शुक्रवार, 8 सितंबर 2017

भारत में भटक रही है रघुराम राजन की आत्मा ......

भारत में भटक रही है रघुराम राजन की आत्मा ......


क्या मोदी सरकार द्वारा उनका कार्यकाल न बढ़ाये जाने का फैसला सही था ?


यों तो रघुराम राजन को रिज़र्व बैंक का गवर्नर पद छोड़े हुए काफी समय हो गया है . पद छोड़ते हुए उन्होने अध्यापन को अपना पसंदीदा कार्य बताया था और इसीलिये जहाँ से आये थे वहीं चले गए थे . अक्सर किसी न किसी बहाने अनचाहे और आवंछित बयान देकर वे भारत में सुर्खिया बटोरते रहते हैं. मुद्दा चाहे नोट बंदी का हो या असहिष्णुता और सहन शीलता का, वे जब बोलते हैं तो उनका दर्द छलकता है . हाल ही में गौरी लंकेश हत्या पर बोलते हुए उन्होंने भारत की आर्थिक प्रगति को सहनशीलता से जोड़ दिया . कई बार उनकी टिप्पड़ी और पी चिदंबरम की टिप्पड़ी में कोइ अंतर नहीं होता है . 


उन्होंने अपने बयानों से सिद्ध कर दिया कि मोदी सर कार द्वारा उनका कार्यकाल न बढ़ाये जाने का फैसला शायद सही फैसला था.


1 टिप्पणी:

  1. शिव प्रकाश जी!!! कहां इन लोगों के चक्कर में हैं। विदेशों के ठाट-बाट में पढ़कर अर्थव्यवस्था का ज्ञान झाड़ते ये लोग केवल और केवल हिन्दू विरोधी मानसिकता से भरे हुए हैं। पता नहीं इनका नामकरण रघुराम या चिंबरम कैसे हो जाता है, क्योंकि ये इन नामों की संस्कृति, संस्कार और धर्म हिन्दुओं के अनुकूल तो कोई बात ही नहीं करते। जिस तथाकथित पत्रकार को हत्या होने से पहले कोई सामान्य रूप से जानता भी नहीं था, उस पर इतना बवाल!! अपशब्द कहने की इच्छा होती है ऐसे लोगों को और साथ में पीटने का मन भी करता है इन्हें। सामाजिक ज्ञान के हिसाब से तो ऐसे लोग प्राइमरी में भी पास होने के लायक नहीं है। अभी बैंकों से लेकर अनेक सरकारी कार्यालयों व प्रतिष्ठानों तथा मीडिया घरानों में वही कुबौद्धिक बीज पनप रहा है, जो कांग्रेसियों-वामियों के गठन से बोया गया था।

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