महाकुंभ पर महाभारत
29 जनवरी 2025 को मौनी अमावस्या के अमृत स्नान के
दिन कुंभ मेले में हुई भगदड़ में कई लोग मारे गए और अनेक घायल हुए, जिससे विपक्ष को
योगी और उनकी व्यवस्था को कठघरे में खड़ा करने का मौका मिल गया. विपक्षी दल, जो
पहले कुंभ आयोजन पर करदाताओं के पैसे की बर्बादी का राग अलापते थे, लाशों की
राजनीति में लग गए. इसके लिए संसद से सड़क तक तरह तरह के उपक्रम किए जा रहे हैं. योगी
और मोदी का इस्तीफा भी मांगा गया और जनता में रोष उत्पन्न करने के लिए साधु संतों
का सहारा भी लिया गया. दुर्भाग्य से ऐसे अनेक साधु संत हैं भी जो सनातन धर्म और संस्कृति को
लांछित करने के लिए विपक्ष का हथियार बन जाते हैं. ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने तो योगी आदित्यनाथ पर सीधे प्रहार करते हुए
कहा कि वह मुख्यमंत्री के पद के योग्य नहीं है, वह झूठा है, और उनका इस्तीफा तक
मांग लिया. यद्यपि शकाराचार्य स्वयं विवादित व्यक्ति है, लेकिन किसी भी शंकराचार्य
को राजनीतिक मोहरा नहीं बनना चाहिए. आदि शंकराचार्य ने सनातन धर्म को समृद्ध और
शक्तिशाली बनाने के लिए जिन पीठों की स्थापना की थी उनका दुरुपयोग सनातन धर्म और
संस्कृति को अपमानित करने के लिए हो इससे बड़ा दुर्भाग्य और कुछ नहीं हो सकता. कुम्भ
में अव्यवस्था का आरोप लगाते हुए इस्तीफ़े की मांग तो समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के
नेताओं ने भी की जिससे इस्तीफ़ा मांगने वालों के बीच आपसी सम्बन्ध का भी पता चलता
है.
यद्यपि राज्य सरकार ने तुरंत पुलिस और न्यायिक
जांच के आदेश दिए लेकिन राजनीतिक गिद्ध लाशों पर बैठ गए और अभी भी मृतकों की
संख्या पर विवाद कर रहे हैं. अन्य देशों की घटनाओं से संबंधित भ्रामक वीडियो सोशल
मीडिया में प्रसारित किये जा रहे हैं, और उनके आधार पर यह सिद्ध करने की कोशिश की
जा रही है कि मृतकों की संख्या हजारों में है. सपा नेत्री जया बच्चन ने तो यहाँ तक
कह डाला संगम का पानी तो दिल्ली में यमुना के पानी से भी ज्यादा संक्रमित है
क्योंकि वहाँ हजारों लोगों की लाशें पानी में फेंकी गई हैं. कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे
ने यहाँ तक कह डाला है कि कुंभ स्थान से न रोटी मिलती है न रोजगार लेकिन लोग
हजारों रुपया बर्बाद करके डुबकी लगाने जा रहे हैं. इन दोनों ही दलों ने शुरुआत से
ही कुम्भ के विरुद्ध अभियान चला रखा है त्ताकि यह आयोजन सफल न हो सके.
यह तुष्टीकरण की ही पराकाष्ठा थी कि ज्ञानवापी में
ऋंगार गौरी और संभल में श्री हरि विष्णु मंदिर में हिंदुओं की पूजा अर्चना बंद
करवाने वाले राजनेता, कुंभ में मुस्लिमों के स्टाल लगाने पर प्रतिबंध के विरोध में योगी के विरुद्ध विष
वमन कर रहे थे, कुम्भ की भूमि को वक्फ की जमीन बता रहे थे, लेकिन भगदड़ में
श्रद्धालुओं के मरने और घायल होने से खासे उत्साहित और प्रफुल्लित यही राजनेता
घड़ियाली आंसू बहाने लगे. प्रत्यक्षदर्शियों और घायलों के अनुसार भगदड़ जान बूझकर
करवाई गई थी और इसके लिए कुछ अराजक तत्वों को भेजा गया था. इसके बाद सरकार ने कुंभ
दुर्घटना की जांच एसटीएफ को सौंपी दी, जिसकी प्रारंभिक जांच में षडयंत्र की पुष्टि
हुई है. एसटीएफ ने कई लोगों को हिरासत में लिया है और पूछ्ताछ चल रही है. भगदड़ के
लिए कोई भी पार्टी या नेता जिम्मेदार क्यों न हो, लेकिन राजनैतिक दुर्भावना से किया
गया यह षड्यंत्र मानवता को शर्मसार करने वाला है. यदि यह षड्यंत्र है तो इसमें
शामिल लोग हिंदू और हिंदुस्तान के हितैषी नहीं हो सकते, यह सभी हिन्दुओं को सदैव
याद रखना चाहिए.
