रविवार, 9 मई 2021

हिमंत विस्व सरमा असम में भाजपा के मजबूरी के मुख्यमंत्री हैं या स्वाभाविक मुख्यमंत्री ?

 


भारत के कुछ लोगों के दिमाग को , जिसमें विपक्षी पार्टियों के कुछ नेता भी शामिल हैं, भाजपा और मोदी विरोध के वायरस ने बुरी तरह संक्रमित कर रखा है, इस कारण लगातार भाजपा विरोध के लिए अजीबोगरीब कुतर्क ढूंढ कर अनाप-शनाप बोलते रहते हैं. इसलिए ही वे हेमंत विश्व सरमा को असम के नए मुख्यमंत्री के रूप में भाजपा के नवनिर्वाचित विधायकों द्वारा चुनने को वह भाजपा के मजबूरी के मुख्यमंत्री के रूप में परिभाषित कर रहे हैं.

कांग्रेस ने तो यहां तक कह डाला कि भाजपा के इतने दुर्दिन आ गए हैं कि उसे दूसरी पार्टियों से आए थे नेताओं को मुख्यमंत्री बनाना पड़ रहा है.

सभी लोगों को मालूम होगा कि हेमंत विश्व सरमा ने 2016 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे. कांग्रेस छोड़ने के लिए हेमंत विश्व सरमा ने एक घटना का जिक्र किया था. असम की समस्याओं पर विचार करने के लिए वह कांग्रेस पार्टी हाईकमान से मिलना चाह रहे थे बहुत दिनों बाद तो उनको राहुल गांधी से मिलने के लिए कहा गया और जब मिलने पहुंचे तूने बहुत इंतजार करवाया गया और इंतजार के बाद भी जब वह राहुल से मिले तो राहुल लगातार अपनी पिद्दी ( राहुल के डॉगी का नाम) को बिस्कुट खिलाते रहे और उसी से बात करते रहे। इससे हेमंत विश्व शर्मा बहुत आहत हुए और उन्होंने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए.

2016 में उन्होंने विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए सर्वानंद सोनोवाल के साथ मिलकर अथक मेहनत की और भाजपा ने पहली बार असम में अपनी सरकार बनाई. न केवल असम बल्कि पूर्वोत्तर के कई राज्यों में हेमंत विश्व सरमा भाजपा को सत्ता तक पहुंचाने में सहायता की. वह पूर्वोत्तर में एनडीए के संयोजक हैं और उन्हें पूर्वोत्तर का चाणक्य भी कहा जाता है.

हिमंत बिस्वा सरमा असम की जालुकबारी विधानसभा सीट से लगातार पांचवीं बार विधायक बने हैं, उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार को 101911 वोटों के अंतर से हराया उन्हें 77% मत मिले जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है. मजे की बात यह है कि हेमंत विश्व शर्मा नामांकन कराने के बाद कभी भी अपनी चुनाव क्षेत्र में प्रचार के लिए नहीं जाते हैं, केवल मतदान के मात्र घंटे पहले व्यवस्था देखने जाते हैं और हमेशा उनके रिकॉर्ड जीत होती रही है.

असम में कांग्रेस ने बदरुद्दीन अजमल की पार्टी के साथ गठबंधन किया था और राहुल गांधी ने अजमल को असम की पहचान बताया था. अजमल ने भी घोषणा कर दी थी कि असम में अबकी बार टोपी लुंगी की सरकार बनेगी. इसके जवाब में हेमंत विश्व शर्मा ने नारा दिया था “ मियां बनाम असमिया” और परिणाम सबके सामने है .

असम में बीजेपी की रैलियों में एक गाना गूंजता था "आहिसे, आहिसे, हिमंतो आहिसे." इसका मतलब है "आएगा, आएगा, हिमंत आएगा." इस चुनाव में बीजेपी ने यद्दपि मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं किया था लेकिन इस नारे ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था .

कांग्रेस अपनी गलतियों से नहीं सीखती जिन कारणों से हेमंत विश्व सरमा ने कांग्रेसी छोड़ी थी उन्हीं कारणों से ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी कांग्रेस छोड़ी और सचिन पायलट लगभग छोड़ते छोड़ते बच गए.

  • कांग्रेस द्वारा भाजपा पर यह आरोप लगाना कि उन्होंने एक आयातित नेता को असम का मुख्यमंत्री बनाया है, जो मजबूरी के मुख्यमंत्री हैं, केवल खीज मिटाना है, एक तो पार्टी चुनाव नहीं जीत सकी और मुख्यमंत्री भी पार्टी का बागी बना जो असम में पार्टी का बचा खुचा आधार भी ख़त्म कर देगा .
  • सही अर्थों में हेमंत विश्व शर्मा भाजपा के बहुत स्वाभाविक नेता है और उन्होंने भाजपा के लिए जितना काम किया है और क्षेत्र पर उनकी जितनी पकड़ है उससे उन्हें मुख्यमंत्री होना ही चाहिए . वह भाजपा के स्वाभाविक नेता और स्वाभाविक मुख्यमंत्री हैं जो असम के विकास के साथ-साथ असम में भाजपा को और अधिक मजबूत करेंगे.
  • मेरी व्यक्तिगत राय में यह सर्वथा उचित है .
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- शिव मिश्रा 
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