भारत और पाकिस्तान के धार्मिक आधार पर विभाजन के समय सारे मुसलमान पाकिस्तान क्यों नहीं गए?
गांधी- नेहरू ने मिलकर विभाजन के बाद मुसलमानों को हिंदुस्तान में रोकने के लिए अनेक षड्यंत्र किये. डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने अपनी पुस्तक पाकिस्तान या भारत का विभाजन में लिखा है बिना जनसंख्या की अदला-बदली के हिंदुस्तान बनने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि पूरे विश्व में मुसलमानों के व्यवहार को देखते हुए अगर थोड़े से मुसलमान भी हिंदुस्तान में बच जाते हैं तो वह हिंदुओं को शांति से नहीं रहने देंगे और इसका सबसे अधिक नुकसान दलित समुदाय को होगा. डॉक्टर अंबेडकर ने जवाहरलाल नेहरू को इस संबंध में एक पत्र भी लिखा, जिसके जवाब में नेहरू ने बेहद हास्यास्पद बयान दिया था. उनका कहना था कि जनसंख्या की अदला बदली करते हुए उनकी (नेहरु की ) पूरी उम्र निकल जाएगी, और कार्य पूरा नहीं हो पाएगा. मुसलमानों के जाने से उद्योग धंधों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा, अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी, देश में भुखमरी फैल जाएगी और हम अपनी जनता को मरता हुआ नहीं देख सकते.
गांधी ने तो यहां तक कहा कि भारत से कोई भी मुसलमान पाकिस्तान न जाय बल्कि जो मुसलमान पाकिस्तान चले गए हैं उनको वापस लाया जाएगा. एक अत्यंत हृदय विदारक बात गांधी ने कही कि पाकिस्तान से आने वाले हिंदू शरणार्थियों को भारत न आने दिया जाए, और जो आ गए हैं उन्हें वापस पाकिस्तान भेजा जाएगा. पूर्वी पाकिस्तान से आने वाली हिंदू शरणार्थियों के लिए नेहरू ने कहा था कि उनके लिए परमिट व्यवस्था लागू की जाए ताकि वहां से अनावश्यक रूप से हिंदू शरणार्थी भारत में प्रवेश न कर सके। गांधी ने नवंबर 1947 में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में एक प्रस्ताव पास करवाया जिसमें कहा गया था कि मुसलमानों को भारत से पाकिस्तान नहीं जाने दिया जाएगा और जो मुसलमान पाकिस्तान चले गए हैं उन्हें वापस लाकर बसाया जाएगा. गांधी में विश्वास रखने वाले पकिस्तानी इलाकों रहने वाले हिन्दुओं की लाशे ही रेलों से भारत आ सकीं.
नेहरू ने उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत को पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश से किसी मुसलमान को पाकिस्तान न जाने देने के आदेश दिए थे। देश का इससे अधिक दुर्भाग्य क्या हो सकता है कि पाकिस्तान आंदोलन के मुस्लिम लीग के एक नेता को नेहरू ने संविधान सभा में शामिल कर लिया और जब 15 अगस्त 1947 को नेहरु स्वतंत्रता मिलने की घोषणा करने वाले थे उस दिन पाकिस्तान आंदोलन के कई नेता उनके साथ मंच पर बैठे थे.
पाकिस्तान आंदोलन की प्रमुख भूमिका निभाने वाली लखनऊ की बेगम एजाज रसूल भी पाकिस्तान नहीं गई और नेहरू ने उन्हें न केवलसंविधान सभा का सदस्य बनाया, बल्कि पद्म भूषण से सम्मानित भी किया. लखनऊ के जोश मलीहाबादी को नेहरू ने व्यक्तिगत अनुरोध करके भारत में रहने को कहा और इसकी एवज में उन्हें ऑल इंडिया रेडियो में महत्वपूर्ण भूमिका दी गई. जोस का परिवार पाकिस्तान जा चुका था जिसके लिए नेहरू ने विशेष तौर से उनको एक साल में 4 महीने का वेतन सहित अवकाश पाकिस्तान अपने परिवार से मिलने जाने के लिए स्वीकृत किया था.