144 बरसों बाद बने अद्भुत खगोलीय संयोग से प्रयागराज
में हो रहे महाकुंभ 2025 पर कुछ राजनीतिक दल ओछी राजनीति कर रहे हैं. 6 वर्षों के
अन्तराल पर अर्धकुंभ, 12 वर्षों पर पूर्ण कुम्भ का संयोग बनता है.144 वर्षों के
बाद पडने वाले महाकुंभ का महत्त्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि इसमें कोई भी
व्यक्ति अपने पूरे जीवनकाल में एक बार ही सम्मिलित हो सकता है. इसलिए इस महाकुंभ
में श्रद्धालुओं की संख्या अर्द्धकुंभ और पूर्ण कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की
संख्या से कई गुना अधिक होना स्वाभाविक है. इस बार सरकार ने 40 करोड़ से अधिक
श्रद्धालुओं के भाग लेने का अनुमान लगाया था और डिजिटल आकलन के अनुसार अब तक आये श्रद्धालुओं
का आंकड़ा इसके काफी करीब पहुँच चुका है, जबकि अभी दो सप्ताह से अधिक का समय बाकी
है. इस प्रकार यह आंकड़ा 60 करोड़ पार कर सकता है. उत्तर प्रदेश सरकार ने इसके लिए
व्यापक तैयारियां भी की हैं. यह आयोजन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हृदय के बहुत
नजदीक है और इसलिए वह लगातार आयोजन की व्यवस्थाओं की सूक्ष्म निगरानी करते रहे और
अनेक बार संगम स्थल पर जाकर तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे. इसमें कोई संदेह नहीं
कि महाकुंभ 2025 की व्यवस्था अब तक के सभी कुंभ आयोजनों में सर्वश्रेष्ठ हैं.
वर्तमान समय में राजनीति में आ रही गिरावट नित नई
नीचाइयाँ छू रही है, लेकिन यह अनायास नहीं है क्योंकि लगातार राजनीतिक गिरावट की
व्यवस्था तो संविधान में ही निहित है और
उसका मूल कारण है ब्रिटेन की नकल कर बनाई गई बहुदलीय राजनैतिक प्रणाली. भारत में राजनीति
अब समाज और राष्ट्रसेवा का माध्यम न हो कर सबसे अधिक फायदेमंद उद्योग बन गयी है. कुकुरमुत्तों
की तरह राजनीतिक दल उग आए हैं और अनेक लोग सत्ता पाकर प्रादेशिक क्षत्रप बन गए
हैं. यह स्थिति लगभग हर राज्य में हो चुकी है. सत्ता पाने के लिए ये कुछ भी करने
को तैयार है लेकिन मुस्लिम तुष्टीकरण इनका अनिवार्य कर्तव्य बन गया है, और हिंदू
विरोध स्वाभाविक दिनचर्या. इसलिए केवल समाजवादी पार्टी ही नहीं, कांग्रेस और उसके गठबंधन
के राजनीतिक दल हिंदू और उनके तीज त्योहारों, पौराणिक परंपराओं का मुखर विरोध करते
हैं. हिन्दुओं को बांटने के लिए जातिगत जनगणना का जाप करते हैं और अन्य पिछड़ा वर्ग
में सभी मुसलमानों को भी जोड़ लेते हैं, जैसा कि हाल में तेलंगाना में हुए जातिगत
सर्वे में किया गया है. अखिलेश यादव का पीडीए यानी पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक (केवल
मुसलमान) मात्र चुनाव जीतने का फॉर्मूला है, जो उनका अपना नहीं है, बल्कि भारत को 2047
तक इस्लामिक राष्ट्र बनाने का पीएफआई फॉर्मूला है. समाजवादी पार्टी का मुस्लिम
तुष्टीकरण किसी से छिपा नहीं है. लालू यादव ने जब मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए
लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार कर उनका रामरथ रोक दिया था तो मुलायम सिंह यादव कहाँ
पीछे रहने वाले थे उन्होंने राम जन्मभूमि पर राम भक्तों पर गोली चलवाकर सैकड़ों कार
सेवकों की हत्या करवा दी. बाद में उन्होंने कहा भी था कि अगर मुस्लिमों को खुश
करने के लिए और हिंदुओं को मरवाना होता तो वे जरूर मरवाते.
