27 जनवरी 2021 को विमोचन की गई यह किताब अमेज़न पर ₹125 मूल्य पर उपलब्ध है. इस किताब को सुर्खियों में लाने के लिए हामिद अंसारी ने नरेंद्र मोदी के साथ हुए उनके वार्तालाप और घटनाओं को सनसनीखेज बनाकर प्रस्तुत किया है. इसके अतिरिक्त इस किताब में कुछ भी खास नहीं है.
इस किताब के बारे में विमर्श करने से पहले 26 जनवरी 2021 को हामिद अंसारी और नरेंद्र मोदी के बीच हुई एक संक्षिप्त वार्तालाप से नरेंद्र मोदी और हामिद अंसारी के बीच के रिश्ते और उनकी संवैधानिक भूमिका के बारे में काफी कुछ समझा जा सकता है.
हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी 26 जनवरी को राष्ट्रपति भवन में “एट होम” का आयोजन किया गया था. कोविड-19 के कारण आयोजन पहले ही काफी संक्षिप्त था, उस पर दिल्ली में हो रही घटनाओं ने इसे फीका बना दिया था. आयोजन की परंपरा के अनुसार सभी आमंत्रित लोग समय से आधे घंटे पूर्व पहुंच जाते हैं और प्रोटोकॉल के अनुसार तय समय पर सबसे पहले प्रधानमंत्री, उसके कुछ देर बाद उपराष्ट्रपति और आखिर में राष्ट्रपति आते हैं.
मोदी ने पहुंचकर अपनी आदत के अनुसार प्रत्येक मेज पर जाकर लोगों का हालचाल जाना और अभिवादन किया. हामिद अंसारी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के पास बैठे थे. मोदी जब उनके पास पहुंचे तो हामिद अंसारी ने मुस्कुराते हुए पूछा “कैसे हैं जनाब ?”
मोदी ने भी उसी तत्परता से जवाब दिया “ जी रहे हैं.. साहब, …… आपके बिना” इसके बाद हामिद अंसारी के चेहरे पर मुस्कुराहट गायब हो गई.
बात बहुत छोटी है लेकिन बहुत कुछ कहती है. पास खड़े हुए लोगों ने भी इसे शिद्दत से महसूस किया. एक वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश सिंह,जो इस आयोजन में आमंत्रित थे, ने अपने ब्लॉग में इसका उल्लेख किया है.
( २७ जनवरी २०२१ को राष्ट्रपति भवन में एट होम में हामिद अंसारी और मोदी )
स्वतंत्र भारत के इतिहास में शायद ही कभी उपराष्ट्रपति के पद पर बैठा कोई व्यक्ति इतना विवादित रहा हो, पद पर रहने के दौरान और पद पर छोड़ने के बाद भी जितना हामिद अंसारी हैं. उनके डीएनए में भी खिलाफत आंदोलन के बीज हैं, क्योंकि उनके नाते-रिश्तेदार 19वीं सदी में धार्मिक आधार पर हुए इस पहले आंदोलन का हिस्सा रहे थे, जहां से जन्मे मुस्लिम अलगाववाद ने आखिर देश का विभाजन भी करवा दिया. धार्मिक आधार पर – हिंदुस्तान और पाकिस्तान अस्तित्व में आए. हामिद अंसारी आज भी उसी मानसिकता में जी रहें हैं.
अपनी नई किताब " बाई मैनी ए हैप्पी एक्सीडेंट रिकलेक्शन ऑफ़ ए लाइफ " में उन्होंने मोदी पर जमकर भड़ास निकाली है .
हामिद अंसारी ने बतौर उपराष्ट्रपति अपने कार्यकाल के आखिरी सवा तीन वर्षों में पीएम मोदी और उनकी सरकार को परेशान करने में कोई कमी नहीं छोड़ी थी.