नेहरू ने एक षड्यंत्र के तहत मुस्लिम लीग के सभी नेताओं, कार्यकर्ताओं और अन्य मुस्लिमों से कांग्रेस की चार आने वाली सदस्यता ग्रहण करने के लिए कहा ताकि वह देश में अपने लिए एक महत्वपूर्ण वोट बैंक की स्थापना कर सकें. हिंदुओं का नरसंहार करने वाले रजाकार संगठन के प्रमुख कासिम रिजवी तो पाकिस्तान चले गए थे लेकिन उनके संगठन के ज्यादातर सदस्य कांग्रेस में शामिल हो गए और कुछ ने एआईएमआईएम नाम की पार्टी बना ली और इस पार्टी ने भी कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया. आजकल असदुद्दीन ओवैसी इसके नेता है.
विडंबना देखिए किस मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की आधारशिला रखी उसके भी अधिकतर लोग पाकिस्तान नहीं गए और उन्होंने मुस्लिम लीग आगे इंडियन यूनियन लगाकर इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग बना ली और जवाहरलाल नेहरू ने उसके साथ गठबंधन भी कर लिया.
नेहरू जहां अपने लिए वोट बैंक की स्थापना कर रहे थे वही टर्की से लेकर मलेशिया तक और सऊदी अरब से लेकर अफगानिस्तान तक मुस्लिम संगठन भारतीय मुसलमानों को निर्देश दे रहे थे कि वह पाकिस्तान मिल जाने के बाद भी भारत में रहे ताकि ghazwa-e-hind का काम लगातार चलाया जा सके.
विभाजन के समय भारतीय क्षेत्रों में लगभग चार करोड़ मुस्लिम आबादी थी, जिसमें से केवल 72 लाख मुस्लिम ही पाकिस्तान गए और इसमें से भी 50 लाख केवल पंजाब प्रांत से गए, शेष 22 लाख पूरे भारतवर्ष से गए. उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल जहां पर मुस्लिम बड़ी संख्या में थे और जिन्होंने दंगे फसाद करने से लेकर पाकिस्तान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, अधिकतर मुस्लिम पाकिस्तान नहीं गए.
इस तरह एक षड्यंत्र के तहत धार्मिक आधार पर पाकिस्तान की स्थापना हो जाने के बाद भी शेष भारत को हिंदू और मुसलमानों की ज्वाइंट प्रॉपर्टी बना दिया गया. कई बेशर्म जिनका नाम मिट्टी में मिल गया था, वह यह कहने से नहीं चूके कि उनका खून भी शामिल है यहां की मिट्टी में.
भारत अब एक फिर हिंदू मुस्लिम तनाव से झुलस रहा है और अविभाजित भारत की तरह शेष भारत पर भी एक विभाजन का खतरा मंडरा रहा है या संपूर्ण देश को गजवा ए हिंद का खतरा सता रहा है. अबकी बार यह खतरा पहले से कहीं बड़ा है क्योंकि वामपंथी विचारधारा वाले हिंदू भी मुसलमानों के आक्रामक रुख में पूरी तरह भागीदार हैं.
********************************
- शिव मिश्रा
सन्दर्भ -
१. भारत का विभाजन - डॉ आंबेडकर,
२. विभाजन के गुनाहगार - राम मनोहर लोहिया
३. अन ब्रेकिंग इंडिया - संजय दीक्षित
४. इंडिया विन्स फ्रीडम - अबुल कलाम आजाद
५. फ्रीडम एट मिडनाइट -लार्री कॉलिंस और डोमेनिक लेप्रे
६. सेलेक्ट वर्क्स ऑन नेहरु
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें