मंगलवार, 11 मई 2021

क्या चीनी वायरस की इस महामारी में सेन्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट जरूरी है ?

 

इस समय सोशल मीडिया में भारत विरोधी गैंग सक्रिय है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि धूमिल करने के लिए केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टारगेट किया जा रहा है. ऐसा करने वाले ज्यादातर वह लोग हैं जो या तो भावनाओं में बह जाते हैं या कुछ उपकार के बदले अपने आपको बेच देते हैं।

यह प्रश्न भी इसी कड़ी में बिना सिर पैर का प्रश्न है, जो महामारी की इस मुसीबत के समय लोगों में सरकार के प्रति रोष पैदा करने के उद्देश्य किया गया लगता है.

आइये समझते हैं -

सेंट्रल विस्ता प्रोजेक्ट एक बहुत बड़ा प्रोजेक्ट है जिसकी परियोजना लागत लगभग 20000 करोड रुपए हैं और जिसे लगभग 7 से 8 वर्ष में पूरा किया जाना है। इसमें सारी धनराशि एक बार में खर्च नहीं की जानी है पर यह अगले लगभग 8 साल में किया जाने वाला खर्चा है.

इस धनराशि से भी बड़े-बड़े घोटाले पूर्ववर्ती सरकारों के कार्यकाल में किए गए थे, कोई यह पूछने की हिम्मत नहीं करता कि अगर वह घपले घोटाले नहीं हुए होते और उस धनराशि का निवेश स्वास्थ्य सेवाओं के लिए किया जाता तो आज भारत का स्वास्थ्य ढांचा बहुत अच्छा होता ?

  • सेन्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में रायसीना हिल के लगभग 3 किलोमीटर लंबे राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक के क्षेत्र को विकसित करने की योजना है इसके अंतर्गत संसद भवन, सांसदों के कार्यालय, केंद्रीय सचिवालय, एसपीजी कार्यालय, प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के कार्यालय व निवास, सेंट्रल कॉन्फ्रेंस सेंटर, आदि अनेकों कार्यालय शामिल है.
    • इसमें वह कार्य भी शामिल है जिसके अंतर्गत पुराने संसद भवन नॉर्थ और साउथ ब्लॉक के कार्यालय को म्यूजियम में परिवर्तित किया जाना है.
    • पुराना संसद भवन 100 वर्ष से अधिक पुराना हो गया है और इसकी क्षमता सीमित है. कालांतर में संसद सदस्यों की संख्या बढ़ेगी इस को ध्यान में देते हुए अतिरिक्त सांसदों के बैठने की व्यवस्था भी होगी और उनके कार्यालय के लिए भी स्थान आरक्षित किया जाएगा.
  • सबसे बड़ी बात यह है कि इस 20000 करोड़ की परियोजना में 50 से 60% राशि सिर्फ मजदूरी के रूप में श्रमिकों को भुगतान की जाएगी। बची हुई राशि में निर्माण सामग्री आदि शामिल होगी जिस पर भी लगभग 28% तक जीएसटी शामिल होगा जो सरकार को वापस मिल जाएगा.
  • कोरोना महामारी के इस दौर में जहां ज्यादातर आर्थिक गतिविधियां बंद होने के कारण श्रमिक बेरोजगार होने की कगार पर है, सेंट्रल विस्ता प्रोजेक्ट सैकड़ों श्रमिकों को लगातार रोजगार उपलब्ध कराता रहेगा और जिसके कारण इस समय भी इसका महत्व बन जाता है.
  • रही बात प्रधानमंत्री निवास कि वह इस पूरी परियोजना का एक छोटा सा हिस्सा है और वह नरेंद्र मोदी की व्यक्तिगत जागीर बनने नहीं जा रही है बल्कि वह प्रधानमंत्री का निवास होगा और सत्ता परिवर्तन के साथ प्रधानमंत्री आते और जाते रहेंगे.
  • इससे प्रधानमंत्री निवास के रूप में भवनों का दुरुपुयोग रुकेगा जैसा कि कांग्रेस के समय किया गया था कि जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के निवासों को स्मारकों में बदल दिया गया था .
  • प्रधानमंत्री आवास बन जाने के बाद इसका महत्व राष्ट्रपति भवन की तरह होगा और पद त्याग करते समय ही प्रधानमंत्री को यह आवास खाली करना पड़ेगा जिससे भविष्य में धन की बर्बादी रुकेगी.
  • जहां तक प्रश्न चीनी वायरस के कारण उपजी महामारी के लिए स्वास्थ्य संसाधनों की आवश्यकता का है, उसके लिए धनराशि की कमी नहीं है.
  • अकेले वैक्सीन लगाने के लिए चालू वित्त वर्ष के बजट में 35 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. बजट में स्वास्थ्य संसाधनों पर 3 लाख करोड़ से अधिक का प्रावधान किया गया है.
  • इसलिए भारत की आर्थिक स्थिति इतनी खराब नहीं है कि किसी परियोजना की धनराशि को कोरोना में खर्च करने की मजबूरी आ पड़े.
  • सेंट्रल विस्टा के अलावा पूरे देश में राष्ट्रीय राजमार्गों और अन्य मूलभूत संरचना की परियोजनाएं कोरोना प्रोटो काल का पालन करते हुए इसी उद्देश्य से चलाई जा रही हैं ताकि श्रमिकों को रोजगार भी मिलता रहे और अर्थ चक्कर भी घूमता रहे.

इसलिए लोगों को अफवाहों और भारत विरोधी मानसिकता से सावधान रहना चाहिए .

भारत में लोग बिकते रहें हैं और बिकते रहेंगे, क्योंकि बिकना कुछ लोगों की फितरत है. इसलिए सावधानी ही एकमात्र उपाय है जो आपको और देश को बचा सकती है

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