अखिलेश यादव की साढ़े चार मुख्यमंत्री वाली सरकार में एक मुख्यमंत्री आजम
खान भी थे जो 2013 में प्रयागराज में कुम्भ आयोजन के प्रभारी थे. सरकार द्वारा
घोषित आंकड़ों के अनुसार उस समय लगभग 2 करोड़ श्रद्धालु शामिल हुए थे. उस समय भगदड़
में 42 से अधिक श्रद्धालुओं की मृत्यु हो गई थी. इस कारण वह योगी आदित्यनाथ द्वारा
कुंभ आयोजन के लिए प्रस्तावित भव्य व्यवस्थाओं पर दिए जा रहे बयानों से काफी
कुंठित थे. विपक्षी को इस बात की भी चिंता थी कि दावे के अनुसार यदि कुम्भ में 40 करोड़
लोग शामिल होते हैं और यह सकुशल संपन्न हो जाता है तो भारतीय जनता पार्टी को
राजनीतिक लाभ होगा, योगी का कद बढ़ेगा और विपक्ष को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. इसलिए
उन्होंने कुंभ आयोजन में खामियां गिनवाने के नाम पर अनेक भ्रामक बयान दिये. उनकी
देखा देखी राहुल भी इस अभियान में जुट गए. समाजवादी पार्टी, कांग्रेस तथा इंडी
गठबंधन के घटक दल पूरे कुंभ आयोजन को कटघरे में खड़ा करने के लिये हर संभव गलतबयानी
कर हिंदू समाज को दिग्भ्रमित करने का काम रहे
हैं. इसका उद्देश्य केवल हिंदू श्रद्धालुओं को कुम्भ में आने से रोकना नहीं है
बल्कि बड़ा उद्देश्य हिन्दुत्व को कमजोर करने, हिंदू समाज को विभाजित करने के साथ
हिंदू धर्म और संस्कृति को नष्ट करना है. ये सभी हिंदू विरोधी, वामपंथी और इस्लामिक
कट्टरपंथियों के इशारे पर काम कर रहे हैं जो जल्द से जल्द भारत को इस्लामिक
राष्ट्र में बदलना चाहते हैं.
समझना मुश्किल नहीं है कि अधिकांश राजनैतिक दल
स्वार्थ में पूरी तरह अंधे हो चुके हैं. अब वे अपनी प्राचीन सनातन संस्कृति पर स्वयं
प्रहार कर उसे नष्ट करने पर आमादा है. राष्ट्र की एकता और अखंडता पर उत्पन्न हो चुके
गंभीर खतरे से भी उन्हें कोई लेना देना नहीं है. सत्य तो यह है कि वे स्वयं
राष्ट्र के लिए बड़ा खतरा बन चुके हैं. इसलिए सभी राष्ट्रप्रेमियों को सावधान ही
नहीं रहना होगा बल्कि ऐसे तत्वों से जमकर लोहा लेना होगा क्योंकि राष्ट्र की रक्षा
के लिए सभी की सहभागिता और योगदान आवश्यक है.
~~~~~~~~~~~~~~~शिव
मिश्रा ~~~~~~~~~~~~