शनिवार, 3 अगस्त 2013

रिश्ते और रास्ते



रिश्ते प्यार के,

और रस्ते पहाड़ के,

कभी  बिल्कुल  आसान

तो  नही होते ।

कभी आंधी, कभी तूफान,

कभी धूप, कभी  छांव ,

 तो कभी  साफ आसमान

नहीं   होते ।  

थोड़ी सी बेचैनी से,

सैलाब उमड़ पड़ते है अक्सर,

और आंखे भी निचोड़ी जाय,

तो कभी  आँसू नहीं होते  ।  


प्यार एक धर्म है,
मर मिटने का ,
जिसमें  मर्म हैं  हर कर्म के ,  
पर हर कर्म के
विधि, विधान और संविधान

 नही होते ।

भावनाओं की,
कभी बैलेंस शीट बनाई नहीं जाती,     
निवेश के समानुपात लाभ  मिले,
ऐसी आश भी लगाई नहीं  जाती,  

कौन समझा है किसे ? और कितना ?
ये समझ कर ही तो ,
दिल की हर बात बताई नही जाती  ।  

सच्चाई क्या है ? कैसी है ?
ठीक अहसास  नहीं देती  है,  
अब तो अपनी ही नजर
काफी कमजोर हुई लगती है ।

दिल है बोझिल,
तो गनीमत है, कुछ मिल सकता है इससे ,

बहुत बेचैन  है,   

परेशान है हर शहर , अपने  खालीपन से ॥    

   ***********************
       शिव प्रकाश मिश्रा

3 टिप्‍पणियां:

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