पीएम मोदी ने 10 अगस्त 2017 के अपने भाषण में गिनाया था कि किस तरह हामिद अंसारी के कैरियर का ज्यादातर समय मध्य और पश्चिम एशिया के देशों में बीता, जहां वो कूटनीति की अलग-अलग भूमिकाओं में थे. रिटायरमेंट के बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर रहे, फिर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष, जहां से सीताराम येचुरी जैसे अपने वामपंथी मित्रों की मदद से यूपीए-1 के दौरान वो उपराष्ट्रपति बनने में कामयाब रहे थे.
( सेवा निवृत्ति के अवसर पर हामिद अन्सारी)
अंसारी ने अपनी किताब में कहा भी है कि मोदी ने खास तौर पर मुस्लिम देशों में उनके कैरियर का जिक्र और एक खास दृष्टिकोण की बात कर साफ संकेत देने की कोशिश की थी.
मोदी ने हामिद अंसारी के विदाई भाषण में माइनॉरिटी सिंड्रोम से पीड़ित होने का जो आरोप इशारों-इशारो में लगाया था और सांप्रदायिक सोच की तरफ भी इशारा किया था, उसके पीछे भी कई वजहें रहीं. हामिद अंसारी ने सार्वजनिक तौर पर कई बार इस्लामिक कार्ड खेला था. यही नहीं, मध्यपूर्व के कई मामलों में उनकी राय भारत सरकार की राय से अलग मुस्लिम प्रेम के नाते थी. पद छोड़ने के तुरंत बाद भी वो विवादास्पद संगठन, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के केरल के एक कार्यक्रम में भी शरीक हो आए थे, जिस पर आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के ढेरों आरोप हैं.
अंसारी ने किताब में लिखा हैं कि जिस समय एनडीए ये मांग कर रही थी डिन यानी शोर-शराबे के बीच भी महत्वपूर्ण बिल राज्य सभा में पारित कराए जाएं, उसी दौर में एक दिन पीएम मोदी बिना किसी पूर्व सूचना के उनके चेंबर में आए और बड़े अधिकार पूर्वक कहा कि उनसे ज्यादा जिम्मेदारी से अपनी भूमिका निभाने की उम्मीद की जाती है, लेकिन वो उनकी सहायता नहीं कर रहे हैं.
सवाल ये उठता है कि अपनी पुस्तक को सनसनीखेज बनाने के लिए इस तरह की घटनाओं का जिक्र किताब में करना चाहिए था? यह उपराष्ट्रपति की गरिमा के अनुकूल नहीं है.
लगता है कि उनका इरादा दुनिया को यह बताना है कि मोदी किस तरह से उपराष्ट्रपति के पद पर बैठे शख्स को धमकाने आए थे.
बतौर राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी का कार्यकाल बेहद पक्षपात पूर्ण रहा. हामिद अंसारी ने अपनी किताब में लिखा है कि यूपीए के दौरान उन पर कभी शोर-शराबे के बीच बिल पास कराने का दबाव नहीं आया .
मोदी के साथ अपनी उसी बातचीत का जिक्र करते हुए हामिद अंसारी ने किताब में ये भी लिखा है कि पीएम मोदी राज्यसभा टीवी के कामकाज से नाराज थे और कहा था कि ये सरकार के अनुकूल नहीं है,
राज्यसभा टीवी का गठन और इसका कामकाज शुरु से विवादों के घेरे में रहा है, और इस विवाद के केंद्र में रही है खुद अंसारी की भूमिका.
राज्यसभा में नियुक्तियों में राजनीतिक विचारधारा और प्रभाव को हर तरह महत्व दिया गया, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक पत्रकार की ऐसी नियुक्ति हुई, जो कांग्रेस के बड़े नेता ( दिग्विजय सिंह ) की बाद में पत्नी बन गयीं .
राज्यसभा टीवी में उपकरणों की खरीद से लेकर बाहर से कार्यक्रम बनाए जाने के नाम पर जो करोड़ों का भ्रष्टाचार हुआ, उसकी जांच जरूर शुरु हो गई है, इससे भी हामिद अंसारी परेशान हैं .
कुछ लोग विवादों से बचते हैं तो हामिद अंसारी जैसे कुछ लोग विवादों का हमेशा पीछा करते हैं.