायदे हैं.  इससे करेंसी नोट प्रिंट करने और विभिन्न स्थानों पर पहुंचाने का खर्चा बचेगा लेकिन इससे रोजगार के कुछ अवसर भी  कम होंगे  और सकल घरेलू उत्पाद  भी प्रभावित होगा.   

वित्तीय लेन-देन में यद्यपि  सेटलमेंट संबंधी खतरे  कम हो जाएंगे किंतु    वाणिज्यिक बैंकों की भूमिका सीमित हो जाएगी  जो अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक भी हो सकता है. 

बैंकों को  लिक्विडिटी  और ऋण क्षमता  बनाए रखने के लिए  सरकार से और अधिक वित्तीय सहायता की आवश्यकता पड़ेगी.   भारत जैसे  कम वित्तीय साक्षरता वाले देश में  लोगों को साइबर सुरक्षा जैसे अनेक खतरों से भी  दो-चार होना पड़ेगा. 

 इस पृष्ठभूमि में  रिजर्व बैंक को कम से कम सीमित मात्रा में प्रायोगिक तौर पर डिजिटल करेंसी का प्रचलन शुरू कर देना चाहिए और लोगों में जागरूकता और स्वीकार्यता  बढ़ने के साथ इसका  प्रचलन बढ़ाना चाहिए. 

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- शिव प्रकाश मिश्र

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